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गूंजा, त्वदीय पाद पंकजम् नमामि देवी नर्मदे

February 04, 2025

मां नर्मदा जयंती पर सुबह से अभिषेक – अनुष्ठान, हजारों श्रद्धालु स्नान के लिए तटों पर रवाना

इंदौर। आज जीवनदायिनी (life giver) मां नर्मदा (mother narmada) जयंती (Jubilee) पर शहर में सुबह से श्रद्धा-भक्ति का उल्लास छाया हुआ है…त्वदीय पाद पंकजम् नमामि देवी नर्मदे… की गूंज के साथ मंदिरों में मां नर्मदा की प्रतिमा का अभिषेक कर शृंगार किया गया, वहीं भक्तों ने लाल चुनरी भी अर्पित की।


परस्पर नगर स्थित नवनिर्मित मां नर्मदा चौराहे पर स्थित मां नर्मदा की भव्य प्रतिमा का सुबह पंडितों के सान्निध्य में अभिषेक-पूजन महापौर पुष्यमित्र भार्गव के सान्निध्य में किया गया। धूमधाम से महाआरती की गई। प्रफुल्ल शर्मा ने बताया कि सायंकाल भजन संध्या होगी और ओंकारेश्वर की तर्ज पर चौराहे और मां नर्मदा प्रतिमा स्थल को दीपकों से सजाया जाएगा। वहीं बजरंग नगर डीएम सेक्टर गार्डन स्थित नर्मदा मंदिर में सुबह नर्मदा अष्टक के साथ अभिषेक किया गया। आयोजन समिति के सुनील शर्मा के अनुसार दोपहर में परदेशीपुरा गेंदेश्वर शिवधाम से चुनरी यात्रा निकाली जाएगी। शाम को श्री विष्णु सहस्रनाम पाठ, कांकड़ आरती के बाद भोजन प्रसादी आयोजित की जाएगी। गोयल नगर नर्मदा ट्रस्ट में दोपहर 12 बजते ही मां नर्मदा की महाआरती की गई। द्वारकापुरी मांगलिक भवन में भी मां नर्मदा प्रतिमा का पूजन किया गया। पंचकुइया राम मंदिर, खजराना गणेश मंदिर, विद्या धाम, गीता भवन में भी मां नर्मदा की प्रतिमा का शृंगार किया गया। वहीं नर्मदा स्नान के लिए शहर से हजारों भक्त महेश्वर, ओंकारेश्वर, खलघाट और नेमावर तटों के लिए रवाना हुए।

शंकर की बेटी के रूप में भी पूजा जाता है मां नर्मदा को
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से उतना पुण्य प्राप्त होता है, जितना अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से मिलता है। यही कारण है कि नर्मदा को विशेष रूप से भगवान शिव की प्रिय नदी माना जाता है और इसे शंकर की बेटी के रूप में भी पूजा जाता है। यह एकमात्र नदी है जो उलटी बहती है। यह विश्व की एकमात्र पवित्र नदी है, जिसकी भक्तों द्वारा परिक्रमा की जाती है।

नर्मदा के रौद्र को शांत करने के लिए शंकराचार्य ने स्तुति की थी
आदिगुरु शंकराचार्य के नर्मदाष्टक से मां नर्मदा की स्तुति होती है। धर्मशास्त्रों के अनुसार ओंकारेश्वर आश्रम में गुरु गोविंदपादाचार्य साधनारत थे। तभी मां नर्मदा के रौद्र स्वरूप की वजह से जनजीवन जल प्लवित होने लगा। साधना में लीन गुरु तक नर्मदा का पानी पहुंचने से मां नर्मदा जयंती पर सुबह से अभिषेक-अनुष्ठान, स्नान के लिए हजारों श्रद्धालु तटों पर रवाना हुए।

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