भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

राजधानी में बिना लायसेंस चल रहीं 86 शराब दुकानें

  • फूड सेफ्टी एक्ट में शामिल शराब बीयर बेचने लायसेंस लेना जरूरी
  • कलेक्टर की नाराजगी के बाद आधा सैकड़ा ने किया आवेदन

भोपाल। प्रदेश में सरकार ने शराब-बीयर को भी फूड सेफ्टी एक्ट में शामिल कर दिया है। नियमों के मुताबिक शराब दुकान चलाने के लिए खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग से लायसेंस लेना अनिवार्य है। लेकिन राजधानी में ही सरकारी नियमों का पालन नहीं हो रहा है। यहां की 91 में से 86 शराब दुकानदार बिना लायसेंस के ही शराब बेच रहे हैं। गतदिनों कलेक्टर ने इसको लेकर नाराजगी जताई को करीब आधा सैकड़ा दुकानकारों ने लायसेंस के लिए आवेदन किया है। राज्य सरकार का निर्देश है कि सभी प्रकार के शराब बेचने वाले रिटेलरों को लायसेंस खाद्य सुरक्षा व औषधी प्रशासन विभाग से लेना होगा। ऐसा करने में नाकाम रहने वाले दुकानदारों पर कार्रवाई की जाएगी। बावजूद इसके तमाम रिटेलरों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। तत्कालीन कलेक्टर डा. सुदाम खाड़े ने इसे लेकर कुछ सख्ती दिखाई थी, लेकिन उनके जाने के बाद फिर हुई ढर्रा शुरू हो गया।

भोपाल में मात्र 5 के पास लायसेंस
हालात यह हैं कि शहर की 91 शराब दुकानों में सिर्फ 5 ने ही खाद्य एवं औषधि से लायसेंस लिया है। एक बार फिर कलेक्टर अविनाश लवानिया के निर्देश के बाद लाइसेंस को लेकर हलचल शुरू हुई है। दरअसल, पिछले दिनों कलेक्टर अविनाश लवानिया ने सभी विभागों की बैठक ली थी। इस दौरान उन्होंने साफ कर दिया था कि जो भी विभाग खाद्य एवं औषधि के दायरे में आते हैं, वो तत्काल लायसेंस लें। अब कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी। कलेक्टर की नाराजगी के बाद करीब 50 शराब ठेकेदारों ने लायसेंस के लिए आवेदन किया है। हालांकि अभी भी कई शराब ठेकेदार लायसेंस लेने से बच रहे हैं। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी देवेन्द्र दुबे का कहना है कि कलेक्टर के निर्देश के बाद शराब दुकानों को अनिवार्य रूप से खाद्य एवं औषधि से लाइसेंस लेने के लिये पत्र लिखा गया है। इसके बाद करीब 50 ठेकेदारों ने आवेदन किया है।

न तो ठेकेदार गंभीर, न ही अफसर
देश भर में मिलावटी शराब पीने से हर साल कई लोगों की मौत होती है। यही वजह है कि लाइसेंस अनिवार्य किया गया था। जिससे खाद्य एवं औषधि प्रशासन का अमला समय-समय पर इसकी जांच कर सके। जिससे मालूम पड़ सके कि जो शराब बेची जा रही है उसमें कहीं कोई मिलावट या अमानक चीज तो नहीं मिलाई जा रही है, जिससे नुकसान हो। तय मानक का पालन हो रहा है या नहीं। मगर इसे लेकर न तो ठेकेदार गंभीर हुए और न ही अफसर। लाइसेंस नहीं लेने पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 63 के तहत मुकदमा और दोष सिद्ध होने पर छह माह की कैद व पांच लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। यह नियम नकली शराब बिक्री पर रोक लगाने के लिये बनाया गया है। लेकिन विभाग की मनमर्जी के चलते सरकारी नियमों को ताक पर रख कर दिया गया है। करीब चार माह से सरकारी दुकानों को संचालन हो रहा है। बावजूद इसके ठेकेदारों पर लाइसेंस नहीं लेने पर कार्रवाई तक करने की जहमत अफसरों नहीं उठाई।


शराब में मिलावट का बहुत बड़ा कारोबार
भोपाल जिले में खाद्य पदार्थो और पेय पदार्थ का कारोबार करने वालों के प्रतिष्ठानों से अक्सर सैंपल लिये जाते हैं, लेकिन हर रोज हजारों लीटर शराब की खपत के बावजूद नमूने लेने में खाद्य सुरक्षा अधिकारी रूचि नहीं दिखाते हैं। सैंपल नहीं लेने के कारण ही राजधानी में शराब में मिलावट का बहुत बड़ा कारोबार बाजार खड़ा हो गया है। आबकारी विभाग के मुताबिक शहर में हर रोज करीब 25 हजार अंग्रेजी शराब की बोतल, 20 हजार बियर की बोलत और 50 हजार लीटर देशी शराब की बिक्री होती है। इतनी बड़ी खपत के बावजूद खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग के अमले ने इक्का-दुक्का कार्रवाई को छोड़कर कभी इनकी तरफ रूख करना भी जरूरी नहीं समझा।

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