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निगम में कर्मचारियों की भर्ती की जाए, महापौर उठाएंगे आवाज

  • February 17, 2025

    • इंदौर में होने वाले महापौर सम्मेलन में रखा जाएगा प्रस्ताव…
    • आउटसोर्स पर कर्मचारी लेने की व्यवस्था को बंद करने का विचार

    इंदौर। मध्यप्रदेश के सभी नगर निगम के महापौर के आज इंदौर में हो रहे सम्मेलन में नगर निगम में कर्मचारियों की भर्ती शुरू करने के लिए आवाज उठाई जाएगी। अभी आउटसोर्स पर कर्मचारी रखने की जो व्यवस्था चल रही है उसे बंद करने के लिए भी सरकार के समक्ष प्रस्ताव भेजा जाएगा। महापौर पुष्यमित्र भार्गव की पहल पर आज इंदौर में मध्यप्रदेश के सभी नगर निगम के महापौर का सम्मेलन हो रहा है। इस सम्मेलन का आयोजन ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में किया गया है। इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए विभिन्न नगरों से महापौर के इंदौर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है।

    सम्मेलन के विचारणीय मुद्दों के बारे में चर्चा करते हुए महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने बताया कि इस सम्मेलन के माध्यम से राज्य सरकार से एक तरफ जहां निगम आयुक्त के वित्तीय अधिकार कम करने की मांग की जाएगी, वहीं दूसरी तरफ सरकार के समक्ष यह तथ्य रखा जाएगा कि आयुक्त के वित्तीय अधिकार ज्यादा होने के कारण बहुत से प्रस्ताव महापौर परिषद तक भी नहीं आ पाते हैं और उनका फैसला हो जाता है।

    भार्गव ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा महापौर परिषद के गठन की व्यवस्था तो दी हुई है। इसके साथ ही परिषद के सदस्यों को दिए जाने वाले विभिन्न विभागों की व्यवस्था की दी हुई है। सरकार से अब हम चाहते हैं कि महापौर को यह अधिकार दिया जाए कि वह विभाग के अंतर्गत आने वाले कामकाज को अंतिम रूप दे सके। अपनी बात को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि जैसे लोक निर्माण विभाग है तो यह विभाग क्या-क्या काम देखेगा, यह स्पष्ट करने और उसे अंतिम रूप देने का अधिकार महापौर को दिया जाना चाहिए।


    भारत सरकार द्वारा किए गए 74वें संविधान संशोधन को लागू करने के लिए भी आज की इस बैठक में आवाज उठाई जाएगी। सभी महापौर द्वारा संयुक्त रूप से प्रस्ताव मंजूर करते हुए मध्यप्रदेश सरकार से आग्रह किया जाएगा कि वह मध्यप्रदेश में काम से कम इस 74वें संविधान संशोधन को लागू करने के लिए पहल करें। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी नगर निगम कर्मचारियों की कमी की स्थिति से दो-दो हाथ कर रहे हैं। पूर्व में मध्यप्रदेश में बनी 18 महीने की कांग्रेस सरकार द्वारा दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी के रूप में नगर निगम में कर्मचारी रखने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। आज हम राज्य सरकार से मांग करेंगे कि इस प्रतिबंध को हटाया जाए। इसके साथ ही इस समय जो कर्मचारियों की कमी की पूर्ति के लिए आउटसोर्स पर कर्मचारी रखने की व्यवस्था को लागू किया गया है उस व्यवस्था को समाप्त किया जाए। आउटसोर्स पर रखे गए कर्मचारी निकाय के प्रति समर्पित नहीं होते हैं और उनमें जिम्मेदारी का भी भाव नहीं होता है। इसके साथ ही नगरी निकाय के रिक्त पदों पर पूर्णकालिक रूप से कर्मचारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया को शुरू किया जाए।

    कर्मचारी रिटायर होते हैं… नए रखे ही नहीं जाते हैं… अस्थायी से काम चलाते हैं…
    नगर निगम में हर साल कई कर्मचारी रिटायर होते हैं, लेकिन इन कर्मचारियों के बदले में नए कर्मचारी की नियुक्ति नहीं की जाती है। इनके बदले अब तक अस्थायी कर्मचारियों एवं मस्टरकर्मियों से काम चलाया जा रहा था, लेकिन अब निगम ने आउटसोर्स से कर्मचारी बुलाना शुरू कर दिए। इसका मतलब यह है कि कर्मचारी सप्लाय करने वाले ठेकेदारों से कर्मचारियों को बुलवाकर काम कराना शुरू कर दिया है। निगम में कर्मचारी नहीं बढ़ाए जाने का कारण यह है कि इससे निगम पर वेतन का जबरदस्त भार पड़ता है। वहीं काम न होने की स्थिति में भी कर्मचारियों को वेतन देना पड़ता है, लेकिन आउटसोर्स से जितना काम उतना दाम की नीति पर कम पैसों में काम चलाया जाता है। हालांकि आउटसोर्स से आए कर्मचारी काम के लिए दोगुना चार्ज करते हैं।

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