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वैश्विक स्तर पर भारत की सांस्कृतिक शक्ति को बढ़ाने में पर्यटन उपयोगी : उपराष्ट्रपति

नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आतिथ्य-सत्कार उद्योग को वैश्विक स्तर पर भारत की सांस्कृतिक शक्ति को बढ़ाने के लिए पर्यटन क्षमता का लाभ उठाने का आह्वान किया। भारत की अवधारणा ‘अतिथि देवो भव’ की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी संस्कृति, खानपान तथा विदेशियों के प्रति स्वागत करने की प्रवृति आगंतुकों को भारत के प्रति आकर्षित करने में सहायता कर सकती है।

राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर मंगलवार को स्वामी विवेकानन्द को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उपराष्ट्रपति ने स्वामी जी का उल्लेख किया और युवाओं से उनके गुणों को अपनाने तथा उनके द्वारा दिखाई गई राह पर चलने का आग्रह किया। होटल प्रबंध संस्थान (आईएचएम), गोवा में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए नायडू ने अर्थव्यवस्था के लिए यात्रा और पर्यटन क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र सबसे अधिक रोजगार सृजन करता है, इस क्षेत्र में 87.5 मिलियन लोग काम कर रहे हैं जो 2018-19 में रोजगार हिस्सेदारी का 12.75 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि महामारी के कारण इस क्षेत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ा। अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों की संख्या में कमी आई और रोजगार समाप्त हुए। उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि यह मंदी अस्थायी होगी और आतिथ्य सत्कार उद्योग फिर से सक्रिय होगा।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्थिति सामान्य होते ही लोग यात्रा करने के उत्सुक होंगे। उन्होंने सुझाव दिया कि हमारा मजबूत घरेलू पर्यटन बाजार महामारी के विपरीत प्रभाव को उन देशों की तुलना में कम करने में मदद करेगा जो देश पूरी तरह अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों पर निर्भर होते हैं। नायडू ने कहा कि कोविड-19 के तुरंत बाद लोग स्थानीय पर्यटन के प्रति दिलचस्पी दिखाएंगे और इससे काफी अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि पर्यटन उद्योग इस बढ़ते बाजार का लाभ स्वदेश दर्शन तथा प्रसाद जैसी योजनाओं की सहायता से उठा सकता है। उपराष्ट्रपति ने लोगों से आग्रह किया कि स्थानीय पर्यटक स्थलों की यात्रा को वरीयता दें। उन्होंने भारत की अपार प्राकृतिक और सांस्कृतिक सुरंदरता की प्रसंशा करते हुए कहा कि युवाओं को विवेकानन्द रॉक मेमोरियल कन्याकुमारी, अंडमान का सेल्युलर जेल तथा गुजरात के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी देखने जरूर जाना चाहिए। घरेलू पर्यटन बढ़ाने के केंद्र सरकार के कार्यक्रम की चर्चा करते हुए नायडू ने कहा कि “बाहर जाने से पहले देखो अपना देश।

नायडू ने पर्यटन को फिर से प्रारंभ करने के लिए कहा कि आतिथ्य सत्कार क्षेत्र के लिए सभी स्वास्थ्य और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करके पर्यटकों का विश्वास हासिल करना महत्वपूर्ण है। इस सिलसिले में उन्होंने पर्यटन मंत्रालय की अनुपालन प्रणाली, आतिथ्य सत्कार क्षेत्र में अवलोकन, जागरूकता तथा प्रशिक्षण प्रणाली (साथी) के अनुपालन की चर्चा की।

विद्यार्थियों से बातचीत करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सार्थक मनोभाव और मुस्कुराता हुआ चेहरा आतिथ्य सत्कार क्षेत्र में सफलता हासिल करने में बड़ी भूमिका निभाएगा। उन्होंने इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए विद्यार्थियों को अपनी मातृभाषा भूले बिना अधिक से अधिक भाषाओं को सीखने के लिए प्रोत्साहित किया।

इंटरऐक्टिव कार्यक्रम में गोवा के प्रोटोकॉल मंत्री मौविन गोडिन्हो, पर्यटन मंत्रालय की महानिदेशक मीनाक्षी शर्मा, पर्यटन मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार ज्ञान भूषण, इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेंजमेंट के अध्यक्ष जे. अशोक कुमार तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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