देश स्‍वास्‍थ्‍य

एम्स के सर्वेक्षण में खुलासा: कोरोना से ठीक होने के बाद भी अब हो रहीं नई प्रकार की बीमारियां

नई दिल्ली। कोरोना वायरस (Covid-19) से संक्रमित होने के बाद ठीक हुए मरीज को हेल्थ (Helth) से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जैसे कोरोना (Covid-19) के उपचार (remedy) के लिए अस्पताल में भर्ती हुए मरीज ठीक होने के 24 माह बाद भी पूरी तरह फिट नहीं हो पाए हैं। ये लोग महज 400 से 500 मीटर चलने पर ही उतनी थकान महसूस कर रहे हैं, जितनी कि दो साल पहले दो से तीन किलोमीटर चलने के बाद होती है। इतना ही नहीं, कई लोग नींद न आना, बाल झड़ना, सांस फूलना, घुटनों में दर्द, जोड़ो में दर्द से परेशान हैं।

यह खुलासा नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने पोस्ट कोविड स्थिति को लेकर एक सर्वे के जरिये चिकित्सकीय अध्ययन पूरा किया है, जिसे डोवप्रेस मेडिकल जर्नल में प्रकाशित कर किया है। इस अध्ययन में डॉक्टरों ने कोरोना की पहली और दूसरी लहर में संक्रमित देश के अलग-अलग हिस्सों से मरीजों का चयन कर उनसे दैनिक दिनचर्या के बारे में बातचीत की तो पता चला कि 2020 और 2021 के दौरान अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया है। वे कोरोना से ठीक तो हो गए लेकिन अभी भी आठ घंटे की नौकरी कर पाना उनके लिए काफी मुश्किल रहता है।



एम्स के पूर्व निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया की निगरानी में यह अध्ययन किया गया है, जिसमें अलग-अलग राज्यों से 1,800 से ज्यादा मरीजों का चयन किया गया। इन मरीजों से फोन के जरिये संपर्क किया गया और उनकी वर्तमान दिनचर्या को लेकर कुछ सवाल पूछे। इसमें 79.3 फीसदी लोगों ने थकान, जोड़ो का दर्द (33.4%), वात रोग (29.9%), बालों का झड़ना (28.0%), सिरदर्द (27.2%), सांस फूलना (25.3%) और 25.30 फीसदी लोगों ने रात भर नींद नहीं आने की परेशानी बताई है।
एम्स के डॉक्टरों का कहना है कि जो लोग कोरोना की चपेट में आने के बाद गंभीर रूप से बीमार पड़े उन्हें अस्पताल में दाखिला लेना पड़ा। इस बीच इन्हें काफी एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करना पड़ा।

अध्ययन के अनुसार, पोस्ट कोविड की व्यापकता 12 सप्ताह में घटकर 12.8 फीसदी दर्ज की गई है। महिला, वृद्धावस्था, ऑक्सीजन की खुराक, गंभीर बीमारी की गंभीरता और पहले से मौजूद अन्य बीमारियां पोस्ट कोविड से जुड़े हुए कारण हैं।

कोरोना रोधी टीका ने 39 फीसदी रोका पोस्ट कोविड : अध्ययन में यह भी पुष्टि की गई है कि कोरोना रोधी टीका ने न सिर्फ लोगों में पर्याप्त एंटीबॉडी विकसित कर संक्रमण से बचाव किया है, बल्कि जिन लोगों में पोस्ट कोविड की आशंका थी उनमें से 39 फीसदी लोगों में टीका की बदौलत लक्षण नहीं हावी हो पाए और ये लोग पोस्ट कोविड की स्थिति में आने से बच गए।

Share:

Next Post

क्यों मगरमच्छ और घड़ियाल के आंसू होते हैं झूठे ? जानिए इस कहावत के पीछे की वजह

Tue Oct 4 , 2022
नई दिल्‍ली । हमने बचपन से तमाम ऐसी कहावतें सुनी हैं, जिन्हें हम धड़ल्ले से इस्तेमाल भी करते हैं, लेकिन कई बार हम इन कहावतों के पीछे की असल वजह नहीं जानते हैं. कुछ ऐसी ही कहावतों में शामिल है – मगरमच्छ के आंसू (Crocodile Tears) बहाना. आखिर घड़ियाल और मगरमच्छ के आंसू में ऐसे […]