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कैसे भारत में निवेश का केंद्र बना यूपी

– आर.के. सिन्हा

भगवान राम और कृष्ण की पवित्र जन्मस्थली के रूप में जाना जाने वाला उत्तर प्रदेश अपने बिलकुल नए अवतार में भारत और दुनिया के शीर्ष व्यापारिक घरानों को निवेश करने के लिए आकर्षित कर रहा है। हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 में मुकेश अंबानी से लेकर कुमार मंगलम बिड़ला, टाटा समूह के एन. चंद्रशेखर से लेकर ज्यूरिख एयरपोर्ट एशिया के सीईओ डेनियल बिचर समेत कॉर्पोरेट जगत की कई दिग्गज हस्तियां न केवल मौजूद रहीं बल्कि उन्होंने राज्य में कुल मिलाकर 33.50 लाख करोड़ की राशि के निवेश की घोषणा की।

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में निवेश प्रस्तावों के लागू होने से 92.50 लाख (9.25 मिलियन) रोजगार के अवसर पैदा होंगे। ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2023 में 33.50 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्तावों को प्राप्त करने वाली राज्य सरकार 17.3 लाख करोड़ रुपये के संशोधित लक्ष्य से लगभग दोगुना और आयोजन के लिए 10 लाख करोड़ रुपये के शुरुआती लक्ष्य से तीन गुना से अधिक निवेश हासिल करने में सफल रही है। कुल मिलाकर 18,645 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इनमें बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए 4.28 लाख करोड़ रुपये और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए 9.55 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव भी शामिल हैं।


यदि हम पीछे मुड़कर देखें, तो उत्तर प्रदेश को 2018 में 4.68 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे, जिसमें से 4 लाख करोड़ रुपये के निवेश से जमीनी स्तर पर कार्य शुरू भी हो चुका है। इन्वेस्टर्स समिट के दौरान प्राप्त निवेश को जमीनी स्तर पर लागू करने के मामले में भी उत्तर प्रदेश देश में टॉप पर है। उत्तर प्रदेश ने अपनी नई औद्योगिक नीति बनाई है। राज्य ने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए पुरानी नीति में संशोधन किया है। इतना ही नहीं उद्यमियों को पूंजीगत अनुदान भी दिया जा रहा है। जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के कारण व्यापारियों को होने वाली समस्या का भी समाधान किया गया। वे पूंजीगत सब्सिडी या जीएसटी का विकल्प चुन सकते हैं। नई औद्योगिक नीति को निवेशकों के लिये माकूल बनाने के लिए न केवल विभिन्न राज्यों के औद्योगिक नीतियों का अध्ययन किया गया, बल्कि उत्कृष्ट नियमों को स्वीकारा भी गया।

अब सवाल यह है कि उत्तर प्रदेश बीमारू राज्य से निवेशकों के पसंदीदा गंतव्य के रूप में कैसे बदल रहा है? जानकारों का कहना है कि पहले केवल कुछ ही उद्योगपति उत्तर प्रदेश में निवेश करना चाहते थे, लेकिन परिदृश्य तेजी से बदला। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश का सुनहरा दौर शुरू हो गया है। आज, भारत दुनिया भर के निवेशकों का पसंदीदा गंतव्य बन चुका है और भारत में, उत्तर प्रदेश निवेशकों के लिए प्रमुख और पसंदीदा गंतव्य के रूप में उभरा है।

यूपी में इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में बड़ा निवेश किया गया है। बीजेपी के सत्ता में आने से पहले राज्य में मात्र दो एयरपोर्ट थे, भाजपा सरकार ने नौ हवाई अड्डों के निर्माण में तेजी दिखाई। नए एयरपोर्टों का काम जारी है। जल्द ही, राज्य में घरेलू उड़ानों के लिए 21 और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए पांच हवाई अड्डे होंगे। 2024 की शुरुआत में जेवर एयरपोर्ट पर फ्लाइट्स का ट्रायल रन शुरू होगा। ज्यूरिख एयरपोर्ट एशिया, जेवर एयरपोर्ट बना रहा है।

