ब्‍लॉगर

आम बजट में आत्मनिर्भरता, गांव व किसानों की मजबूती का संदेश

– मृत्युंजय दीक्षित

कोरोना महामारी के महासंकट के बाद केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण का बजट बहुत सराहनीय व साहसिक बजट माना जा रहा है। शेयर बाजार में बजट का शानदार स्वागत किया जा रहा है। इससे पता चल रहा है कि यह बजट स्वतंत्र व निष्पक्ष रूप से विकास का बजट है। यह देश के किसानों को भी साफ संदेश दे रहा है कि अपनी हठधर्मिता त्यागकर दो कदम आगे बढ़ें और देशहित की साचें।

यह बजट स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत को अवश्य ही आत्मनिर्भर बनाने में सहायक हो सकेगा। साथ ही बजट में कृषि सहित समाज के सभी वर्गों के विकास को ध्याान में रखा गया है। विशेषज्ञों ने बजट की सराहना की है लेकिन देश के विरोधी दल केवल विरोध के लिये विरोध करते नजर आ रहे हैं। यह बजट समग्र विकास की दृष्टि रखता है। अभीतक जो बजट पेश किये जाते थे उनमें अक्सर जातिवाद व अल्पसंख्यकवाद की गहरी छाप होती थी लेकिन अब विकासवाद के साथ आत्मनिर्भरता की छाप दिखाई पड़ रही है।


बजट पेश होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा भी कि किसान और गांव केंद्रीय बजट के दिल में है। इस बजट में कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिये कई बड़े कदम उठाये गये हैं। बजट में चुनाव वाले राज्यों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। यह बीजेपी को कितना लाभ पहुंचायेगी यह आने वाला समय बतायेगा लेकिन यह एक साहसिक बजट जरूर है क्योंकि इसमें कोई नया कर नहीं लगाया गया है। बिना अतिरिक्त बोझ बढ़ाये बजट पेश करना बहुत साहसिक कदम है। इतने मुश्किल हालात में यह बजट पेश हुआ और बजट में वास्तकिता के साथ विकास का विश्वास है। बजट में पीएम आत्मनिर्भर स्वस्थ भारत योजना की घोषणा की गयी है । स्वास्थ्य के क्षेत्र में इसबार एकमुश्त 137 फीसद की बढ़ोत्तरी की गयी है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में अब आनेवाले दिनों में निश्चय ही बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे।

वित्तमंत्री ने बजट भाषण में साफ कर दिया कि आम लोगों को गुणवत्ता और सस्ते इलाज के लिए सिर्फ निजी क्षेत्र के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता बल्कि सरकार इसकी जिम्मेदारी उठाने को तैयार है। सरकार की कोशिश सिर्फ बीमारियों के बेहतर इलाज का ढांचा तैयार करना नहीं है बल्कि बीमारियों को होने से पहले रोकने के उपायों पर समान रूप से जोर दिया जायेगा। वहीं, आम जनता के स्वस्थ सुखी जीवन के लिए 2018 में आयुष्मान भारत योजना के तहत खोले जा रहे हेल्थ और वेलनेस सेंटर के ढांचे को मजबूत किया जायेगा। सरकार अब नर्सिंग शिक्षा में भी सुधार करने जा रही है तथा स्वास्थ्य सेवाएं पेशेवर हाथों में भी देने की तैयारी कर रही है। इसबार स्वास्थ्य के क्षेत्र में अभूतपूर्व कदम उठाये गये हैं।

किसान आंदोलन के बीच केंद्र सरकार के बजट में गांव, गरीब और किसानों का भरपूर ध्यान रखा गया है। केंद्रीय वित्तमंत्री ने किसान आंदोलन में शामिल संगठनों को संकेत देते हुए ऐलान किया है कि एमएसपी जारी रहेगी और कृषि मंडियां भी चलती रहेंगी अपितु उन्हें और अधिक मजबूत बनाया जा रहा है। स्वास्थ्य के बाद कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पेट्रोल-डीजल समेत कुछ उत्पादों पर सेस लगाया गया है। आंदोलन कर रहे किसानों को बजट के माध्यम से संदेश दिया गया है कि सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लिए तथा उन्हें हर प्रकार से आत्मनिर्भर व मजबूत बनाने के लिए कृतसंकल्प है।

