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महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते समय न करें ये गलतियां, शिव जी हो सकते हैं रूष्‍ठ

नई दिल्‍ली। महामृत्युंजय मंत्र (Mahamrityunjaya Mantra) भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला खास मंत्र है. यदि आप भयमुक्त, रोगमुक्त जिंदगी चाहते हैं और अकाल मृत्यु के डर से खुद को दूर करना चाहते हैं, तो आपको भगवान शिव(Lord Shiva) के सबसे प्रिय ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करना चाहिए.इसका 108 बार रोजाना जाप करने से मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां खत्म हो जाती हैं और अधिक से अधिक लाभ प्राप्त होता है.माना जाता है कि ये मोक्ष मंत्र है.महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख ऋग्वेद से लेकर यजुर्वेद तक में मिलता है.शविपुराण में भी इसका महत्व(Importance) बताया गया है.आइए जानते हैं क्या है जाप करने की सही विधि और इसके अनेक फायदे.

महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् ।

उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥
अर्थ – हम त्रिनेत्र को पूजते हैं, जो सुगंधित हैं और हमारा पोषण करते हैं. जैसे फल शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं.


महामृत्युंजय मंत्र के फायदे
इस मंत्र के प्रभाव से मनुष्य का अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है.इसका का जप करने वाले को लंबी उम्र मिलती है.

महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष, रोग, दुःस्वप्न, गर्भनाश, संतानबाधा कई दोषों का नाश होता है.

लंबी बीमारी (chronic illness) से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इस मंत्र का प्रतिदिन जाप करें. इस मंत्र के जप से रोगों का नाश होता है और मनुष्य निरोगी बनता है.शारीरिक के साथ मानसिक शांति (mantle piece) भी मिलेगी.

धन हानि से बचने,जमीन जायदाद से संबंधित विवादों में सफलता के लिए भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभ होता है.इससे मनुष्य को मनुष्य को धन-धान्य की कमी नहीं होती है.

ईर्ष्या, लालाच,नुकसान का डर,इस प्रकार की नकारात्मकताएं भी इस मंत्र के जाप से खत्म हो जाती है.इससे मनुष्य को समाज में उच्च स्थान प्राप्त होता है.

महामृत्युंजय मंत्र के जाप में ये गलतियां न करें
महामृत्युंजय मंत्र जाप का सही उच्चारण करना बेहद आवश्यक है.इसमें की गई गलती दुष्प्रभाव डाल सकती है.

मंत्र का जाप करते समय ध्यान रखें कि आप जिस आसन पर बैठे हों वो एकदम शुद्ध हो.कुशा के आसन पर बैठकर जप करना सबसे अच्छा होता है.

इस मंत्र का जाप केवल रुद्राक्ष माला से ही करें. विधि विधान से महामृत्युमंजय मंत्र का जाप करते वक्त शिवलिंग में दूध मिले जल से अभिषक करते रहे।

इस मंत्र का जाप एक निश्चित संख्या निर्धारण कर करे। अगले दिन इनकी संख्या बढ़ा लें, लेकिन कम न करें.

महामृत्युंजय मंत्र का जाप हमेशा पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही करना चाहिेए.

अगर आप नियमित जाप नहीं कर सकते तो इसके सुनने मात्र से ही नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है.इसलिए ऑफिस जाते वक्त, या कोई शुभ कार्य करने से पहले इसे सुन लेना अच्छा माना जाता है.

नोट- उपरोक्‍त दी गई जानकारी व सुझाव सामान्‍य जानकारी के लिए हम इसकी जांच का दावा नहीं करते है।

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