यकीनन,एक इन्वेस्टर समिट में इतना बड़ा निवेश शायद किसी और राज्य में कभी भी नहीं हुआ है । उत्तर प्रदेश में निवेश करने के लिए विदेशी और घरेलू दोनों ही तरह के निवेशकों ने उत्साह दिखाया है। राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री के कहने पर 16 देशों के 21 शहरों में अंतरराष्ट्रीय रोड शो करने के लिए आठ टीमों को विदेश भेजा था और इन टीमों ने लगभग 7.12 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त किया था। उत्तर प्रदेश जीआईएस 2023 में 10 साझेदार देश हैं। विभिन्न देशों के राजनयिकों ने शिखर सम्मेलन से पहले राज्य में निवेश का वादा करते हुए मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात की थी।

प्रधानमंत्री मोदी ने मुख्यमंत्री आदित्यनाथ और अन्य गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति में उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 का उद्घाटन किया। उत्तर प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 उत्तर प्रदेश सरकार का प्रमुख निवेश शिखर सम्मेलन है। ज्यूरिख एयरपोर्ट एशिया के सीईओ डेनियल बिर्चर ने कहा कि जिस तरह भारत आजादी के 75 साल का जश्न मना रहा है, उसी तरह ज्यूरिख एयरपोर्ट भी अपनी 75वीं वर्षगांठ मना रहा है। उन्होंने भारत के साथ लंबे समय से चली आ रही साझेदारी का उल्लेख किया। कहा कि ज्यूरिख हवाई अड्डे ने दो दशक पहले बेंगलुरु हवाई अड्डे के विकास में सहयोग दिया था और अब वर्तमान में नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का विकास कर रहा है। उन्होंने यमुना एक्सप्रेस-वे के साथ नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की सीधी कनेक्टिविटी के महत्व को भी रेखांकित किया।

शायद बहुत अधिक लोग इस तथ्य से वाकिफ नहीं होंगे कि भारत में बिकने वाले 65 प्रतिशत मोबाइल फोन उत्तर प्रदेश में ही निर्मित होते हैं। अब एक तरह से उत्तर प्रदेश मोबाइल फोन उद्योग की राजधानी बन गया है। इसका श्रेय यूपी सरकार को मिलना चाहिए। यूपी की प्रोगेसिव नीतियों का इसमें अहम योगदान है। इन्वेस्टर्स समिट के दौरान डिक्सन टेक्नोलॉजी के चेयरमैन रवि वचानी ने कहा कि डिक्सन टेक्नोलॉजीज लगभग 100 अरब डॉलर मूल्य के मोबाइल फोन के निर्यात पर विचार कर रही है। अन्य सभी उद्योगपतियों ने भी उत्तर प्रदेश में उभर रहे अवसरों के प्रति आशावादी रुख दिखाया।

उत्तर प्रदेश की धरती अपने सांस्कृतिक वैभव, गौरवशाली इतिहास और समृद्ध विरासत के लिए जानी जाती है। लेकिन, इसे खराब कानून व्यवस्था की स्थिति वाला एक बीमारू राज्य या उलटा प्रदेश भी कहा जाता था। हालांकि, 5-6 साल के भीतर उत्तर प्रदेश ने अपनी एक नई पहचान बना ली है। अब उत्तर प्रदेश सुशासन, बेहतर कानून व्यवस्था, शांति और स्थिरता के लिए जाना जाता है। यहां उत्तर प्रदेश में वेल्थ क्रिएटर्स के लिए नए अवसर बन रहे हैं। उत्तर प्रदेश में बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रयास रंग ला रहे हैं। यूपी जल्द ही 5 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों वाले एकमात्र राज्य के रूप में जाना जाएगा। फ्रेट कॉरिडोर राज्य को सीधे महाराष्ट्र के समुद्री तट से जोड़ेगा। यूपी के विकास प्रक्रियाओं का अन्य राज्यों को भी अनुसरण करना चाहिए तभी प्रधानमंत्री मोदी का सपना पूरा हो सकेगा ।

(लेखक, वरिष्ठ संपादक, स्तंभकार और पूर्व सांसद हैं।)

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