जीवनशैली

बैंक में हस्ताक्षर न मिलने की समस्या से कैसे पाएं छुटकारा

शैलेंद्र पांडेय इन दिनों काफी मुश्किल में हैं, क्योंकि पार्किन्सन (Parkinson) से पीड़ित उनके 67 वर्षीय पिता अब दस्तावेजों पर दस्तखत (Signature) नहीं कर पाते। वह जानना चाहते हैं कि ऐसे में उनके बैंक खातों तक पहुंच कैसे संभव हो पाएगी। ऐसे बहुत लोग हैं, जिनके दस्तखत बैंकों और दूसरी जगह के दस्तावेजों से नहीं मिलते। चेक या दूसरे कागजों पर दस्तखत करने के समय उनके हाथ कांपने लगते हैं। ऐसे लोगों में बैंक रिकॉर्ड में उपलब्ध दस्तखत के अनुरूप हस्ताक्षर (Signature) न कर पाने की आशंका का डर बहुत होता है। एक तो उम्र बढ़ने के साथ हस्ताक्षर (Signature) करने में समस्या आती है, तिस पर कंप्यूटर के अत्यधिक इस्तेमाल का युवाओं की लिखावट पर असर पड़ रहा है और दस्तखत करने में मुश्किल आने लगी है।

Signature का अभ्यास
उन पेंशनरों के लिए यह बहुत बड़ी समस्या है, जो बैंक खाते से निकाली जाने वाली पेंशन पर निर्भर हैं। वे दो तरह की समस्याओं से जूझते हैं-एक तो उनका दस्तखत (Signature) बैंक रिकॉर्ड से मेल नहीं खाता, दूसरे, बुढ़ापे के कारण उन्हें बैंक शाखाओं तक पहुंचने में परेशानी होती है। अगर सिर्फ दस्तखत करने में परेशानी आती है, तो लगातार अभ्यास से यह समस्या दूर की जा सकती है। हालांकि ऐसे में सतर्कता भी जरूरी है, ताकि कोई इसकी नकल न करे। जिन लोगों का दस्तखत बैंक रिकॉर्ड में रखे दस्तखत से मेल नहीं खाता, उन्हें खासकर चेक पर दस्तखत करते हुए सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि चेक में यह समस्या बार-बार सामने आती है, तो इसे धोखाधड़ी माना जाएगा और आपको सजा भुगतनी पड़ सकती है। जो लोग बुढ़ापे के कारण बैंक नहीं जा पाते और जिन लोगों के दस्तखत मेल नहीं खाते, उनके हित में रिजर्व बैंक ने बार-बार दिशा-निर्देश जारी किए हैं। जब चलने-फिरने में अक्षम या बिस्तर पर पड़े बीमार लोगों के अंगूठे या पैर की उंगली के निशाने लिए जाएं, तब उसकी पहचान ऐसे दो स्वतंत्र गवाहों द्वारा की जानी चाहिए, जिन्हें बैंक जानते हों, और इनमें से एक बैंक का कोई जिम्मेदार अधिकारी हो। अगर कोई व्यक्ति बैंक आने में अक्षम होने के साथ उंगलियों के निशान देने में भी असमर्थ हो, तो चेक या निकासी पर्ची (Withdrawal form) पर एक निशान लगा देना चाहिए, जिसे दो स्वतंत्र गवाह सत्यापित करें, जिनमें से एक बैंक का अधिकारी हो।

Signature में बदलाव का आवेदन
उम्र बढ़ने के साथ जिनके दस्तखत (Signature) में बदलाव आ जाता है, वे बैंक में अपने बदले हुए दस्तखत के साथ एक फॉर्म भर सकते हैं। फॉर्म के साथ आपको पहचान पत्र जैसे दस्तावेज भी पेश करने पड़ते हैं। साथ में आपको एक शपथपत्र (Aphidvid) भी जमा करना होता है कि बैंक खाता आपके ही नाम है और व्यक्तिगत समस्या के कारण आपको दस्तखत में थोड़ा बदलाव करना पड़ा है। बैंक पांच से छह दिन में आपके बदले हुए दस्तखत को रिकॉर्ड में रखता है और फिर आप इसी दस्तखत से अपना बैंक खाता संचालित कर सकते हैं। बैंक में संयुक्त खाता (Joint account) खोलना भी दस्तखत संबंधी समस्या के समाधान का एक तरीका है। अगर बुढ़ापा या मानसिक बीमारी के कारण कोई व्यक्ति अपने बैंक खाते का संचालन सही तरीके से नहीं कर पा रहा, तो उसके रिश्तेदार बैंक में गार्जियन सर्टिफिकेट देकर बैंक खाते के संचालन का दायित्व खुद ले सकते हैं। बैंक शाखा तक न आ सकने वाले वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए उनके घर तक डोरस्टेप बैंकिंग की भी सुविधा है।

शैलेंद्र के लिए समाधान
शैलेंद्र पांडेय अपने पिता के बैंक खाते में संयुक्त खाताधारक बन सकते हैं। अगर उनके पिता अपने खाते में इस बदलाव के लिए बैंक नहीं जा सकते, तो बैंक के किसी अधिकारी को उनके घर पर आना होगा। अगर उनके भाई-बहन हैं, तो उन्हें पहले इसकी जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में कोई पारिवारिक विवाद न हो।

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