ब्‍लॉगर

ये पॉलिटिक्स है प्यारे

गुरु के निशाना साधने के कई मायने
सत्तन गुरु कहने का कोई मौका नहीं छोड़ते और इसलिए वे भाजपा नेताओं के हाशिए पर आ जाते हैं। इंदौर के स्थापना दिवस को लेकर हुई बैठक के बाद गुरु ने जिस तरह प्रशासनिक मशीनरी और सरकार पर निशाना साधा है, उसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। गुरु ने जो कहा है उसके बाद इंदौरी नेता भी सूत-सावल में आ गए। अंदर ही अंदर गुरु के बयान को लेकर वे खुश भी थे। जो वे बोल नहीं पा रहे थे, उसे गुरु ने एक झटके में ही बोल दिया। गुरु ने बातों ही बातों में कह दिया कि इधर-उधर से आकर सरकार में बैठने वालों को ही सब तय करना था तो हमें क्यों बुलाया गया? गुरु का इधर-उधर शब्द भाजपा संगठन में चल रही ऊहापोह की स्थिति को लेकर बहुत कुछ कह गया है। पिछले दिनों जिस तरह से सत्ता के पदों की बंदरबांट हुई, उससे वंचित कई नेता भी यही बात कहना चाहते थे, लेकिन अपने-अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चुप बैठे हैं।
शाबाशी तो नहीं मिली उलटा घिरा गए
तीन नंबर विधानसभा में आजीवन सहयोग निधि की बैठक थी। विधायक विजयवर्गीय के अलावा नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे भी पहुंचे। माना जा रहा था कि गौरव खुश होकर कार्यकर्ताओं को शाबाशी देंगे, लेकिन गौरव ने उन बूथ प्रभारियों की अच्छी-खासी क्लास ले ली, जिन्होंने बूथ विस्तारक अभियान में ठीक से काम नहीं किया था। उन्होंने एक-एक विस्तारक से अच्छी-खासी पूछताछ कर डाली और कह दिया कि संगठन के काम में किसी तरह की लापरवाही नहीं चलेगी।


ताई को मालूम है बाबा के समय की कीमत
महेंद्र बाबा को किसी कार्यक्रम में बुलाया जाता है तो वे सही समय पर पहुंच जाते हैं। इसकी पुष्टि ताई ने भी कर दी, जब वे समर्पण निधि अभियान की बैठक में देरी से पहुंचीं। ताई ने कहा कि मुझे मालूम है कि महेंद्र टाइम पर आता है और टाइम पर चला जाता है। टाइम की कीमत कोई उससे समझे। यह सुनते ही हॉल में बैठे भाजपा के पदाधिकारी ठहाके मारकर हंस दिए। अब ताई की इस बात को किसने किस तरह से लिया ये तो वही जाने।

तेज हो गई ओवैसी की पार्टी की गतिविधि
शहर में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल अपनी मुख्य भूमिका निभाते हैं, लेकिन निकाय चुनावों को देखते हुए शहर में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन की गतिविधि शुरू हो गई है। भाजपा और कांग्रेस के ही कुछ मुस्लिम नेता इस पार्टी से जुड़ गए हैं तो कुछ गुपचुप सपोर्ट कर रहे हैं। फिलहाल पार्टी की गतिविधि मुस्लिम इलाकों में चल रही है और इससे कांग्रेस के नेता बेचैन हैं। वैसे भी भाजपा को मुस्लिमों के वोट नहीं मिलते, लेकिन शहर के मुस्लिम बहुल इलाकों में कांगे्रस का एक बड़ा वोट बैंक है, जो प्रभावित हो सकता है। सर्वाधिक मुस्लिम पार्षद कांग्रेस के पास ही हैं। ऐसे में अब कांग्रेस के मुस्लिम नेता अपना वोट बैंक खिसकते देख एआईएमआईएम के नेताओं पर नजर रख रहे हैं। माना जा रहा है कि आने वाले चुनाव में एआईएमआईएम कुछ सीटों पर तो अपना प्रभाव जमाकर अपने पार्षद ला सकती है।


प्रभारी होते हुए भी यादव के पास पॉवर नहीं
कांग्रेस के सदस्यता अभियान प्रभारी बनाए गए राकेशसिंह यादव ने जोश-खरोश के साथ सदस्यता अभियान को डिजिटल किया और प्रभारी होने के नाते कांग्रेस के मोर्चा-प्रकोष्ठ की मीटिंग ले डाली। ये मीटिंग कांग्रेस के उन नेताओं को नागवार गुजरी, जिन्हें यादव ने नोटिस थमा दिए। बस फिर क्या था, ये नेता हुक्का-पानी लेकर यादव पर चढ़ बैठे और यादव को झुकना ही पड़ा। इसके बाद अब यादव अपने हिसाब से काम कर रहे हैं। वैसे यादव ने अपने विरोधी नेताओं का मिजाज भांपते हुए अब एक उंगली मुंह पर रखना शुरू भी कर दिया है।
बड़े नेता आते हैं तो आ जाते हैं पटेल साब
मनोज पटेल के बारे में चर्चा-ए-आम है कि वे फोन नहीं उठाते, लेकिन जब भी भाजपा का कोई बड़ा नेता या प्रदेश सरकार का मंत्री आता है तो पटेल साब सक्रिय हो जाते हैं। पिछले दिनों इंदौर आए चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सांगर के आगे-पीछे वे दिखाई दिए। भाजपा नेताओं ने भी चुटकी ले डाली कि पटेल साब वीआईपी नेता हैं जो बड़े नेताओं के आसपास ही दिखाई देते हैं। अभी बूथ विस्तारक अभियान में भी जिन विस्तारकों को उनके साथ तैनात किया गया था, उन तक के फोन उन्होंने नहीं उठाए और वे अपना सिर पीटते रहे।
कायम है रणदिवे और चावड़ा की जोड़ी
जब जयपासिंह चावड़ा भाजपा में संभाग में संगठन मंत्री हुआ करते थे तब नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे और उनकी जोड़ी हर कार्यक्रम में नजर आती थी। चावड़ा की रवानगी और उनके आईडीए अध्यक्ष बनने के बाद यह जोड़ी टूटी नहीं है और भाजपा की राजनीति में चर्चा का विषय बनी हुई है। चावड़ा आईडीए अध्यक्ष हो चुके हैं, लेकिन वे गौरव के साथ लगातार भाजपा की बैठकों में शामिल हो रहे हैं और तो और कई कार्यक्रमों में दोनों एक ही गाड़ी में साथ-साथ पहुंचते हैं। चावड़ा भी कई आयोजनों में ऐसे भाषण देते हैं और भूल जाते हैं कि वे अब संगठन मंत्री नहीं रहे। वे भी आम भाजपा नेता की तरह हो गए हैं, जिन्हें आईडीए की कुर्सी पर बिठाया गया है।

खुले तौर पर सरवटे बस स्टैंड से लंबी दूरी की बसों को बाहर करने के पीछे यहां से सिटी और उपनगरीय बसों को चलाने का कारण बताया जा रहा है, लेकिन अंदर की खबर यह है कि इनमें से कई सिटी बसें शहर के एक वरिष्ठ भाजपा नेता और उनके समर्थकों की है। नेताजी को फायदा मिले, इसलिए ये सब कवायद हो रही है। -संजीव मालवीय

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