आम बजट के तीसरे आधार स्तंभ में आकांक्षी भारत व समग्र विकास के शीर्षक में कृषि, किसान और गांव को प्राथमिकता दी गयी है। कृषि क्षेत्र को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम पहल की गयी है। आयातित सभी कृषि उत्पादों पर एग्री सेस (उपकर) लगाया गया है। बजट में सरकारी मंडियों के ढांचे को मजबूत करने की घोषणा की गयी है। किसानों को आसान व सस्ती दरों पर कर्ज की राशि बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ रुपये कर दी गयी है। एक हजार कृषि मंडियों को पोर्टल से जोड़ने के लिये आनलाइन किया जायेगा। वित्तमंत्री ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य का डेढ़ गुना दाम देने से किसानों को इसका लाभ मिला है। इसके साथ ही कृषि उपज की रिकार्ड खरीद हो रही है। बजट में पशुधन, डेयरी व मत्स्य क्षेत्र के सहारे कृषि क्षेत्र की विकास दर को गति देने का प्रावधान किया गया है।

आपरेशन ग्रीन योजना में अब 22 कृषि उत्पाद शामिल किये गये हैं। अभी यह योजना सिर्फ आलू, टमाटर और प्याज के लिए थी। किसानों की आय बढ़ाने के लिये शुरू की गई इस स्कीम का उद्देश्य किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ना है। इसके माध्यम से एफपीओ, मार्केंटिंग फेडरेशन, स्वयं सहायता समूह, फूड प्रोसेगिंग कंपनियों को अनुदान भी दिया जाता है। प्रवासी श्रमिकों की मदद के लिए अब एक देश और एक राशनकार्ड योजना पूरे देश में लागू की जा रही है।

बजट में ग्रामीण विकास की योजनाओें को पूरा महत्व मिला है। ग्रामीण विकास के लिए इसबार 40 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। ग्रामीण गरीबों के लिए आवास बनाये जाने का भी ऐतिहासिक प्रावधान किया गया है। प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना की शानदार सफलता के बाद अब इस योजना को देशभर में लागू किया जा रहा है। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में मकानों के स्वामित्व का कानूनी हक दिया जाता है। इससे गांवों में मकान बनाने अथवा बने मकानों पर बैंकों से लोन लेने का रास्ता साफ हो जायेगा। गांवों के मकानों की खरीद-बिक्री करने पर भी समस्या आती है। ड्रोन आधारित सर्वेक्षण से ग्रामीण क्षेत्रों के रिहायशी इलाकों की वास्तविक पैमाइश कर ली जाती है। इस प्रकार अब देशभर के गावों में यह स्वामित्व योजना लागू होने जा रही है जिसका प्रत्यक्ष लाभ ग्रामीण विकास को मिलेगा। ग्रामीण विकास के लिए कई नये क्षेत्रों में पहल की गयी है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार देने वाली मनरेगा के लिए 71 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

विरोधी दलों के नेता सरकार पर सबकुछ बेचने का आरोप लगा रहा रहे हैं। विरोधियों को यहां पर यह बात अच्छी तरह से समझनी होगी कि विनिवेश व निजीकरण को बढ़ावा देने का मतलब यह नहीं होता कि सरकार सबकुछ निजी हाथों में बेच रही है अपितु निजीकरण का मतलब यह होता है कि जनमानस को विकास का प्रत्यक्ष व अच्छा लाभ मिल सके। निजीकरण को बढ़ावा देने से जनमानस को अधिक लाभ मिल सकेगा। विकास के लिए नये अवसर मिल सकेंगे। यह बजट विकास के नये अवसरों को प्रदान करने वाला है। जिसका असर आगामी पांच वर्षों में अवश्य दिखाई पड़ेगा। सरकार आमजन के विकास को लेकर हर प्रकार का रास्ता अपनाने के लिये तैयार दिखलायी पड़ रही है। यह बजट कम से कम स्वास्थ्य और कृषि के क्षेत्र में तो बड़े बदलाव लायेगा ही।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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