इन्दौर। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के सभी नगर निगम के लिए बनाए गए पोर्टल ने आखिरकार कल से काम करना शुरू कर दिया। इस पोर्टल के डाटा में भरपूर गड़बड़ी है। कल 37 दिन के बाद इंदौर नगर निगम को खजाने में टैक्स से 20 लाख रुपए मिल सके हैं। सरकार द्वारा प्रदेश के सभी नगर निगम में संपत्ति कर, जल कर और अन्य कर जमा करने के लिए एक ही पोर्टल बनाया हुआ है। यह पोर्टल पहले तो हैक हो गया था। उसके बाद में जैसे-तैसे करके कई महीनों के प्रयास से पोर्टल को रिकवर किया गया। यह पोर्टल लगातार समस्या का कारण बन रहा है। 31 मार्च को वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद पोर्टल में डाटा अपडेट करने के नाम पर इसे बंद कर दिया गया था। नए वित्त वर्ष में एडवांस टैक्स जमा करने वाले नागरिकों को संपत्ति कर में जो छूट की दी जाती है, उसकी एंट्री इस पोर्टल में होना थी। इस कार्य के लिए पोर्टल मूलत: तो 4 दिन के लिए बंद किया गया था, लेकिन यह पोर्टल 37 दिन बाद जाकर कल शुरू हुआ है।
निगम के राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कल गुरुवार को दोपहर के बाद इस पोर्टल में काम करना शुरू किया। जैसे ही पोर्टल शुरू हुआ, वैसे ही इंदौर नगर निगम में विभिन्न टैक्स के रूप में नागरिकों द्वारा इस पोर्टल के माध्यम से 20 लाख रुपए की राशि जमा कर दी गई। जब अधिकारियों द्वारा पोर्टल को चेक किया गया तो उन्होंने यह पाया कि इसके डाटा में काफी गड़बड़ी है। ऐसे में जो बकाया राशि की मैनुअल शीट निगम के अधिकारियों द्वारा निकाली गई है, उस शीट को देखकर ही पैसे जमा करवाए जा सकेंगे। इस पोर्टल के भरोसे यदि पैसे जमा करने का काम किया गया तो बहुत गड़बड़ हो जाएगी।
कल है लोक अदालत
इस वित्त वर्ष की पहली लोक अदालत कल 10 मई को आयोजित की जा रही है। इस लोक अदालत में बकाया टैक्स जमा करने वाले नागरिकों को अधिभार से छूट मिलती है। नगर निगम हमेशा लोक अदालत के माध्यम से कम से कम 25 करोड रुपए की राशि अर्जित कर लेता है। इस बार पोर्टल के बंद होने के कारण निगम द्वारा लोक अदालत के माध्यम से पैसे जमा करवाने के लिए कोई तैयारी नहीं की जा सकी है। अलबत्ता कल से विभिन्न संपत्ति मालिकों को एसएमएस द्वारा लोक अदालत में बकाया टैक्स की राशि जमा करने की सूचना दी जा रही है। अधिकारियों को अभी इस बात में संशय है कि कल भी पोर्टल चलेगा या नहीं।
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