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ड्रग्स की राजधानी बनने से कैसे बचे दिल्ली

– डॉ. रमेश ठाकुर

दिल्ली में तेजी से फैलता नशे का कारोबार चिंता का विषय बन गया है। राजधानी में विभिन्न किस्म के मादक पदार्थों की तस्करी अब प्रत्येक गली-मोहल्लों में होने लगी है। एनसीआर क्षेत्र में भी नशे का कारोबार इस कदर फैल चुका है, जिसे रोकने में पुलिस-प्रशासन के हाथ-पांव फूल रहे हैं। बीते शनिवार को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने तस्करों से करीब 90 किलो अफीम पकड़ी, जो दूसरे प्रदेशों से लाई गई थी। दिल्ली में मादक पदार्थों की सप्लाई सबसे ज्यादा कहां-कहां होती है और उसके शौकीन कौन-कौन हैं? दरअसल ये एक ऐसा सवाल है जिसका उत्तर अगर सच्चाई से पुलिस-प्रशासन सार्वजनिक कर दे तो भूचाल आ जाएगा। हम सोच भी नहीं सकते कि इस जंजाल में कौन-कौन और कैसे-कैसे व्यक्ति शामिल हैं।

हालांकि, इतना तो सभी जानते हैं कि किस्म-किस्म के महंगे मादक पदार्थों का सेवन कोई आम इंसान तो करेगा नहीं। इसके लिए मोटी रकम चुकानी पड़ती है इसलिए कोकीन, अफीम जैसे उच्च कोटि के नशीले पदार्थ के खरीदार भी बड़े लोग ही होते हैं। देखिए, दिल्ली एक ऐसी जगह है, जहां सरकार से लेकर ब्यूरोक्रेट लॉबी, बड़े उद्योगपति व विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रमुख नेताओं का जमावड़ा रहता है। इनके रहन-सहन, जीने के तौर-तरीके से सभी वाकिफ ही हैं। फिलहाल, इस सामाजिक बुराई की आंच इन लोगों तक नहीं पहुंचती।


दिल्ली को ड्रग्स के जंजाल से कैसे निकाला जाए? इसकी चिंता शायद किसी को है नहीं। निकालना कोई इसलिए भी नहीं चाहता, क्योंकि ड्रग्स के काले धंधे में एक ऐसा वर्ग शामिल है जिसके के लिए ये कारोबार मुनाफे का बड़ा जरिया बना हुआ है। उन्हीं को देखकर आज के नासमझ युवा मादक पदार्थ का सेवन करने लगे हैं, वो इसे स्टेटस सिंबल समझने लगे हैं। इसकी गिरफ्त में बहुत कम या ज्यादा समूचे देश का युवा फंसा है। इसकी पहुंच स्कूल-कॉलेजों में हो गई है। अभी कुछ माह पहले ही दिल्ली के एक नामी स्कूल में छात्र के पास से कोकीन बरामद हुई थी। छात्र बड़े ओहदेदार का पुत्र था। अंदाजा लगा सकते हैं कि ऐसी चीजें उनके घर में खुलेआम आती-जाती होंगी, तभी उसे देखकर बच्चा प्रभावित हुआ। मामले को स्कूल प्रशासन ने दबा दिया, ताकि पहचान उजागर न हो। मादक पदार्थ कारोबार में शामिल बड़े लोगों की पहचान कभी सार्वजनिक नहीं की जाती। ये दोहरा मापदंड क्यों अपनाया जाता है, इसके पीछे की वजह को भी सभी जानते हैं।

राजधानी में ड्रग्स कई रास्तों से होकर पहुंच रही है क्योंकि सीमाएं विभिन्न राज्यों से जुड़ती हैं। ड्रग्स डीलर्स विभिन्न प्रदेशों से चरस, गांजा कोकीन, अफीम दिल्ली तक पहुंचाते हैं। उसके बाद दिल्ली में अपने हिसाब से आगे सप्लाई करते हैं। नॉर्थ ईस्ट के तस्कर दिल्ली में मादक पदार्थ कोरियर के जरिए भिजवाते हैं। नारकोटिक्स विभाग की मानें तो राजधानी में बीते 3 साल में ड्रग्स के डाटा चौंकाने वाले रहे। साल 2020 में 886 किलोग्राम गांजा, 28 किलोग्राम हेरोइन, 14 किलोग्राम कोकेन जबकि 16 किलो अफीम बरामद हुई थी। जबकि, इस साल ये डाटा सिर्फ 4 महीने में उससे कई गुना ज्यादा हुआ। अभी तक 4396 किलो अफीम बरामद हो चुकी है।

बीते पांच-छह साल से ड्रग्स का धंधा धड़ल्ले से शाम के वक्त पॉश इलाकों में चलता है। दिल्ली में सफेदपोश या बड़े लोगों के घरों में पार्टी-फंक्शन हो और उसमें ड्रग्स का वितरण ना किया जाए, ऐसा हो नहीं सकता। राजधानी दिल्ली और उससे सटे इलाकों में ड्रग्स का कारोबार आग की तरह फैल रहा है। दिल्ली में शनिवार को 40 करोड़ की अफीम पकड़ी गई, जिसकी सप्लाई लुटियन जोन सहित दूसरे पॉश इलाकों में होनी थी। स्पेशल सेल के पास पूरी जानकारी है कि अफीम की सप्लाई कहां-कहां और किन-किन लोगों में होनी थी। पर, कुछ भी नहीं बताया। इतना जरूर है बलि का बकरा उनको बनाने में देर नहीं लगी जो कमजोर कड़ी थे। अफीम मणिपुर और जम्मू से लाई गई थी, ड्रग्स तस्करों के नाम परमजीत सिंह और राजकुमार हैं। इनका काम मात्र इतना था- डिलिवरी लेनी और पहुंचानी। दिल्ली पुलिस की स्पेशल ने उन पर हाथ नहीं डाला, जो इस खेल की बड़ी मछलियां हैं।

राजधानी हेरोइन, कोकेन, गांजा और अफीम का हब बन गई है। पिछले कुछ साल में दिल्ली में ये कारोबार काफी तेजी से बढ़ा है। दिल्ली में पहले नशे के इस कारोबार के 15 हब थे, लेकिन अब ये बढ़ कर 64 हो चुके हैं। ये सब हुआ है पिछले 4 साल में। मादक पदार्थ बड़े लोगों के शौक हैं। ये सच्चाई पुलिस भी जानती है। इसलिए ये धंधा यूं ही चलता रहेगा। जरूरत आम लोगों को अपने बच्चों को इससे बचाने की है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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