इन्दौर। कलेक्टर आशीष सिंह ने टोरी कॉर्नर की गेर निकालने के लिए आर्थिक सहयोग के रूप में जिला प्रशासन की ओर से 2 लाख की राशि मंजूर की है। इस राशि का चेक भी कल शाम को ही हाथों-हाथ बनकर तैयार हो गया। पुलिस और जिला प्रशासन के द्वारा कल शाम को कलेक्टर कार्यालय में रंग पंचमी के पर्व पर परंपरागत रूप से इंदौर से निकलने वाली गैर के लिए गैर संचालकों की बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक में हमेशा की तरह गेर को समय पर निकालना, निश्चित क्रम के अनुसार ही गेर निकालना, गेर में होने वाली अभद्रता को रोकने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। इस चर्चा के दौरान गेर संचालकों के द्वारा भी अपनी समस्याएं प्रशासन के सामने रखी गई। इसी क्रम में टोरी कॉर्नर की गेर के संचालक शेखर गिरी ने कहा कि गेर निकालने में बहुत ज्यादा आर्थिक समस्या आ रही है। जिस तरह से अनंत चतुर्दशी की परंपरा को कायम रखने के लिए आर्थिक सहयोग शुरू किया गया है
वैसा ही सहयोग गेर की परंपरा के लिए भी शुरू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे लिए तो समस्याएं बहुत ज्यादा है। चंदा मिलता नहीं है। उनकी इस समस्या को सुनकर कलेक्टर ने बाकी गेर संचालकों से इस बारे में जानकारी ली। बाकी जितने भी गेर हैं उन सभी के संचालक राजनीतिक तौर पर सत्ता वाली पार्टी बीजेपी से जुड़े हुए हैं। केवल टोरी कॉर्नर एक गेर है जिसके संचालक कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। शेष सभी गेर के संचालकों ने कहा कि उनके सामने ऐसी कोई आर्थिक समस्या नहीं है। उनके पास में चंदा भी अच्छा हो जाता है और उन्हें किसी तरह के सहयोग की आवश्यकता नहीं है। सभी गेर संचालकों की बात सुनने के बाद कलेक्टर के द्वारा तत्काल टोरी कॉर्नर गैर का आयोजन निर्बाध रूप से हो सके इसके लिए रेडक्रॉस सोसाइटी के फंड से 2 लाख की सहायता देने का ऐलान किया गया। इसके बाद कुछ घंटे में ही इस सहायता के लिए चेक भी बनकर तैयार हो गया।
मनीष सिंह ने कराया था सहयोग
कई साल पहले जब इंदौर में मनीष सिंह कलेक्टर हुआ करते थे, उस समय पर रंग पंचमी की गैर के संचालकों के द्वारा उनके समक्ष अपनी आर्थिक समस्या को रखा गया था। इस पर तत्कालीन कलेक्टर ने गैर शासकीय तौर पर इन सभी गेर संचालकों को 50-50 हजार रुपए की मदद करवाई थी। कल भी जब टोरी कार्नर की ओर से आर्थिक समस्या का मुद्दा उठाया गया तो सभी को लगा था कि इन्हें ज्यादा से ज्यादा 50000 रुपए की मदद मिल जाएगी। इस बार अपने स्वभाव के विपरीत जाकर कलेक्टर आशीष सिंह के द्वारा हाथों-हाथ जोरदार मदद शासकीय तौर पर ही मंजूर कर दी गई। ऐसे में अब यह लग रहा है कि हो सकता है, आने वाले कुछ दिनों में कोई और गेर संचालक भी कलेक्टर के पास मदद की गुहार लेकर पहुंच जाए।
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