– पेड़ काटा तो 50 हजार का जुर्माना, शिफ्टिंग कराई तो 12 हजार का शुल्क
– अब तक 1200 से ज्यादा लोगों ने निगम से ली अनुमति
– मेट्रो के लिए तीन हजार पेड़ों की शिफ्टिंग की तो निगम ने 12 हजार रुपए के मान से शुल्क वसूला
– इंदौर विकास प्राधिकरण और नेशनल हाईवे भी पेड़ शिफ्टिंग के लिए जमा करा रहे हंै निगम में राशि
इंदौर। नगर निगम (Municipal council) द्वारा हरे-भरे पेड़ काटने (Cutting down trees) को लेकर सख्ती की गई है, जिसके चलते (Sapna-Sangeeta Road) पर एक ही संस्थान पर ढाई लाख का जुर्माना (Fine) लगाया गया था। निगम ने बीते दो सालों में नई योजना लागू की थी, जिसके तहत कोई भी कालोनी या घर के आसपास बाधक पेड़ को शिफ्ट कराने के बदले में संबंधित रहवासी को निगम में 12 हजार रुपए का शुल्क जमा कराना होता है और उसके बााद निगम उस पेड़ की शिफ्टिंग कराता है। अब नए निर्णय के मुुताबिक निगम को भी किसी सडक़ के मामले में बाधक पेड़ को काटने और शिफ्ट करने के लिए वन विभाग से अनुमति लेना होगी।
नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक दो साल पहले से लागू की गई योजना के चलते इंदौर विकास प्राधिकरण, मेट्रो, नेशनल हाईवे और कई अन्य विभागों ने बाधक पेड़ के मामले को लेकर निगम में राशि जमा कराकर पेड़ों की शिफ्टिंग कराई थी। एक पेड़ की शिफ्टिंग के लिए नगर निगम 12 हजार की राशि लेता है और इसका ऑनलाइन आवेदन करना होता है। इस योजना के तहत मेट्रो स्टेशनों और कई अन्य कार्यों के लिए करीब 3 हजार से ज्यादा पेड़ों की शिफ्टिंग निगम द्वारा उद्यान विभाग और एजेंसियों की मदद से कराई गई थी। इसके बदले मेट्रो द्वारा प्रति पेड़ शिफ्टिंग के मान से 12 हजार का भुगतान किया गया था। जनकार्य और उद्यान समिति प्रभारी राजेंद्र राठौर के मुताबिक हरे-भरे पेड़ काटने को लेकर निगम द्वारा सख्ती की जा रही है और ऐसे लोगों के खिलाफ 50 हजार रुपए का जुर्माना करने के साथ-साथ दंडात्मक कार्रवाई भी की जा रही है। वहीं दूसरी ओर इस योजना के तहत बड़ी संख्या में कई लोगों ने आवेदन देकर पेड़ों की शिफ्टिंग कराई है।
लेनी पड़ेगी परमिशन
कुछ दिनों पहले ही न्यायालयीन निर्देश के चलते प्रशासन ने यह व्यवस्था तय की है कि निगम पेड़ शिफ्टिंग के लिए खुद को अनुमति नहीं दे सकता है। ऐसे में वन विभाग के अधिकारी कैलाश जोशी से इसकी अनुमति ली जाएगी। राठौर के मुुताबिक कई स्थानों पर सडक़ों में बाधक पेड़ बबूल के भी होते हैं, जो शिफ्ट नहीं किए जा सकते हैं। उन्हें काटना ही पड़ता है, जबकि शिफ्टिंग वाले कई पेड़ों के लिए दूसरे स्थान चयनित रहते हैं। वहां उन पेड़ों को शिफ्ट किया जाता है।
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