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Kabul में तीन साल भारतीय मिशन की सुरक्षा करने वाले तीन कुत्ते भी लौटे

– अफगानिस्तान से अपने मुल्क आने के लिए 1650 भारतीयों ने किया आवेदन

– वापस लाये गए लोगों को भारतीय मिशन से एयरपोर्ट तक मुश्किलें झेलनी पड़ीं

नई दिल्ली। अफगानिस्तान (Afghanistan) से वायुसेना के कार्गो विमान सी-17 (Air Force Cargo Aircraft C-17) के जरिये दो बार में भारत लाये गए करीब 200 लोगों में भारतीय दूतावास के अधिकारियों, कर्मचारियों और उनके परिजनों के अलावा कई पत्रकार भी हैं। मंगलवार को निकासी उड़ान में भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के 3 कुत्तों (3 dogs of Indo-Tibetan Border Police) को भी काबुल से हिंडन वापस लाया गया है जिन्हें बुधवार को आईटीबीपी के छावला कैंप में भेजा गया है। इन्हीं डॉग्स ने 3 साल तक काबुल में भारतीय मिशन की सुरक्षा की थी। वापस लाये गए लोगों की दास्तान भी दर्द भरी है क्योंकि इन्हें भारतीय मिशन से एयरपोर्ट तक आने में तालिबानियों की ओर से खड़ी की गईं तमाम मुश्किलें झेलनी पड़ीं। अभी भी वहां के हालात इतने ख़राब हैं कि 1650 भारतीयों ने आवेदन कर रखा है और अपने मुल्क आने के इंतजार में हैं।


भारत वापस आये लोगों की दास्तान सुनने के बाद अफगानिस्तान के हालात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। इनके मुताबिक ऑपरेशन एयरलिफ्ट के लिए 15 अगस्त के पहले से ही तैयारी चल रही थी। काबुल में स्थित भारतीय दूतावास से 70 मीटर की दूरी पर 15 अगस्त के दिन धमाके की आवाज सुनने के बाद से भारतीयों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई थी। उसी दिन काबुल में तालिबान के प्रवेश करने के बाद रात को कर्फ्यू लगा दिया गया और शहर की सड़कें बंद कर दी गईं। भारतीय दूतावास किसी व्यक्ति को बाहर भेजने की स्थिति में नहीं था क्योंकि तालिबान ने सड़क पर न निकलने की धमकी दी थी। 15 अगस्त को तालिबान के हाथों काबुल के पतन के साथ भारत का सबसे बड़ा ध्यान अपने राजनयिक अधिकारियों और कई फंसे हुए नागरिकों को वापस लाने पर था, जिसमें पत्रकार, आईटीबीपी अधिकारी शामिल थे। भारतीय वायुसेना के कार्गो विमान सी-17 से दो चरणों में करीब 200 लोगों को काबुल से भारत लाया गया है।

काबुल के अलग-अलग ठिकानों में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए दो टीमें बनाई गई थीं। पहली टीम में 46 लोग थे जिन्हें पहले चरण में 16 अगस्त को सी-17 ग्लोबमास्टर प्लेन से लाया गया था। दूसरे दल में भारत के राजदूत, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 99 कमांडो, तीन महिलाओं और दूतावास स्टाफ समेत करीब 150 लोग थे जिन्हें मंगलवार को सुबह 11.20 बजे सी-17 ग्लोबमास्टर प्लेन गुजरात के जामनगर एयरबेस पर उतरा जहां करीब 50 लोगों को उतारा गया। इन सभी लोगों को एक बस के जरिये गुजरात के विभिन्न हिस्सों में भेजा गया। इसके बाद कार्गो विमान को शाम 6 बजे के करीब हिंडन एयरबेस लाया गया। वापस आने वालों में भारतीय दूतावास के कई कर्मचारी, वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी और कुछ भारतीय पत्रकार शामिल हैं। इसी निकासी उड़ान में आईटीबीपी के 3 कुत्तों को भी काबुल से हिंडन वापस लाया गया है जिन्हें बुधवार को आईटीबीपी के छावला कैंप में भेजा गया है। इन्हीं डॉग्स ने 3 साल तक काबुल में भारतीय मिशन की सुरक्षा की थी।

भारत सरकार ने बताया कि काबुल में मौजूद दूतावास के सभी लोगों को भारत वापस बुला लिया गया है। इसमें राजदूत और बाकी कर्मचारी भारत आ चुके हैं। यह भी बताया गया कि भारतीय दूतावास पूरी तरह बंद नहीं हुआ है क्योंकि वहां स्थानीय स्टाफ के जरिये काउंसलर सर्विस दी जा रही है। वापस लाये पत्रकारों के मुताबिक दूतावास पहले से ही खाली कराकर एक काफिला तैयार किया जा रहा था। सभी प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद मुझे और मेरे पत्रकार मित्रों और वहां रहने वाले नागरिकों को एक बुलेट-प्रूफ लैंड क्रूजर के अंदर डाल दिया गया। यह कार आईटीबीपी का एक जवान चला रहा था। अफगानिस्तान में इंडियन मिशन काबुल एयरपोर्ट से लगभग 20-25 मिनट की दूरी पर है। भारत का विमान सुबह काबुल एयरपोर्ट पर लैंड कर गया लेकिन कर्फ्यू की वजह से भारतीयों को इंडियन मिशन से काबुल एयरपोर्ट तक लाने में दिक्कत हुई। पत्रकारों के मुताबिक 15 अगस्त की रात 10.30 बजे टीम फिर एयरबेस के लिए रवाना हुई और हथियारबंदों को चकमा देते हुए रात 3.30 बजे एयरबेस पहुंची। इस दौरान हर किलोमीटर पर बैरिकेडिंग लगाकर के वहां पर तालिबानियों की ओर से चेकिंग की जा रही थी।

आखिरकार तालिबान की हर जगह रोक-टोक के बाद अंत में हम लोग भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर में सवार हो गए, जो हामिद करजई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के तकनीकी क्षेत्र में खड़ा था, जिसे अमेरिकी सेना द्वारा संचालित किया गया था। इधर, भारत में विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल सहित कई बड़े अधिकारी लगातार इस जटिल प्रक्रिया की निगरानी दो हिस्सों में कर रहे थे। पहली निगरानी काबुल में भारतीय दूतावास से हवाई अड्डे तक और फिर हवाई अड्डे से भारत तक की आवाजाही पर रखी जा रही थी। तालिबान जब अफगानिस्तान में तेजी से आगे बढ़ रहा था, तब भारत ने कंधार और मजार-ए-शरीफ से अपने अधिकारियों को अपने वाणिज्य दूतावासों से निकालना शुरू कर दिया था। (एजेंसी, हि.स.)

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