इंदौर न्यूज़ (Indore News) मध्‍यप्रदेश

मैं फिर लौटूंगा, 10 नवम्बर को नतीजों का कीजिए इंतजार

  • पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से अग्निबाण की विशेष चर्चा
  • शिवराज को बताया झूठ बोलने वाली मशीन
  • कई भाजपा विधायक मेरे भी सम्पर्क में

इंदौर (राजेश ज्वेल)। एक लम्बे अरसे तक केन्द्र की राजनीति करते हुए तमाम महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री रहे कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अब दिल्ली नहीं, मध्यप्रदेश को ही अपना राजनीतिक ठिकाना बनाए रखेंगे… मौजूदा 28 सीटों पर चल रहे उपचुनावों में उन्हें नोट नहीं, जनता के वोट पर भरोसा है। लिहाजा वे निश्चिंत भी नजर आते हैं और कहते हैं कि मैं लौटूंगा, बस 10 नवम्बर के चुनाव परिणामों का इंतजार कीजिए… मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को वे झूठ बोलने वाली मशीन बताते हुए चुनौती देते हैं कि वे अपने 15 साल और मेरे 15 महीने के कार्यकाल पर किसी भी मंच पर खुली बहस कर लें। सौदेबाजी के सवाल पर कमलनाथ का दो टूक कहना है कि वे इस तरह के हथकंडों पर भरोसा नहीं करते। इतना जरूर है कि भाजपा के भी कई विधायक मेरे सम्पर्क में हैं।

उपचुनावों की भागदौड़, सभाएं, रैली के बीच दशहरे के दूसरे दिन अवकाश का लाभ उठाकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भोपाल में अपने निवास पर मौजूद रहे और इस दौरान उन्होंने अग्निबाण प्रतिनिधि से तमाम चुनावी मुद्दों के साथ उनकी भावी रणनीति, प्रदेश में हुए तख्तापलट, माफियाओं पर की गई कार्रवाई, सिंधिया की बगावत और दिग्विजय सिंह की सक्रियता से लेकर कई सवालों के जवाब दिए। कमलनाथ ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि चुनाव परिणामों के बाद भी वे मध्यप्रदेश की राजनीति में ही पूरी तरह से सक्रिय रहेंगे। चुनाव को उन्होंने प्रजातंत्र का उत्सव बताया, लेकिन कहा कि इसे भाजपा ने सौदेबाजी और बिकाऊ उत्सव में परिवर्तित कर दिया। अभी भी कई विधायकों के फोन आते हैं, जो कहते हैं कि भाजपा के लोग उन्हें लगातार प्रलोभन दे रहे हैं। करोड़ों रुपए का ऑफर भी दिया जा रहा है, लेकिन मैं इस तरह की सौदेबाजी में यकीन नहीं रखता हूं। मैंने अपने कार्यकाल में भी यही प्रयास किए कि माफिया, मिलावटखोरों और अन्य अनैतिक गतिविधियों का अड्डा प्रदेश को नहीं बनने दूंगा। मध्यप्रदेश की पहचान एक साफ-सुथरे, शांति सम्पन्न राज्य की बने, यही प्रयास किए, जिसके परिणाम स्वरूप पहली बार हर तरह के माफिया को नैस्तनाबूत करने का अभियान चलाया और शुद्ध के लिए युद्ध के जरिए मिलावटखोरों को भी जेल भेजा। जब कमलनाथ से यह पूछा गया कि ऐसा कौन-सा फॉर्मूला या जादू उनके पास है, जिसके चलते वे फिर से कांग्रेस की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं..? इसके जवाब में कमलनाथ का कहना है कि ये चुनाव जनता लड़ रही है। वे सीटों का गणित नहीं लगाते, 3 नवम्बर को प्रदेश की जनता तय करेगी कि उसे किस तरह का भविष्य चाहिए। मुझे प्रदेश के मतदाताओं पर पूरा भरोसा है, क्योंकि वे जागरूक और समझदार हैं। इसके साथ ही वे यह भी कहने से नहीं चूकते कि इस चुनाव में हमारा मुकाबला भाजपा के साथ-साथ प्रशासनिक तंत्र से भी है, जिसको लेकर मैंने चुनाव आयोग को पत्र भी लिखा है। भाजपा के पक्ष में काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारी यह समझ लें कि 10 नवम्बर के बाद 11 नवम्बर भी आएगा। प्रदेश की जनता ने सौदेबाजी की सच्चाई भी जान ली है।

