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अमेरिका के हार्वर्ड विश्‍वविद्यालय में विदेश मंत्री जयशंकर का संबोधन, ये कहीं बड़ी बातें…

न्‍यूयॉर्क । अमेरिका (US) के हार्वर्ड विश्‍वविद्यालय (Harvard University) में अपने संबोधन में पिछले दो दशकों में भारत-अमेरिका संबंधों (Indo-US Relations) में परिवर्तन को रेखांकित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने कहा कि इस परिवर्तन में एक प्रमुख भूमिका मानवीय तत्व का रहा है जिसमें 44 लाख भारतीय प्रवासी (Indian Diaspora) शामिल हैं, जिन्होंने भारत की छवि  को परिभाषित किया है।

दरअसल, भारत-अमेरिका के बीच ‘टू-प्लस-टू’ मंत्रिस्तरीय बैठक के लिए अमेरिका पहुंचे विदेश मंत्री एस जयशंकर हॉवर्ड यूनिवर्सिटी के छात्रों और विद्वानों और शोधकर्ताओं को संबोधित करने पहुंचे थे। इस दौरान उनके साथ अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भी छात्रों को संबोधित किया। यहां उन्होंने “यूएस-इंडिया हायर एजुकेशन डिस्कशन” विषय पर अपनी बात रखी। इस आयोजन को दोनों देशों के बीच ‘शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण पर कार्य समूह’ बनाने के अवसर के रूप में देखा जा रहा है।

हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन में पिछले दो दशकों में भारत-अमेरिका संबंधों में परिवर्तन को रेखांकित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इस परिवर्तन में एक प्रमुख भूमिका मानवीय तत्व का रहा है जिसमें 44 लाख भारतीय प्रवासी शामिल हैं, जिन्होंने भारत की छवि को परिभाषित किया है। उन्होंने कहा कि हमारे संबंधों को विकसित करने के लिए यह आवश्यक है कि अमेरिका के युवाओं को भारत और दुनिया की बेहतर समझ हो।

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भी हॉवर्ड विश्वविद्यालय के छात्रों, शिक्षकों और नेतृत्व के साथ बातचीत में भाग लिया। ब्लिंकेन और जयशंकर ने अमेरिका में काम करने वाले भारतीय छात्रों, विद्वानों और शोधकर्ताओं और अमेरिकी छात्रों, विद्वानों और शोधकर्ताओं के साथ बातचीत की, जिन्होंने भारतीय उच्च शिक्षा संस्थान में अध्ययन, काम या शोध किया है।



जयशंकर ने ब्लिंकेन की उपस्थिति में कहा कि हम स्वाभाविक भागीदार तभी बनते हैं जब हमारे लोगों में जुड़ाव की मजबूत भावना होती है। जयशंकर ने कहा कि “हावर्ड विश्वविद्यालय केवल हमारे साझा अतीत का हिस्सा नहीं है। यह भविष्य का भी एक हिस्सा है जो हमारी प्रतीक्षा कर रहा है। हमारा मानना है कि हमारे भविष्य में एक बड़ी भूमिका दोनों देशों के बीच संबंधों द्वारा निभाई जाएगी। दोनों देशों के संबंधो में पिछले दो दशकों में काफी सकारात्मक परिवर्तन आया है। चाहे वह हमारा रणनीतिक या सुरक्षा सहयोग हो या हमारी अर्थव्यवस्था या प्रौद्योगिकी साझेदारी हो, यह विश्व के मामलों में अपनी भूमिका तेजी से महसूस कर रहा है।”

जयशंकर ने कहा कि कोविड का अनुभव हम सभी के लिए काफी तनावपूर्ण रहा है। इसने हमें यह भी दिखाया कि दुनिया भर में दोस्ती और रिश्ते क्या कर सकते हैं… हम भारत में तीन कोविड वैक्सीन का उत्पादन कर रहे हैं, जो अमेरिका के साथ हमारे संबंधों का प्रत्यक्ष परिणाम हैं। दोनों देशों के नीति-निर्माता हमारे शैक्षिक सहयोग से आने वाले अपार परिवर्तन से भली-भांति परिचित हैं। हमारी 2020 की राष्ट्रीय शैक्षिक नीति शिक्षा भी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्राथमिकता देती है।

