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ई-सिगरेट किशोरों और युवाओं के लिए सबसे अधिक खतरनाक, कोरोना होने का खतरा

कोरोना वायरस किन-किन चीजों से हो सकता है इसको लेकर लगातार रिसर्च जारी है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इसे लेकर रिसर्च कर रहे हैं और अपनी रिपोर्ट सबमिट कर रहे हैं। अभी तक पुख्ता तौर पर ये तो सामने आ ही चुका है कि ये संक्रमण से होने वाली बीमारी है और एक दूसरे के संपर्क में आने से होती है।

अब अमेरिका में भारतीय मूल के शोधकर्ता के नेतृत्व में हुए एक अध्ययन से पता चला है कि ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने वाले किशोरों और युवाओं में कोरोना होने का खतरा ज्यादा होता है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ एडोलसेंट हेल्थ में प्रकाशित हुआ है।

शोध के दौरान पता चला कि सामान्य व्यक्तियों की तुलना में ई-सिगरेट का इस्तेमाल करने वाले पांच से सात गुना अधिक संक्रमित थे। इस अध्ययन की प्रमुख लेखक और अमेरिका स्थित स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय से पोस्टडॉक्टोरल शिवानी माथुर ने कहा कि अक्सर युवाओं को यह लगता है कि उन्हें कोरोना नहीं होगा, लेकिन आंकड़ें यह बतातें हैं कि जो लोग ई-सिगरेट का इस्तेमाल करते हैं, उनके संक्रमित होने का खतरा ज्यादा होता है।

अध्ययन में 13 से 24 वर्ष की आयु के 4,351 प्रतिभागियों को शामिल किया गया। प्रतिभागियों को दो हिस्सों में बांटा गया। एक हिस्से में उन लोगों को रखा गया है, जो ई-सिगरेट का इस्तेमाल करते थे और दूसरे हिस्से में उनको रखा गया, जिन्होंने कभी भी तंबाकू उत्पादों का प्रयोग नहीं किया था। निष्कर्षो से पता चला कि पिछले 30 दिनों के दौरान जिन लोगों ने सिगरेट या ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया था, उनमें कोरोना के लक्षण (खांसी, बुखार, थकान और सांस लेने में कठिनाई) पांच गुना ज्यादा थे।

हालांकि यह लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि उन्होंने हाल ही में कौन सा तंबाकू उत्पाद प्रयोग किया। जो युवा ई-सिगरेट और धूम्रपान दोनों का प्रयोग करते हैं, उनमें कोरोना लक्षण दिखाई पड़ने की संभावना 2.6 से नौ गुना थी। जिन लोगों ने पिछले 30 दिनों में ई-सिगरेट और पारंपरिक सिगरेट दोनों का इस्तेमाल किया था, उनके संक्रमित होने की संभावना 6.8 गुना अधिक थी।

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