इन्दौर। कल होली पर्व पर भद्रा का साया होने से होलिका दहन का शुभ समय रात्रि 11.28 बजे से रात 12.32 बजे तक रहेगा । एक घंटा 4 मिनट के इस मुहूर्त में होलिका दहन करना शुभ रहेगा। शहर में फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को कल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हालिका दहन की जोरदार तैयारियां की गई है। अगले दिन शुक्रवार को रंगोत्सव की धूम रहेगी। इसके लिए भी लोगों की तैयारी जोरों पर है। शहर में रानी पूरा, राजबाड़ा , मल्हारगंज , बजाज खाना चौक , मालवा मील, पाटनीपुरा , छावनी रंगोत्सव का बाजार सजकर तैयार हो गए हैं। लोगों में हर्बल रंग और गुलाल की मांग अधिक है।
पंडित रामचंद्र शर्मा वैदिक ने बताया कि फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च सुबह लगभग 10.35 बजे से प्रारंभ होगी। इसका समापन 14 मार्च दोपहर 12.24 बजे तक होगा । कल दिन और रात में पूर्णिमा तिथि होने की वजह से होलिका दहन गुरूवार को किया जाएगा। सीतलामाता बाजार, गोराकुंड , छीपा बाखल, बियाबानी, लोधीपुरा, छावनी , जूनी इंदौर, बाणगंगा सहित अन्य क्षेत्रों में होलीका का श्रृंगार कर दहन किया जाएगा।
पूर्णिमा शुरू होते ही लग जाएगी भद्रा
फाल्गुन पूर्णिमा प्रारंभ होने के साथ कल भद्रा का साया भी प्रभावशील हो जाएगा, जो रात लगभग 11.26 बजे तक रहेगी। धार्मिक मान्यता के अनुसार भद्रा काल में होली का दहन नहीं किया जाता है। होलिका दहन के लिए रात लगभग 12.23 बजे तक शुभ मुहूर्त रहेगा। मान्यता है कि होलिका पूजन और दहन से परेशानियां दूर होती है और परिवार में सुख, शांति और समृद्धि की कामना पूरी होती है। दुसरे दिन होलीका के अंगारों पर गेहूं की नई फसल को सेंक कर प्रसाद ग्रहण किया जाता है।
यह है होली का धार्मिक और पौराणिक महत्व
प्राचीन काल में हिरण्यकश्यप नाम का एक असुर राजा था। उसने घमंड में चूर होकर खुद के ईश्वर होने का दावा किया था। राज्य में ईश्वर के नाम लेने पर ही प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रहलाद ईश्वर भक्त था, वहीं हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को आग में भस्म न होने का वरदान मिला हुआ था। हिरण्यकश्यप ने होलिका को आदेश दिया कि प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठ जाए। आग में बैठने पर होलिका जल गई और प्रहलाद बच गया, तब से ही ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में होलीका दहन किया जाने लगा।
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