उन्होंने कहा कि पिछले साल भारत में हमने कोविड के डेल्टा वेरिएंट की एक बहुत ही गंभीर लहर का सामना किया। इस दौरान देश में ऑक्सीजन, श्वासयंत्र और कुछ दवाओं की भारी मांग थी। बहुत सारे देश मदद के लिए आगे आए लेकिन एक देश जो वास्तव में मदद में सबसे आगे रहा, वो अमेरिका था।

भारत-अमेरिका संबंधों के बारे में बोलते हुए जयशंकर ने कहा कि संबंधों का सबसे शक्तिशाली प्रतीक महात्मा गांधी और डॉ मार्टिन लूथर किंग जूनियर के बीच का प्रेरक बंधन हैं। “वह बंधन हॉवर्ड थुरमन के साथ संबंधों के माध्यम से बना था, जो चैपल के डीन के थे और बाद में डॉ विलियम स्टुअर्ट नेल्सन द्वारा इसे बढ़ाया गया, जो एक धर्मिक के स्कूल के डीन थे। उन्होंने कहा, “हम भारत में सामाजिक विकास परियोजनाओं को लागू करने के लिए गांधी-किंग डेवलपमेंट फाउंडेशन के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

जयशंकर ने कहा, “अमेरिका के साथ संबंधो के तौर पर हम क्वाड जैसी गतिविधियों सहित एसटीईएम क्षेत्र पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मेरे सहयोगी, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान हमारे संबंधों के इस महत्वपूर्ण पहलू को विकसित करने में और अधिक गहनता से शामिल होने की आशा कर रहे हैं।”

हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में अपने संबोधन में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने कहा कि मुझे विश्वास है कि अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी 21वीं सदी की समस्याओं के समाधान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण और आवश्यक है। आपका काम उस रिश्ते का केंद्र बिन्दु है।

ब्लिंकेन ने कहा कि “कोविड के दौरान, जो काम हमने (अमेरिका-भारत) एक साथ किया है, वह केवल हमारे दोनों देशों के लाभ के लिए नहीं है, यह पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उससे आगे के देशों के लाभ के लिए है। हमारे सांस्कृतिक और शैक्षिक संबंध हर साल बढ़ते जा रहे हैं। हम अविश्वसनीय रूप से भाग्यशाली हैं कि हमारे विश्वविद्यालयों में 2,00,000 भारतीय पढ़ रहे हैं और हमारे परिसरों और साथी नागरिकों को समृद्ध कर रहे हैं।”

ब्लिंकेन ने कहा, “क्वाड साझेदारी जिसे हमने एक साथ रखा है, के तहत 500 मिलियन टीके दान किए जा रहे हैं। यदि हम अन्य देशों के साथ मिलकर काम नहीं कर रहे होते, और भले ही हमने अपने घर पर सब कुछ ठीक कर लिया होता, तो ये वायरस कहीं और फैलता रहता और इसके नए रूप विकसित होते, तो कोई एक वैरिएंट वापस आ सकता है और हमें प्रभावित सकता है।”

उन्होंने कहा कि हम देखते हैं कि कई अमेरिकी छात्र फुलब्राइट या गिलमैन फेलोशिप जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से भारत में पढ़ रहे हैं और काम कर रहे हैं। लोगों के लिए एक-दूसरे से सीखना जारी रखना आसान बनाने के लिए, हमने शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण पर एक कार्य समूह की घोषणा की है। यह नए संयुक्त अनुसंधान कार्यक्रमों को विकसित करने के लिए भारत और अमेरिका में शैक्षणिक संस्थानों को एक साथ लाएगा। समूह विश्वविद्यालयों के लिए विनिमय कार्यक्रमों में भागीदारी के लिए अधिक अवसर पैदा करने पर भी ध्यान केंद्रित करेगा।

सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल में यूएस-इंडिया पॉलिसी स्टडीज में वाधवानी चेयर, रिचर्ड रोसो ने कहा कि अमेरिका-भारत उच्च शिक्षा सहयोग पर बात करने के लिए हॉवर्ड यूनिवर्सिटी में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन और भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ मुलाकात बहुत अच्छी रही।

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