नई दिल्ली: Festival Season Sale पूरे देश में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से चल रही है. जहां हर कोई अपने घर में आराम से ऑनलाइन शॉपिंग कर रहा है, वहीं नकली वेबसाइटों की संख्या में वृद्धि हुई है. इस फेस्टिव सीजन सेल के दौरान कई फेक ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म खरीदारों को ठग रहे हैं.
उन साइटों में वृद्धि हुई है, जहां सस्ता स्मार्टफोन और घड़ियां दिखाकर लोगों को लूटा जा रहा है. ऑनलाइन शॉपिंग करने वालो को इस स्थिति का शिकार होने से बचाने के लिए साइबर अधिकारी आगे आए हैं. अधिकतर, ये ऑनलाइन स्कैमर ऑफ़र की तलाश में खरीदारों को ठगने के लिए फेसबुक एड नेटवर्क का उपयोग कर रहे हैं.
फर्जी वेबसाइट बनाकर लगा रहे लोगों को चूना
ऐसा ही एक पोर्टल है, जिसने सैकड़ों हजारों भारतीय यूजर्स को आकर्षित किया है, वह है Wellbuymall डॉट कॉम. पोर्टल को अब बंद कर दिया गया है, लेकिन इसने पहले ही तकनीकी उत्पादों को बेचने के नाम पर खरीदारों को ठगा है. जैसे ही ऑर्डर प्लेस होता है और सामने वाला व्यक्ति पैसे ट्रांसफर करता है, तो साइट गायब हो जाती है.
साइबर फ्रॉड के शिकार ने सुनाई पूरी कहानी
साइबर फ्रॉड के शिकार सुजीत वर्मा ने स्कैमडवाइजर डॉट कॉम पर पोस्ट किया कि उन्होंने एक ऑर्डर दिया था और ऑनलाइन भुगतान किया था, लेकिन Wellbuymall डॉट कॉम की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, साथ ही उनको ऑर्डर भी नहीं मिला. एक अन्य पीड़ित, सुनील गुप्ता ने कहा कि उसने एक एसएसडी के लिए एक ऑर्डर दिया और भुगतान किया.
फेसबुक विज्ञापनों पर लिस्टेड फर्जी वेबसाइट ने उसके बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. हाल ही में, गुड़गांव के एक खरीदार आयुष ने स्मार्टफोन के लिए एक मिनी-पॉकेट चार्जर का ऑर्डर दिया, जिसकी कीमत 1,668 रुपये थी. उसे भी डिलीवरी नहीं मिली. खरीदार ने ई-कॉमर्स वेबसाइट के खिलाफ गुरुग्राम पुलिस साइबर क्राइम सेल में शिकायत दर्ज कराई.
ऐसे बनाते हैं हजारों लोगों को शिकार
वेबसाइट को अब हटा लिया गया है. सर्च करने पर अब चीनी भाषा में ‘Site Not Found’ लिखा आ रहा है. ये ऑनलाइन स्कैमस्टर एक साधारण तरीके से काम करते हैं, वे सिर्फ एक फेसबुक विज्ञापन या प्रोफाइल बनाते हैं और अपने पेज के माध्यम से उत्पाद बेचते हैं. ऑर्डर देने और भुगतान करने पर साइट बताती है कि डिस्पैच होने में थोड़ा वक्त लगेगा. जैसे ही ग्राहक को समझ आता है कि यह एक घोटाला है, तब तक घोटालेबाज पैसा कमाकर साइट को बंद कर देते हैं.
साइबर विशेषज्ञों के अनुसार, फेसबुक को यूजर फीडबैक प्राप्त करने और यह पता लगाने में एक महीने का समय लगता है कि किसी विज्ञापनदाता का पेज असली है या नहीं. साइबर घोटालेबाजों के लिए जल्दी पैसा बनाने और भागने के लिए यह अवधि पर्याप्त है. कम समय में धोखेबाज इस तरह कई लोगों को चूना लगा देते हैं.
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