भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

वन मंडल की लाइंग स्कॉड के पास केवल 6 बंदूकें, 46 कारतूस, वे भी थाने में जमा

  • आखिर वनकर्मी जंगल की सुरक्षा कैसे करेंगे?
  • जान दांव पर लगाकर डंडों के सहारे करते हैं जंगल में गश्त

भोपाल। 6 बंदूकें और 46 कारतूसों के सहारे आखिर वनकर्मी जंगल की सुरक्षा कैसे करेंगे? भोपाल वन मंडल की लाइंग स्कॉड के पास वर्तमान समय में कुल 6 बंदूकें ही हैं। इनमें 3 सिंगल बेरल की बाराबोर और तीन पंप एक्सल बंदूक हैं। इन बंदूकों के लिए करीब 46 कारतूस हैं। इन सभी असलहों में चलने वाले असलहे कौन से हैं? ये वन मंडल को नहीं पता। बंदूक के अलावा कु ल कितने कारतूस सही हैं, ये भी उडऩदस्ते के अधिकारी नहीं जानते। वर्तमान में जहां एक तरफ अपराधियों के हाथों में नाइन एमएम और 32 बोर की अवैध पिस्टल और बंदूक( रिवाल्वर) हैं तो दूसरी तरफ वनकर्मियों के पास 12 से 20 वर्ष पुरानी पंप एक्सेल गन और सिंगल बैरल की बारा बोर बंदूकें हैं। इनमें से कितनी सही और कितनी खराब हो चुकी हैं, इसकी जानकारी भी वन कर्मियों को नहीं है। नतीजा कि ये बिना हथियार के ही जंगल में कॉंबिंग करते हैं। वजह साफ है हथियार होने के बाद भी उन्हें जहांगीराबाद थाने में जमा कर रखा गया है,क्योंकि चलाने की अनुमति नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि क्योंकि उडऩदस्ता ऑफिस इसी थानातंर्गत आता है, लिहाजा हथियार यहां जमा किए गए हैं। वहीं कभी जंगल में मुठभेड़ या तस्करों से आमना-सामना हो जाता है तो विभाग को अपनी भद्द पिटवानी पड़ती है। पूर्व में फारेस्ट के कर्मचारियों पर शिकारियों और तस्करों द्वारा हमलों की कई घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं।

बंदूक की गोलियां तक हो गई हैं खराब
वन विभाग में सिंगल बैरल और पंप एक्सल बंदूकें हैं। इनमें से लगभग 20 कारतूस को सिंगल बैरल बारा बोर के हैं, जबकि 26 कारतूस पंप एक्सल बंदूक के हैं। सूत्र बताते हैं कि बंदूक वाले बहुत से कारतूस खराब हो चुके हैं। वर्षों पहले इन्हें मालखाने से रेंज और बीट में भेजा गया था। हालांकि सभी बीट के रेंज व प्रभारी रेंजरों के पास केवल एक-एक सर्विस रिवालवर मौजूद हैं।


मालखानों में सभी रेंज के हथियार
इन सभी रेंज के बीट में असलहे आवंटित हैं, लेकिन वर्तमान में सभी मालखाने में रखे हैं। वजाह बताई जाती है कि पिछले साल लटेरी में शिकारियों और फारेस्ट के बीच मूठभेड़ हुई थी, तब फारेस्ट की ओर से क्रास फायरिंग की गई। जिसमें एक शिकारी की जान चली गई थी। इस मामले में फारेस्ट रेंजर सहित अन्य कर्मचारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया था। विरोध स्वरूप डिपार्टमेंट की ओर से हथियारों को मालखानों में जमा कर दिया गया था। क्योंकि जब आत्मरक्षा में उसे चलाने की अनुमति ही नहीं है तो उन्हें रखने का क्या फायदा।

नहीं दिया जा रहा बंदूक चलाने का प्रशिक्षण
भोपाल जिले में वन विभाग के रेंजर और वन रक्षकों की तैनाती के बाद आज की तारीख तक हथियार चलाने का प्रशिक्षण नहीं दिया जा सका। ऐसे में जो असलेह हैं वो जरूरत पडऩे पर चलेंगे या नहीं? वनकर्मी चला पाएंगे भी या नहीं, खुद में एक बड़ा सवाल है। शायद, तभी तो बिना हथियार के ही वन दरोगा, फ ॉरेस्ट गार्ड( वन रक्षक) जंगल में निरीक्षण या दौरा करते हैं। फारेस्ट सूत्र बताते हैं कि उन्हें अपने हथियारों पर भरोसा ही नहीं है कि वह चलेंगे भी या नहीं। भोपाल वन मंडल में चार वन रेंज हैं। जिसमें बैरसिया वन रेंज मेें 15 बंदूकें, नजीराबाद में आधा दर्जन से अधिक तथा समरधा वन रेंज मेें 12 और भोपाल उडऩदस्ता में 6 बंदूके शामिल हैं। दो अन्य रेंज हैं जिसमें केवल आफिश्यिल कार्य किए जाते हैं। सभी रेंज में लगभग पांच बीट हैं, इन्हीं के जि मे वन क्षेत्र की निगरानी और तस्करी रोकना होता है। इन बीटों में एक सिंगल बैरल और एक पंप एक्सल बैरल बंदूक दी गई है।

इनका कहना है
भोपाल वन मंडल की लाइंग स्कॉड के पास तीन पंप एक्सल और तीन सिंगल बैरल की बारा बोर बंदूक हैं। सभी जहांगीराबाद थाने में जमा हैं। केवल मेरे पास सर्विस रिवालवर है। जो ड्यूटी के दौरान हर वक्त मेरे पास होती है। कारतूस पूर्व में कब आवंटित हुए जानकारी नहीं है। उडऩदस्ते के कर्मचारियों को पूर्व में कब बंदूक चलाने की ट्रैनिंग दी गई मुझे जानकारी नहीं है।
अनिल शर्मा, रेंजर लाइंग स्कॉड भोपाल वन मंडल

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