भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

शिक्षा बौद्धिक और चारित्रिक विकास में सहयोगी है मात्रभाषा

  • राज्यपाल ने किया हिन्दी में अनुवादित तकनीकी पाठ्यक्रम की पुस्तकों का विमोचन

भोपाल। राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि मातृभाषा में शिक्षा, सुदूर अंचलों में रहने वाले ग्रामीण एवं वंचित वर्गों के विद्यार्थियों को ज्ञान-विज्ञान के साथ देश और समाज के विकास में बेहतर योगदान देने में सक्षम बनाने का अभूतपूर्व अवसर है। राज्यपाल श्री पटेल ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि मातृ-भूमि के प्रति आत्म-गौरव का प्रदर्शन 13 से 15 अगस्त तक हर घर तिरंगा लहरा कर करें।
पटेल ने कहा कि भाषा ही वह तत्व है, जिससे हमारी आत्मा का गठन होता है। भाषा का महत्व केवल बौद्धिक ही नहीं, चारित्रिक विकास में भी है। यह विज्ञान सम्मत है कि व्यक्ति की विषय की समझ, सीखने की दक्षता मातृभाषा में आसानी से आती है। वास्तव में मातृभाषा का शिक्षण ज्ञान प्रदान करने का अवसर ही नहीं है, अपितु बालक को मनुष्य के जीवन में दीक्षित करने का साधन है।


21वीं सदी की वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए सक्षम और दक्ष युवा पीढ़ी निर्माण के संकल्प का प्रतीक मातृभाषा में शिक्षा है। मातृभाषा में शिक्षा के विस्तार के द्वारा वर्ष 2030 तक 100 प्रतिशत सकल नामांकन के राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्य को प्राप्त करने के प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सफलता के लिए विद्यार्थियों की प्रतिभा और इच्छा अनुसार कौशल उन्नयन का अवसर देने के प्रयास किए जाएँ। परिसर का वातावरण ऐसा होना चाहिए जो छात्र-छात्राओं को कुशल, आत्म-विश्वासी, व्यवहारिक और निर्णयात्मक बनाएँ। राष्ट्र, समाज की चुनौतियों और समस्याओं के समाधान के लिए अनुसंधान और अन्वेषण की प्रेरणा और प्रोत्साहन दे।

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