आइफा से मिलती इंदौर को अंतर्राष्ट्रीय पहचान
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ कहते हैं कि भाजपा आइफा अवॉर्ड का मजाक बनाती है, जबकि उसे पता ही नहीं है कि यह इंदौर और मध्यप्रदेश के लिए कितना महत्वपूर्ण इवेंट साबित होता। जो समारोह दुनिया के बड़े-बड़े देशों में आयोजित होता है, उसे मैं इंदौर लेकर आया और यह अवॉर्ड समारोह होता तो इंदौर को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलती। टूरिज्म से लेकर फिल्म, टीवी इंडस्ट्रीज के रास्ते भी खुलते, जिससे प्रदेश में निवेश के साथ-साथ रोजगार आता और यहां के प्रतिभाशाली लोगों को फिल्म इंडस्ट्री में मौका भी मिलता। जब मैं कॉमर्स मंत्री था, तब से आइफा के आयोजक मुझसे जुड़े हैं और उन्हें मध्यप्रदेश लाने के लिए मुझे काफी मशक्कत भी उन्हें समझाने में करनी पड़ी।

माफिया की कमर तोड़ी… अब फिर होने लगे सक्रिय
15 साल भाजपा के कार्यकाल में इंदौर सहित प्रदेशभर में हर तरह का माफिया राज चल रहा था, जिसकी कमर मैंने अपने 15 महीने के कार्यकाल में ही तोड़ दी थी। इंदौर में भी भूमाफिया, शराब माफिया, मीडिया माफिया से लेकर मिलावट माफिया के खिलाफ कार्रवाई हुई, लेकिन भाजपा की सरकार आते ही फिर ये माफिया सक्रिय हो गए। जमीनों के साथ-साथ अभी उज्जैन में हुआ शराबकांड इसका उदाहरण है, जहां एक दर्जन से अधिक लोगों की मौत हो गई।

ना व्यापमं, ना डम्पर और ना खदान घोटाले किए
भाजपा लगातार कांग्रेस की कमलनाथ सरकार पर आरोप लगाती है कि तबादला उद्योग चलाकर करोड़ों का भ्रष्टाचार किया और वल्लभ भवन को भी उसका अड्डा बना दिया था। इस सवाल के जवाब में कमलनाथ दो टूक कहते हैं कि मेरे खिलाफ एक भी भ्रष्टाचार का आरोप सालों तक केन्द्र में मंत्री रहते नहीं लगा और प्रदेश में भी ना तो डम्पर हुआ और ना व्यापमं और ना खदान घोटाले 15 महीनों के दौरान सामने आए। देशभर में चर्चित बड़े-बड़े घोटाले तो शिवराज सरकार के कार्यकाल में हुए, जिसमें खुद मुख्यमंत्री पर भी आरोप लगे। मैंने तो भ्रष्टाचारियों, माफियाओं और असामाजिक तत्वों के खिलाफ पूरे प्रदेशभर में सख्त अभियान चलवाया, जिसके चलते ही भाजपा ने षड्यंत्र करके सरकार गिरा दी। मेरी चुनौती है कि 15 महीने के कार्यकाल का एक भी भ्रष्टाचार भाजपा साबित कर दे। जहां तक तबादलों का सवाल है तो 15 साल तक मलाईदार पदों पर बैठे अधिकारियों को हटाया गया और योग्य, ईमानदार और सक्षम अधिकारियों की पोस्टिंग की गई, जिसके परिणाम किसानों की कर्जमाफी, निवेश को बढ़ावा देने से लेकर कानून व्यवस्था और अन्य क्षेत्रों में 15 महीने के दौरान ही जनता को नजर आने लगे और यही कारण है कि भाजपा के अधिकांश बड़े नेता भी यह मानते हैं कि 15 महीने की कमलनाथ सरकार ने वाकई अच्छे कार्य किए, जिसके चलते ही तख्तापलट की साजिश को अंजाम दिया गया।

