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मराठाकालीन मंदिर में सूर्योदय की पहली किरण से बजते हैं घंटे

– पंकज

हमीरपुर शहर में मराठा कालीन मंदिर में श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव को लेकर यहां तैयारियां पूरी कर ली गई है। मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। यह मंदिर भी चूना, मिट्टी और कंकरीट से बना है जिसके मठ की दीवारों में कीली भी नहीं ठोकी जा सकती है। सूर्याेदय की पहली किरण से ही मंदिर में विराजमान मूर्तियां न सिर्फ चमक उठती है बल्कि आरती के लिए घंटे भी बजने लगते हैं।

हमीरपुर शहर के एतिहासिक हाथी दरवाजा के पास यमुना नदी के तट पर महावीर मंदिर स्थित है। मंदिर जाने पर सबसे पहले हनुमान जी मूर्ति के दर्शन होते है फिर बगल में राधाकृष्ण की करीब सवा फीट लम्बी अष्टधातु की नयनाभिराम मूर्तियों के दर्शन मिलते हैं। इसी के ठीक सामने शिव पार्वती की मूर्तियां मठ के अंदर विराजमान है।

क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी एसके दुबे के मुताबिक सर्वे के दौरान ये मराठा कालीन मंदिर को देखा गया था। जो वाकई सैकड़ों साल पुराना और बड़ा ही भव्य है। मंदिर के मठ में कारीगरी के अद्भुत नमूने देखते ही बनते है। यहां के साहित्यकार डाॅ. बीडी प्रजापति ने बताया कि शहर में यमुना नदी किनारे बना मंदिर मराठा कालीन है जिसके मठ और मंदिर आज भी बेजोड़ है।

बताया कि मराठाकाल में ही जितने मंदिर बनाए गए थे उतने आज तक किसी के भी शासनकाल में नहीं बने है। मंदिर के महंत हरिनारायण द्विवेदी ने बताया कि इस मंदिर का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है जिसके निर्माण में कारीगरी के अद्भुत नमूने आज भी देखे जा सकते हैं।

बाजीराव पेशवा के शासनकाल में बना था मंदिर
मंदिर के पुजारी और महंत हरिनारायण द्विवेदी ने बताया कि संवत 1723 में मराठाकाल में बालाजी बाजीराव पेशवा ने यहां यमुना नदी के तट पर मंदिर बनवाया था। मठ के अंदर बाल रूप में हनुमान जी की बाल रूप में मूर्ति, शिव पार्वती की मूर्तियां भी मराठाकाल की है। बताया कि ये मठ इतना छोटा है कि पूजा के लिए सिर झुकाकर अंदर जाना पड़ता है। मंदिर का मठ भी बिना गुंबद का है जिसमें बारिश का पानी पड़ते ही तुरंत नीचे आ जाता है। मंदिर का मठ भी अंडाकार बना है जिसे कहीं से भी देखने पर एक जैसा ही नजर आता है।

मूर्तियों पर पड़ती है सूर्योदय की पहली किरण
मंदिर का उस जमाने में निर्माण हुआ था जब सीमेंट व सरिया का प्रचलन नहीं था। मंदिर और मठ को बने कई सदियां गुजर गई लेकिन ये आज भी मजबूत है। इसमें लोहे की कीली भी नहीं ठोकी जा सकती है। पूरा मंदिर चूना मिट्टी और कंकरीट से बना है। पुजारी ने बताया कि यमुना नदी के तट पर पूर्व की दिशा में यह मंदिर स्थित है जहां सूर्याेदय होते ही सूरज की पहली किरण से मूर्तियां चमक उठती है। इसी के साथ मंदिर के घंटे बजाकर आरती की जाती है। बताया कि अंग्रेज अफसर भी परिवार के साथ मंदिर दर्शन करने आते थे।

श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर मंदिर में मचेगी धूम
मराठा कालीन मंदिर में जन्माष्टमी धूमधाम से मनाने के लिए तैयारियां पूरी हो गई है। स्थानीय लोगों की मदद से मंदिर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव अबकी बार अलग तरह से मनाया जाएगा। रात में बारह बजते ही राधा श्रीकृष्ण की नयनाभिराम मूर्तियों को शहद, गंगाजल व दूध और पंचामृत से स्नान कराया जाएगा। फिर मंगला आरती की जाएगी। बताया कि मंगला आरती में शहर की आधी आबादी शामिल होगी जिन्हें श्रीकृष्ण का पंचामृत व प्रसाद दिया जाएगा।

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