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स्त्रियों के लिए समान दृष्टिकोण जरूरी: नमिता गोखले

– अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ का समापन, अंतिम दिन 23 कार्यक्रमों में 160 साहित्यकारों ने लिया भाग

भोपाल (Bhopal)। प्रख्यात लेखिका और प्रकाशक नमिता गोखले (Namita Gokhale) ने कहा कि सही मायने में नारीवाद का मतलब (meaning of feminism) सभी के लिए समान दृष्टि (common vision for all) होना है। उन्होंने प्राचीन काल से महिलाओं द्वारा लिखे साहित्य की चर्चा करते हुए कहा कि लेखन की परंपरा (tradition of writing) आज भी जारी है। वक्ता सी. मृणालिनी ने नारी साहित्य की उपयोगिता को रेखांकित करते हुए कहा कि इस साहित्य ने नारी स्वतंत्रता के नए द्वार खोले हैं।


नमिता गोखले राजधानी भोपाल में आयोजित चार दिवसीय एशिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ के अंतिम दिन नारीवाद और साहित्य विषय पर महत्वपूर्ण सत्र की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रही थीं। रविवार को इस उत्सव में अंतिम दिन कुल 23 सत्रों का आयोजन हुआ, जिनमें 160 से अधिक साहित्यकारों ने भाग लिया।

दरअसल, आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने, साहित्य सृजन और संरक्षण करने की प्रतिज्ञा के साथ एशिया के सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय साहित्य उत्सव ‘उन्मेष’ का भोपाल के रविन्द्र भवन में गत 03 अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा शुभारम्भ किया गया था। रविवार को इसका शानदार समापन हुआ।

इस अंतरराष्ट्रीय उत्सव के अंतिम दिन आदिवासी कवि सम्मेलन के साथ भारत की सांस्कृतिक विरासत, नारीवाद साहित्य और साहित्य के मूल्य, भारत के महाकाव्य, भारत की सौम्य शक्ति, स्वतंत्रता आंदोलन में पुस्तकों की भूमिका और भारतीय भाषाओं में प्रकाशन पर विचार विमर्श हुआ। एसएल भैरप्पा, सुरजीत पातर, विश्वास पाटिल, प्रयाग शुक्ल, के. शिवा रेड्डी, आलोक भल्ला, वसंत निरगुने, रमेश आर्य, मदन मोहन सोरेन और महादेव टोप्पो आदि ने अपने विचार रखें।

नारीवाद और साहित्य विषय पर महत्वपूर्ण सत्र में प्रसिद्ध साहित्यकार लीना चंदोरकर ने कहा कि जिस दिन नारी अपने जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय स्वयं ले सकेगी, वह तभी आजाद होगी। प्रीति शिनॉय ने महिलाओं के लिए समान वेतन और आर्थिक समानता पर बल दिया। सोनोर झा ने कहा कि आर्थिक समानता की शुरुआत हमें अपने घरों से ही करनी होगी।

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