सोशल मीडिया के लिए मिशन-28 वॉर रूम
वैसे तो भाजपा का सोशल मीडिया पर शुरू से ही कब्जा रहा है और कांग्रेस इस मामले में पीछे रही है, लेकिन इस बार 28 सीटों पर हो रहे उपचुनावों में सोशल मीडिया के जरिए भी कांग्रेस प्रचार-प्रसार में जुटी है। मिशन-28 वॉर रूम जैसे व्हाट्सएप ग्रुप भी बनाए गए हैं और प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक के अलावा सोशल मीडिया के सभी प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के विश्वस्त आर.के. मिगलानी जहां पूरी तरह सक्रिय हैं। आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों से लेकर कई महत्वपूर्ण जिम्मा वे उठा रहे हैं, तो कमलनाथ के ओएसडी रहे प्रवीण कक्कड़ के पास भी मीडिया सहित अन्य महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। कांग्रेस के प्रवक्ता और कमलनाथ के मीडिया समन्वयक नरेन्द्र सलूजा ने भी भोपाल में ही डेरा डाल रखा है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में वे जहां नियमित बैठते हैं, वहीं फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्सएप से लेकर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कमलनाथ की ओर से लगातार बयान जारी करने और भाजपा पर हमला बोलने में श्री सलूजा भी पीछे नहीं है। सभी उम्मीदवारों को भी कहा गया है कि वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में सोशल मीडिया का भी भरपूर इस्तेमाल करें, जिसके चलते सांवेर में भी भाजपा प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू ने सोशल मीडिया के जरिए भी प्रचार-प्रसार में कोई कमी नहीं रखी है। मिशन-28 वॉर रूम 24 घंटे सक्रिय रहता है।

राहुल-प्रियंका साथ… दिग्गी भी पूरी तरह सक्रिय
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से जब यह पूछा गया कि उनके एक बयान पर राहुल ने प्रतिक्रिया दी और वे नाराज भी बताए गए। इस पर कमलनाथ ने जवाब दिया कि किसी भी उपचुनाव में कांग्रेस आलाकमान या राहुल-प्रियंका प्रचार-प्रसार में नहीं आते हैं। यही कारण है कि इस बार भी उनका कोई दौरा नहीं बना, लेकिन राहुल-प्रियंका के साथ उनकी नियमित बातचीत होती है और वे भी उपचुनावों से संबंधित चर्चा करते हैं। जहां तक दिग्विजय सिंह का सवाल है, वे भी उपचुनाव में पूरी तरह से सक्रिय हैं। चुनावी रणनीति बनाने से लेकर उनके चुनावी दौरे भी अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में लगातार चल रहे हैं। दरअसल मीडिया में यह खबरें आती रही कि जहां राहुल-प्रियंका प्रचार-प्रसार के लिए नहीं आ रहे हैं, वहीं दिग्विजय सिंह को भी अलग रखा गया है। इसका पूरी तरह से खंडन कमलनाथ ने किया और कहा कि पूरी ताकत से सभी उपचुनावों में जुटे हैं। ये तो भाजपा का प्रचार तंत्र इस तरह की झूठी बातें फैलाने और अफवाहबाजी में माहिर है। दिग्विजय सिंह सहित प्रदेश कांग्रेस के सभी नेता-पदाधिकारी पूरी ताकत से अपने-अपने क्षेत्रों में सक्रिय हैं और प्रदेश में फिर से कांग्रेस की सरकार बनना तय है। बल्कि भाजपा को स्टार प्रचारक नहीं मिल रहे और ना ही उनके नेताओं की सभा-रैलियोंं में भीड़ नजर आ रही है।

शब्दों को पकड़कर चुनाव लडऩे की तरकीब पुरानी
चुन्नू-मुन्नू, नालायक, नंगे-भूखे से लेकर आयटम जैसे शब्द भी इन उपचुनावों में मीडिया की सुर्खियों में रहे हैं, जबकि जनता से जुड़े असल मुद्दे हाशिए पर चले गए। इस सवाल के जवाब में कमलनाथ का कहना है कि हम तो जनता से जुड़े मुद्दों पर ही चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन भाजपा के पास चूंकि पूर्व के 15 साल और अभी के 6 महीने से अधिक के कार्यकाल की कोई उपलब्धियां ही नहीं है, लिहाजा वे शब्दों को पकड़कर चुनाव जीतने की अपनी पुरानी तरकीब को इस बार भी आजमाना चाहते हैं, जबकि मतदाता इस चाल में नहीं फंसेंगे। उनके सामने 15 महीने का कांग्रेस कार्यकाल और उसकी उपलब्धियां मौजूद हैं। कमलनाथ का कहना है कि मैं इस तरह की फिजुल बातों में भरोसा नहीं करता, जनता को सच्चाई पता है।

 

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