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राबर्ट वाड्रा केस में सुनवाई अधूरी रही, अब 23 को होगी सुनवाई

जोधपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय में रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े मामले की बुधवार को फिर सुनवाई हुई। सुनवाई अधूरी रही और अब यह 23 को फिर होगी। समय अभाव के कारण इस मामले पर सुनवाई नहीं हो पाई। इस मामले में प्रर्वतन निदेशालय की ओर से बहस जारी है। हालांकि वाड्रा के वकील ने बहस पूरी कर ली थी।

मामले में हाईकोर्ट जस्टिस डॉ पुष्पेन्द्रसिंह भाटी की कोर्ट में सुनवाई थी। बीकानेर जिले में जमीन की खरीद फरोख्त में हुए घोटाले को लेकर ईडी ने राबर्ट वाड्रा को गिरफ्तार कर पूछताछ करने की हाईकोर्ट से एक प्रार्थना पत्र के जरिए अनुमति मांग रखी है। वाड्रा से जुड़े मामले में सुनवाई लंबे अरसे से टलती आ रही थी। इस मामले में पिछले सप्ताह लगातार तीन दिन सुनवाई चली। 29 जुलाई को समय अभाव के चलते सुनवाई टल गई थी।


बता दें कि मामले में वाड्रा से जुड़ी कम्पनी स्काइलाइट हास्पिटिलिटी प्राइवेट लिमिटेड व बिचौलिए महेश नागर की ओर से पेश विविध आपराधिक याचिका 482 पेश की थी जिस पर कोर्ट ने वाड्रा सहित सभी आरोपितों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। जिसके बाद ईडी ने याचिका में एक अर्जी पेश कर वाड्रा सहित अन्य आरोपितों को गिरफ्तार कर पूछताछ करने की जरूरत बताई थी। इस अर्जी पर लम्बे समय से सुनवाई लम्बित थी। पिछले सप्ताह सोमवार को जस्टिस पुष्पेन्द्रसिंह भाटी की कोर्ट में यह मामला सूचीबद्ध हुआ। जिसमे इस अर्जी पर सुनवाई होनी थी। कोर्ट में इन मामले में दोनो पक्षों की सहमति के वाद मैरिट पर सुनवाई शुरू की थी। वाड्रा की ओर से पैरवी कर रहे विरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस व कुलदीप माथुर ने इस मामले में मंगलवार को अपनी बहस पूरी कर ली थी। अब इस मामले में ईडी की ओर से एएसजी राजदीपक रस्तौगी बहस कर रहे है। जो आज भी जारी थी।

2012 में खरीद फरोख्त हुई थी इस जमीन की
वाड्रा की कंपनी ने 2012 में बीकानेर जिले में कोलायत क्षेत्र में कुछ दलालों के जरिए 270 बीघा जमीन 79 लाख रुपये में खरीदी। बीकानेर में भारतीय सेना की महाजन फील्ड फायरिंग रेंज के लिए जमीन आवंटित की गई थी। यह जमीन सेना की थी और इसका बेचा नहीं जा सकता था। यहां से विस्थापित हुए लोगों के लिए दूसरी जगह पर 1400 बीघा जमीन आवंटित की गई थी, लेकिन कुछ लोगों ने इस जमीन के फर्जी कागजात तैयार करवाकर वाड्रा की कंपनी को बेच दिए। इन लोगों के माध्यम से ही वाड्रा ने क्षेत्र के कुछ गांवों में और जमीन खरीदने का प्रयास किया, लेकिन मामला आगे बढ़ नहीं पाया। फर्जी तरीके से जमीन के बेचने का मामला उजागर होने से पहले वाड्रा की कंपनी ने इस जमीन को 5 करोड़ रुपये में बेच दिया। ईडी ने इस मामले में कुछ स्थानीय अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी है। उनकी मिलीभगत से कुछ लोगों ने जमीन के फर्जी कागजात तैयार कराए। (एजेंसी, हि.स.)

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