ब्‍लॉगर

सौ टंच…


संघ हुआ परिवार संग
समय का सदुपयोग करने में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का कोई सानी नहीं है। कोरोना संक्रमण के कारण जब देशव्यापी लॉकडाउन का दौर चला तो संघ ने अपनी शाखाएं स्थगित कर दीं, पर ऑनलाइन शाखाएं जारी रखीं। इसी दौर में परिवार शाखा का नया कांसेप्ट संघ ने खड़ा कर दिया। इसके तहत रोज शाम को घरों में ही शाखाएं लगीं और इसमें पूरे परिवार की सहभागिता रही। अब स्थिति यह है कि घर के पुरुष भले ही टाल जाएं, लेकिन महिलाएं एवं बच्चे शाखा के निमित्त रोज शाम इक_ा होकर किसी एक मुद्दे पर चर्चा करते हैं। कमरे में ही बैठकर खेल खेले जाते हैं, भजन गाए जाते हैं और फिर प्रार्थना भी होती है।
रमन सेवा आयोग
मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग में डॉ. रमनसिंह सिकरवार की उपस्थिति का असर दिखने लगा है। सीमा शर्मा के आयोग के सदस्य पद से सेवानिवृत्त होने के बाद आयोग में प्रशासनिक पृष्ठभूमि का कोई सदस्य नहीं था। इस कारण कई बार मातहत अमले को परेशानी का सामना करना पड़ता था। कई बार तो ऐसा हुआ कि आयोग से जुड़े रहे कुछ पुराने अफसरों की भी मदद ली गई। नियम-कायदे से काम करने के लिए ख्यात रहे डॉ. सिकरवार के अनुभव का लाभ अब आयोग को मिलने लगा है। अपनी बेबाकी के लिए मशहूर डॉ. सिकरवार सरकार और आयोग के बीच समन्वयक की भूमिका भी निभाने लगे हैं।
ऊपर बेल- बूटा, नीचे पैंदा फूटा
इंदौर के आईजी विवेक शर्मा और डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्रा भले ही पूरे समन्वय के साथ काम कर रहे हों, लेकिन निचले अमले में जबरदस्त खींचतान है और मौका आने पर अफसर एक-दूसरे को नीचा दिखाने में भी परहेज नहीं कर रहे हैं। उषा नगर में हुई लूट का खुलासा होने के बाद जो परिदृश्य सामने आ रहा है, उससे यह साफ है कि यदि आईजी ने हस्तक्षेप कर सख्ती नहीं दिखाई तो निचले स्तर का मामला बहुत बिगडऩे वाला है।
दीदी को मिला सत्संग
कैबिनेट मंत्री उषा ठाकुर को मंत्री बनवाने में तो संघ की अहम भूमिका रही ही, उनका विभाग भी संघ की पसंद से तय हुआ। दरअसल उषा ठाकुर, मोहन यादव और इंदरसिंह परमार संघ की पसंद के कारण मंत्रिमंडल में शामिल किए गए। जब विभागों के बंटवारे की बात आई तो भी इन तीनों के मामले में मुख्यमंत्री ने संघ के दिग्गजों से परामर्श किया। स्वाभाविक है, जिस क्षेत्र में संघ की रुचि है और जहां वे अपनी विचारधारा के मुताबिक कुछ करना चाहते हैं, उसी के मुताबिक अनुशंसा की गई और उषा दीदी के हिस्से में पर्यटन, संस्कृति और अध्यात्म जैसा उनका पसंदीदा विभाग आ गया।
20 साल बाद
बीस साल पहले जब कैलाश विजयवर्गीय इंदौर के महापौर बने थे, तब सूर्यप्रतापसिंह परिहार की प्रशासनिक योग्यता का फायदा लेने के बारे में सोचा गया था। बाद में बात आई-गई हो गई। मप्र में अहम भूमिका में होते हुए भी परिहार ने दिल्ली जाना पसंद किया। काम करने वाले की हर जगह कद्र होती है, यह बात परिहार पर 100 टका लागू हुई। पीएमओ में उनके काम से प्रभावित होकर उन्हें केंद्रीय प्रदूषण निवारण मंडल का अध्यक्ष बनाया गया था। इस दायित्व को उन्होंने जिस काबिलियत से निभाया उसी का नतीजा है कि सेवानिवृत्ति के बाद राज्य सरकार ने तमाम नामों को दरकिनार कर उन्हें राज्य विद्युत नियामक आयोग का अध्यक्ष बना दिया।
आंगन पटवारी सजाएं, पौधा लगाने तुलसी पहुंच जाएं
जीतू पटवारी ने सांवेर विधानसभा क्षेत्र के चुनाव प्रभारी के नाते बूथ से लेकर सेक्टर तक की नामजद जिम्मेदारी तय करते हुए जो सूची तैयार की थी, वह घोषणा के कुछ ही घंटों बाद तुलसी सिलावट के पास पहुंच गई। सिलावट भी ठहरे पुराने कांग्रेसी, जिन्हें जिम्मेदारी दी गई थी उनके पीछे अपने आदमी लगा दिए, पुराने संबंधों की दुहाई दी और नतीजा यह निकल रहा है कि कई लोगों ने जिम्मेदारी संभालने से हाथ खींच लिए हैं। क्षेत्र के बाहर के कुछ लोगों ने जिम्मेदारी संभाली भी तो स्थानीय लोगों ने उनसे असहयोग कर दिया। बात पटवारी तक पहुंची तो बोले- तुम्हारी तुम जानो।
आराम का काम
सेवानिवृत्ति के बाद आईएएस-आईपीएस अफसर साल-छह महीने आराम करते हैं या फिर घूमते-फिरते हैं, लेकिन इंदौर के पूर्व आईजी और ट्रांसपोर्ट कमिश्नर रहे डॉ. शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने नई नजीर पेश की है। महीनेभर पहले ही सेवानिवृत्त हुए डॉ. श्रीवास्तव अब नई भूमिका में मैदान में आ गए हैं। वे अब हर रविवार 12 से 1 बजे के बीच फेसबुक लाइव पर काउंसलर की भूमिका में उपलब्ध रहकर अलग-अलग विषयों से संबंधित समस्याओं का निदान करेंगे। इसके लिए उन्होंने बाकायदा शेड्यूल भी जारी किया है।
और अंत में…
सांसद शंकर लालवानी की चल तो रही है, मतलब उनकी सुनी जा रही है। इसी का नतीजा है कि सांसद के कट्टर समर्थक बंटी गोयल, पवन सिंघल और कमलपुरी गोस्वामी, दिलीप पुरी को टीआई के रूप में वापस इंदौर लाने में कामयाब हो गए। अब आ ही रहे हैं तो इन्हें इनकी पसंद के थाने मिलना भी तय है, क्योंकि मामला सांसद का जो है।

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