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दुनिया की सबसे बड़ी चिप इंडस्ट्री पर ‘कोरोना’ का लगा ग्रहण, भारत को ऐसे होगा फायदा

नई दिल्ली: दुनिया की सबसे बड़ी चिप इंडस्ट्री का तगमा हासिल करने वाले चीन पर कोरोना की मार ऐसी पड़ी है कि अब चिप इंडस्ट्री भी इससे अछूती नहीं रही है. जानकारों का मानना है कि चीन के इस इंडस्ट्री को उबाररने के लिए करीब 143 बिलियन डॉलर का प्रोत्साहन देना पड़ेगा तब जाकर मामला पटरी पर आ सकता है. दरअसल चीन में कोरोना के बिगड़ते हालात का फायदा भारत को मिल रहा है. एक और एपल जैसी बड़ी कंपिनयां चीन छोड़कर भारत रही है वहीं कई ऐसे चिप मैन्युफैक्चर भी भारत में भविष्य की संभावनाएं तलाश रहे है.

इसके बजाय वे स्वदेशी चिप निर्माताओं की सहायता के लिए वैकल्पिक तरीकों की तलाश कर रहे हैं, जैसे कि सेमीकंडक्टर सामग्री की लागत को कम करना, लोगों ने संवेदनशील बातचीत का खुलासा करते हुए पहचान न करने के लिए कहा है. बता दें कि सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देने के लिए चीन 1 ट्रिलियन युआन यानी 145 बिलियन डॉलर से अधिक के समर्थन पैकेज पर काम कर रहा है. कुछ स्रोतों के मुताबिक, चिप्स में आत्मनिर्भरता की दिशा एक महत्वपूर्ण कदम है.

इसका मुख्य उद्देश्य संयुक्त राज्य अमेरिका की तकनीकी प्रगति को धीमा करने वाले कदमों का मुकाबला करना है. सूत्रों का मानना है कि, बीजिंग ने अपने सबसे बड़े वित्तीय प्रोत्साहन पैकेजों में से एक को रोल आउट करने की योजना बनाई है. जो पांच साल में आवंटित किया गया, मुख्य रूप से सब्सिडी और टैक्स क्रेडिट के रूप में घर पर अर्धचालक उत्पादन और अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए है.


सहयोगी देशों में बढ़ सकती है चिंता
विश्लेषकों ने उम्मीद की थी कि चीन द्वारा एक ऐसे उद्योग के भविष्य को आकार देने में अधिक प्रत्यक्ष दृष्टिकोण जो चिप्स की बढ़ती मांग के कारण एक भू-राजनीतिक गर्म बटन बन गया है और जिसे बीजिंग अपनी तकनीकी शक्ति की आधारशिला मानता है. विश्लेषकों का यह कहना है कि यह संभावना है कि सेमीकंडक्टर उद्योग में चीन की प्रतिस्पर्धा के बारे में अमेरिका और उसके सहयोगी देशों में चिंता बढ़ सकती है. यहां तक कि कुछ अमेरिकी सांसद पहले से ही चीन की चिप उत्पादन क्षमता निर्माण को लेकर चिंतित हैं.

20% सब्सिडी की हकदार होंगी कंपनियां
माना जा रहा है कि यह योजना को अगले साल की पहली तिमाही के रूप में जल्द ही लागू किया जा सकता है. अधिकांश वित्तीय सहायता का उपयोग चीनी फर्मों द्वारा घरेलू सेमीकंडक्टर उपकरण की खरीद को सब्सिडी देने के लिए किया जाएगा, मुख्य रूप से सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट या फैब. इतना ही नहीं बल्कि, कुछ सूत्रों के मुताबिक, ऐसी कंपनियां खरीद की लागत पर 20% सब्सिडी की हकदार होंगी. अर्धचालक बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरणों के चीन को निर्यात को कम करने के लिए अमेरिका, जापान और नीदरलैंड सहित अपने कुछ साझेदारों की पैरवी भी कर रहा है.

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