नई दिल्ली। पिछले एक हफ्ते से कोरोना संक्रमण के दैनिक मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है, लेकिन मौतों के आंकड़े अभी भी ज्यादा ही हैं। बीते 24 घंटे में देश में कोरोना के तीन लाख से अधिक मामले सामने आए हैं, लेकिन इस दौरान चार हजार से अधिक लोगों ने अपनी जान गंवा दी है। हालांकि इस बीच टीकाकरण अभियान भी तेजी से चल रहा है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अब तक देश में 18 करोड़ 22 लाख से अधिक कोरोना के टीके लगाए जा चुके हैं। हाल ही में वैक्सीन की डोज को लेकर बदलाव भी किए गए हैं।
कोविड में अगर टेस्ट या स्मेल चली गई है तो वह कितने दिन में आ जानी चाहिए?
- दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल की डॉ. रूपाली मलिक कहती हैं, ‘अगर कोविड हुआ है और टेस्ट और स्मेल चली गई है तो यह कब तक आएगी, इसका कोई निश्चित समय नहीं है। अगर कोई और दिक्कत नहीं है तो परेशान न हों, समय के साथ ये वापस आ जाएगी। कई बार इसे आने में तीन से छह महीने तक का समय लग सकता है। कमजोरी है तो मल्टीविटामिन और जिंकोविट की टैबलेट ले सकते हैं। इसके साथ जो भी ताजा और हेल्दी खाना है, वह खाते रहें। पानी भी खूब पिएं।’
वैक्सीन की डोज को लेकर बदलाव किए गए हैं, इसे कैसे समझें?
- डॉ. रूपाली मलिक कहती हैं, ‘कोविशील्ड की पहली और दूसरी डोज के बीच का गैप पहले चार हफ्ते था, उसके बाद उसे बढ़ाकर आठ हफ्ते किया गया। अब दोनों डोज के बीच का अंतराल 12 से 16 हफ्ते कर दिया गया है। ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि यूके और कुछ देशों में शोध में पाया गया कि जिन लोगों ने वैक्सीन की दूसरी डोज देर से लगवाई है, वो ज्यादा इम्यून पाए गए। इसी वजह से कुछ देशों में इसका अंतराल आठ से 12 हफ्ते का पहले से ही कर दिया गया है। इससे परेशान होने और भ्रमित होने की जरूरत नहीं है, ये निर्णय वैज्ञानिक आधार पर लिया गया है। सरकार जो भी दिशा-निर्देश दे रही है, उसका पालन करें।’
क्या कोवाक्सिन की डोज का भी अंतराल बढ़ाया गया है?
- डॉ. रूपाली मलिक कहती हैं, ‘जी नहीं, भारत बायोटेक की कोवाक्सिन की दोनों डोज के बीच कोई गैप नहीं बढ़ाया गया है। इसमें पहली डोज लेने के चार हफ्ते बाद ही दूसरी डोज लेनी है। जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता है, लोग वैक्सीनेट होते हैं, वैसे-वैसे कई तरह के शोध आते हैं। फिलहाल कोवाक्सिन में यही अंतराल रहेगा।’
स्पूतनिक-वी वैक्सीन और वर्तमान में लगाई जा रही वैक्सीन में क्या अंतर है?
- डॉ. रूपाली मलिक कहती हैं, ‘कोविशील्ड, कोवाक्सिन और स्पूतनिक-वी वैक्सीन के बीच अंतर जानने के पीछे भागने की जरूरत नहीं है। रूस की वैक्सीन का पहले ही वहां ट्रायल हो चुका है और वहां के लोगों को लगाई जा रही है। भारत में भी इसका ट्रायल किया गया है। इसलिए परेशान न हों, जो भी वैक्सीन भारत में आएगी सुरक्षित और प्रभावी होगी। वैसे भी सभी वैक्सीन का काम शरीर में जाकर कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज बनाना है। हां, इन वैक्सीन को बनाने की प्रक्रिया अलग-अलग होती है।’