नई दिल्ली। कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने शारीरिक सेहत के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाया है. एक नई स्टडी से पता चलता है कि गंभीर कोविड संक्रमण के कारण होने दिमागी क्षमताओं पर भी बुरा असर पड़ता है, जिसमें सोचने, याद रखने और तर्क करने लेने की योग्यता पर प्रभावित होती है.
इन वैज्ञानिकों (scientists) का कहना है कि प्रत्येक 10 में से एक कोविड-19 रोगी स्वस्थ होने के कुछ महीनों बाद न्यूरोलॉजिकल समस्याओं का सामना कर सकता है.
वियॉन में छपी रिपोर्ट के अनुसार, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी और इंपीरियल कॉलेज के वैज्ञानिकों की एक टीम नेअपनी स्टडी में यह पाया है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण 50 से 70 वर्ष की आयु में दिमागी क्षमताएं बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं.
वैज्ञानिकों की इस टीम ने 46 रोगियों के डेटा की जांच की, जिन्हें कोविड के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इन मरीजों में गंभीर बीमारी (serious illness) के 6 महीने बाद रोगियों को विस्तृत संज्ञानात्मक परीक्षण करने के लिए कहा गया, जिसमें उनकी स्मरण और तर्क शक्ति की जाँच हुई.
जिसमें यह पाया गया कि कोविड से स्वस्थ हुए लोगों अपनी प्रतिक्रिया देने में अधिक समय ले रहे थे और उनके जवाब भी ज्यादा सटीक नहीं थे.
क्या हैं लॉन्ग कोविड लक्षण?
दरअसल कोरोना से स्वस्थ होने के बाद भी अगर कई महीनों तक इसके लक्षण बने रहते हैं तो इन्हें लॉन्ग कोविड सिम्पटम कहा जाता है. कई अध्ययनों में यह सामने आया है कि 10 से 20 फीसदी लोग इस तरह की परेशानी का अनुभव कर रहे हैं.
लॉन्ग कोविड के प्रमुख लक्षणों में थकान, शरीर में दर्द, सांस फूलना, सोचने की शक्ति में कमी, याददाश्त कमजोर होना आदि लक्षण शामिल हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोविड संक्रमण से स्वस्थ हो चुके लोगों को इन लक्षणों को लेकर सतर्कता बरतनी चाहिए ताकि समय रहते इनका पता लगाकर उचित इलाज किया जा सके.
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