भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

19 जिलों में हो रहा अवैध उत्खनन

  • रॉयल्टी जमा नहीं होने से रेत खदान के पोर्टल बंद

भोपाल। प्रदेश में नर्मदा (Narmada) सहित अन्य नदियों से रेत निकलने पर प्रतिबंध लगा हुआ है। खनिज निगम ने पोर्टल (Portal) को बंद कर दिया है। इसके बावजूद भी नर्मदा नदी अन्य नदियों में मशीनों से अवैध खनन किया जा रहा है। खनिज निगम से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के 19 जिलों का पोर्टल बंद किया गया है। जिसमें बताया गया है कि जिलों की कंपनियों ने नियम अनुसार रायल्टी जमा नहीं की गई है। आरकेटीसी कंपनी के द्वारा तवा और नर्मदा में खनन का काम किया जा रहा है, जबकि खनिज निगम के द्वारा सभी रेत खदानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार नर्मदा नदी की ज्यादातर रेत खदान चोरी छुपे संचालित की जा रही हैं जिसमें बुल्डोजर और पोकलेन मशीन से अवैध उत्खनन दिन रात किया जा रहा है। वहीं टेंडर प्रक्रिया के अनुसार रेत निति के नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कंपनी के द्वारा डंपर और हाईवा में ओवरलोड रेत भरी जा रही है।

हो रहा है करोड़ों का नुकसान
कागजों में भले ही रेत खदानें बंद हैं। लेकिन खदानों की हकीकत कुछ और ही है। कंपनी की ज्यादातर रेत खदानों में दिन रात खनन का काम चल रहा है। जिससे सरकार की आय को नुकसान पहुंच रहा है। रेत के घाटों पर प्रतिदिन सैकड़ों डंपर हाईवा से रेत परिवहन किया जा रहा है और स्टाक की वैद्य रॉयल्टी दी जा रही है, ऐसा नहीं है कि यह खेल कंपनी तक ही सीमित है इस खेल की जानकारी प्रशासन को है लेकिन कार्रवाई नहीं की जा रही है।

अब रेत के भंडार का अध्ययन करेंगे कलेक्टर
दो साल में पांच बार नीलामी करने के बाद भी आगर-मालवा और उज्जैन की खदानें नीलाम नहीं हुईं। ठेकेदारों का कहना है कि सरकार ने खदानों का जो मूल्य तय किया है, उतनी भी रेत नहीं है। इसलिए छठवीं बार नीलामी प्रक्रिया शुरू करने से पहले दोनों जिलों के कलेक्टरों से रेत भंडारण का आकलन करने को कहा है।

ठेकेदार मांग रहे भंडारण की अनुमति
प्री-मानसून बारिश शुरू होने से पहले ठेकेदार रेत का भंडारण करना चाहते हैं। प्रदेशभर में ज्यादातर ठेकेदारों ने भंडारण की अनुमति के लिए आवेदन लगा दिए हैं। दरअसल, बारिश शुरू होते ही नदी तट से रेत भरना मुश्किल हो जाएगा और 30 जून से तीन महीने के लिए घाट बंद हो जाएंगे। ऐसे में ठेकेदार भंडारण करके रखेंगे, तभी काम चल पाएगा।

अब बारिश बाद शुरू होगी रेत खदानों की नीलामी
प्रदेश में कोरोना संक्रमण से बिगड़े हालातों की वजह से रायसेन, मंदसौर, आलीराजपुर, उज्जैन, आगर-मालवा जिलों की रेत खदानों की नीलामी अटक गई है। अब ये खदानें बारिश बाद नीलाम होंगी। खनिज निगम इसकी तैयारी में जुटा है। इनमें से रायसेन, मंदसौर और आलीराजपुर की खदानों के ठेके रॉयल्टी की दूसरी किस्त जमा न करने के कारण दो महीने पहले निरस्त किए गए हैं। जबकि उज्जैन और आगर-मालवा की खदानों को नीलामी के पांचवें प्रयास में भी ठेकेदार नहीं मिले हैं। अब इन खदानों में रेत के भंडारण का फिर से आकलन कराया जा रहा है। कमल नाथ सरकार ने जिलों की रेत खदानों का समूह बनाकर दिसंबर 2019 में नीलाम की थीं। इससे सरकार को करीब 1400 करोड़ रुपये राजस्व मिलना था, पर काफी महंगी खदानें लेने के कारण ठेकेदार चला नहीं पा रहे हैं। पहले प्रदेश की सबसे महंगी नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिले की रेत खदान ठेकेदार ने छोड़ी और इस साल रायसेन, मंदसौर और आलीराजपुर के ठेकेदार रॉयल्टी राशि जमा नहीं कर पाए। इसलिए तीनों जिलों के ठेके निरस्त करना पड़े। खनिज निगम अप्रैल-मई में नीलामी प्रक्रिया पूरी करने की तैयारी में था, पर इन महीनों में कोरोना की वजह से सभी गतिविधि ठप रहीं। अब नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश प्रक्रिया में आड़े आ जाएंगे। 30 जून से तीन महीने के लिए नदियों से रेत निकालना प्रतिबंधित रहेगा। इसलिए नीलामी चार महीने के लिए टल गई है।

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