भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

सुनी सुनाई : मंगलवार 29 मार्च 2022

रिश्वत को लेकर स्पेशल डीजी का ट्वीट
मप्र के पुलिस के स्पेशल डीजी कैलाश मकवाना का रिश्वत को लेकर इस सप्ताह किया गया ट्वीट काफी चर्चा में है। मकवाना ने ट्वीट किया है कि रिश्वत अकेली नहीं आती, देने वाले की बद्दुआ, मजबूरियां दुख, वेदना, क्रोध, तनाव, चिन्ता भी नोटों में लिपटी रहती है। हालांकि यह शब्द किसी दूसरे के हैं, लेकिन मकवाना जैसे वरिष्ठ आईपीएस ने अचानक यह ट्वीट क्यों किया? उन्होंने आगे यह भी लिखा है कि – बुरे काम का बुरा नतीजा सत्य वचन। पुलिस मुख्यालय में मकवाना के इस ट्वीट के मायने तलाशे जा रहे हैं। 1988 बैच के आईपीएस मकवाना मप्र में अगले पुलिस महानिदेशक पद के प्रबल दावेदार हैं। उनकी छवि बेदाग रही है।

संभागायुक्त हुए अनाथ
मप्र से भाजपा के एक दमदार नेता की विदाई से एक संभागायुक्त स्वयं को अनाथ महसूस कर रहे हैं। चर्चा है कि इन संभागायुक्त को इन नेताजी का बड़ा सहारा था। नेताजी जबकि उनके प्रभार के संभाग में जाते थे, आईएएस से जरूर मिलते थे। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी यह अहसास था कि यह संभागायुक्त नेताजी का खास है। लेकिन अब नेताजी की भाजपा से विदाई हो गई है तो संभागायुक्त स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। मजेदार बात यह है कि इस संभाग में आयुक्त बनने भोपाल में कई आईएएस लाईन लगाए बैठे हैं।

आईएएस की कुर्सी और बंगले पर नजर
मप्र के 1988 बैच के आईएएस आईसीपी केसरी दो दिन बाद रिटायर हो रहे हैं। वे इस समय मप्र में नर्मदाघाटी प्राधिकरण के उपाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर हैं और चार इमली के सबसे शानदार बंगले में रह रहे हैं। इस बंगले में मुख्यसचिव के रूप में एसआर मोहंती रहते थे। प्रदेश के कुछ आईएएस की नजर केसरी की कुर्सी पर है तो कुछ की नजर उनके शानदार बंगले पर लगी है। मंत्रालय में चर्चा है कि इस साल के अंत में रिटायर होने वाले एक आईएएस नर्मदाघाटी प्राधिकरण का उपाध्यक्ष बनने जोड़तोड़ में लगे हैं, जबकि आधा दर्जन से अधिक आईएएस अधिकारियों की नजर उनके शानदार बंगले पर टिकी हैं। वे इस बंगले में रहने के सपने देख रहे हैं।

अरूण यादव को राज्यसभा चाहिए!
मप्र कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरूण यादव ने दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात में राहुल गांधी के एक वायदे की भी याद दिला दी है। दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने अरूण यादव को दिल्ली बुलाकर बुधनी से शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ चुनाव लडऩे को कहा था। यादव बुधनी से लडऩे के मूड में नहीं थे। राहुल गांधी ने भरोसा दिलाया कि वे हारेंगे तो उन्हें राज्यसभा भेजा जाएगा, लेकिन शिवराज सिंह चौहान को घेरने उन्हें बुधनी से लडऩा चाहिए। अरूण यादव ने राहुल के कहने पर बुधनी चुनाव लड़ा था। अब वे चाहते हैं कि पार्टी हाईकमान अपना वायदा पूरा करे और इसी साल जून में खाली होने वाली राज्यसभा सीट पर उन्हें भेजा जाए। मजेदार बात यह है कि जून में विवेक तन्खा का कार्यकाल पूरा हो रहा है, लेकिन वे भी फिर से राज्यसभा जाने की दावेदारी कर रहे हैं।

गुस्से में क्यों हैं हिना कांवरे
मप्र कांग्रेस की विधायक व पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष हिना कांवरे आजकल अपनी पार्टी के नेताओं से खासी नाराज बताई जा रही हैं। चर्चा है कि उन्होंने भाजपा नेताओं से जोड़तोड़ कर विपक्ष के कोटे से विधानसभा उपाध्यक्ष बनने के सपने देखे थे, लेकिन विधानसभा सत्र समय से पहले खत्म होने के कारण उनके सपने पूरे नहीं हो पाए। आजकल वे अपनी पार्टी के नेताओं को जमकर कोस रही हैं। दूसरी ओर कांग्रेस में चर्चा है कि हिना कांवरे पद के लालच में भाजपा के राजनीतिक रणनीतिकारों के जाल में फंस गई हैं। चर्चा तो यहां तक है कि अगले चुनाव से पहले वे कमलनाथ को छोड़कर कमल के साथ जाने की तैयारी में हैं।

अब कमलनाथ कैबिनेट की बैठक!
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट की पचमढ़ी में दो दिवसीय चिन्तन बैठक के बाद पूरी राज्य सरकार चुनावी मोड पर आ गई है। यह देखकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ भी सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने संगठन में कसावट और चुनावी तैयारी के लिए 4 अप्रैल को अपनी पूर्व कैबिनेट की बैठक बुलाई है। विधानसभा सत्र को जल्दी खत्म कराकर कमलनाथ विदेश चले गए थे। उनके देश छोड़ते ही कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं अरूण यादव और अजय सिंह ने दिल्ली में सोनिया गांधी से अलग-अलग मुलाकात कर उन्हें मप्र कांग्रेस की दुर्दशा की कहानी सुना दी है। विदेश से लौटते ही कमलनाथ मंगलवार से मप्र में सक्रिय हो गए हैं। चुनावी रणनीति तैयार करने बुलाई बैठक में कमलनाथ ने अपनी कैबिनेट के पूर्व मंत्रियों के अलावा कुछ विधायकों व वरिष्ठ नेताओं को भी आमंत्रित किया है।

और अंत में….
मप्र के कृषि मंत्री कमल पटेल आजकल अजीब धर्मसंकट में हैं। 2019 में विधायक के रूप में उन्होंने किसानों की ऋण माफी को लेकर विधानसभा में दो तीखे सवाल लगाए थे। तब के कृषि मंत्री सचिन यादव ने उसे अपूर्ण सवाल की सूची में डाल दिया, यानि जानकारी एकत्रित की जा रही है। संयोग से कुछ दिन बाद कमल पटेल खुद कृषि मंत्री बन गए। अब उन्हें खुद इन अपूर्ण प्रश्नों का जबाव देना है। यदि जबाव दिया तो तय हो जाएगा कि कमलनाथ ने लाखों किसानों का करोड़ों रुपए का ऋण माफ किया था। कमल पटेल दो साल से इन दोनों सवालों को दबाए बैठे हैं। हर विधानसभा सत्र के अपूर्ण प्रश्नों की सूची है यह सवाल आते हैं, लेकिन जबाव में जानकारी एकत्रित की जा रही है लिखकर टाला जा रहा है।

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