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चीन से आने वाली छोटी से छोटी FDI के लिए भी अब सरकार से लेना होगी मंजूरी


नई दिल्ली। कोरोना काल के बीच चीन ने भारत में निवेश करना शुरू किया था, जिससे सजग होकर मोदी सरकार ने अप्रैल के महीने में पड़ोसी देशों से आने वाले एफडीआई पर नजर रखना शुरू कर दिया। ये तय हुआ कि इन देशों से ऑटोमेटिक रूट के जरिए एफडीआई नहीं होगी। हालांकि, तब इस बात पर भी चर्चा हुई थी इसकी कोई सीमा तय की जाएगी जिससे अधिक का निवेश होने पर उसे पहले सरकार की मंजूरी लेनी होगी।

अब इस पर चर्चा होते-होते 6 महीने बीत चुके हैं और फैसले में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। माना जा रहा था कि एफडीआई की अधिकतम सीमा कंपनीज एक्ट के तहत 10 फीसदी या फिर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत 25 फीसदी तय की जा सकती है, लेकिन अब एक अधिकारी से पता चला है कि सरकार ने कोई भी अधिकतम या न्यूनतम सीमा तय नहीं की है। यानी चीन जैसे पड़ोसी मुल्कों से आने वाली एफडीआई भले ही कितनी भी बड़ी हो या कितनी भी छोटी क्यों ना हो, उसके लिए पहले सरकार की इजाजत लेनी होगी।

सरकार ये सब इसलिए कर रही है ताकि चीन की कंपनियां सिंगापुर या मॉरिशस जैसे किसी तीसरे देश के जरिए भी भारत में एंट्री ना करें। सरकार के इस कदम को पेटीएम, जोमैटो और बिगबास्केट जैसे स्टार्टअप भी करीब से देख रहे हैं, जिनमें चीन का काफी निवेश है। अगले कुछ दिनों में पड़ोसी देशों से निवेश को लेकर बनाई जाने वाली गाइडलाइंस भी फाइनल हो जाने की संभावना है।

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