भोपाल। किसानों का हित सुरक्षित रखते हुए आर्थिक बोझ झेल रही संस्थाओं को कर्ज से उबारने के लिए शिवराज सरकार मुख्यमंत्री फसल उपार्जन योजना लागू करने जा रही है। इस योजना में संस्थाओं को क्षतिपूर्ति दिया जाएगा। दरसअल किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें उपज का समर्थन मूल्य दिलाने के लिए सरकार गेहूं, धान, मूंग से लेकर अन्य फसल की खरीद करती है, लेकिन खरीद करने वाली एजेंसियां कर्ज के बोझ से दबी जा रही हैं। नागरिक आपूर्ति निगम और राज्य सहकारी विपणन संघ की देनदारी 73 हजार करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।
किसानों को भुगतान करने के लिए एजेंसियां भारतीय रिजर्व बैंक से ऋण लेती हैं।केंद्र सरकार सेंट्रल पूल में जब उपज ले लेती है तो फिर उसका भुगतान होता है। इसमें तीन-चार साल लगते हैं। इस दौरान भंडारण, सूखत, परिवहन, मजदूरी, बारदाना सहित कुछ अन्य नुकसान होते हैं, जिनकी प्रतिपूर्ति नहीं होती है। उपार्जन व्यवस्था प्रभावित न हो और किसानों के हित सुरक्षित रहें, इसके लिए शिवराज सरकार मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना लागू करने जा रही है। इसमें प्रति वर्ष तीन हजार करोड़ रुपये से अधिक का प्रविधान रहेगा, जिससे एजेंसियों की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
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