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    सहकारिता की सफलता में संस्कार का महत्व

  • January 07, 2022

    – डॉ. दिलीप अग्निहोत्री

    भारतीय संस्कृति में समरसता व सामाजिक सहयोग के विचार को महत्व दिया गया। सहकारिता का विकास इसी भावना के अनुरूप है। सहकार भारती सहकारिता के क्षेत्र में काम करने वाला स्वयंसेवी संगठन है। इसमें संस्कार को महत्व दिया गया। इसके अभाव में सहकार संभव नहीं हो सकता। सहकार आंदोलन को दलगत राजनीति से ऊपर होना चाहिए। सहकारी समितियों में सहयोग करने वालों की भूमिका ट्रस्टी के रूप में होनी चाहिए मालिक की नहीं। देश में स्थाई आर्थिक विकास सहकारिता के माध्यम से हो सकता है। ऐसे में अगर संस्कारित कार्यकर्ता सहकार आन्दोलन से जुड़ेंगे तो सहकारिता ठीक से चलेगी।

    व्यक्ति में नहीं संगठन में ताकत होती है। संगठन में अनुशासन भी आवश्यक है। सहकारिता के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी आवश्यक है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक भैयाजी जोशी ने कहा कि परस्पर सहयोग से आगे बढ़ने की भावना होनी चाहिए। लोगों की क्षमता या गति अलग हो सकती है, फिर भी सबको साथ लेकर चलना ही उचित है। इस संदर्भ में समझौता करना चाहिए। समाज को स्वाहाकार से रोकना ही सहकार है। स्वयं को छोटे उपकरण के रूप में मानते हुए एक लक्ष्य को लेकर निरंतर चलना चाहिए। यह सहकारिता का मूलमंत्र है। यह शब्द हमारे लिए नया नहीं है। हम सभी की जीवनचर्या में समाहित रहा है।

    संस्कार सहकार को सशक्त बनाता है। सहकार के बिना समाज का उत्थान संभव नहीं है। सहकार को एक संगठन से जोड़कर सकारात्मक लक्ष्य को तय किया गया है। चेतनायुक्त और शुद्ध उपकरण के माध्यम से होने वाला प्रयास ही सन्मार्ग पर ले जाने वाला होता है। कार्य आगे बढ़ता जाता है और चेतनायुक्त विचार ही बीज रूप में जीवन में विद्यमान रहता है। यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है। पूर्णता की ओर बढ़ना है तो चेतना को शुद्ध रखना होगा।

    लखनऊ के सहकार भारती के सातवें राष्ट्रीय अधिवेशन में इस तथ्य को रेखांकित किया गया। इसका उद्घाटन केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने किया। उन्होंने कहा कि सहकारिता की जवाबदेही तय की जाएगी। पहले चरण में दो राज्यों का चयन कर ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसका लाभ संबंधित किसानों के बैंक अकाउंट में सीधे भेजा जाएगा। इफको, लिज्जत पापड़ और अमूल दूध जैसी बड़ी कंपनियां सहकारी संस्थाएं हैं। को ऑपरेटिव का विशेष महत्व है।

    सहकार भारती के सातवें राष्ट्रीय अधिवेशन में सत्ताईस प्रान्तों के छह हजार जिलों से चार हजार प्रतिनिधि शिरकत कर रहे हैं। कार्यक्रम स्थल पर अनेक उत्पादों के तीन सौ स्टॉल्स लगाए गए हैं। अमित शाह ने डेढ़ सौ करोड़ रुपये से अधिक के कार्यों का लोकार्पण भी किया। सरकार किसानों की आय दोगुना करने की दिशा में तेजी से प्रयास कर रही है। इसमें सहकारिता विभाग भी सहभागी है। गेहूं और धान के भण्डारण सहित अनेक कदम उठाये गए हैं। पैक्स को आधुनिक बनाने और उनका कम्प्यूटराइजेशन किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में सहकारिता मंत्रालय बनाया। पांच वर्ष पहले उत्तर प्रदेश में सहकारिता आंदोलन पर दबंगों का कब्जा होता था। योगी सरकार पचहत्तर हजार करोड़ का धान और गेहूं खरीदने का कार्य किया है।

    मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समारोह में कहा कि समाज को जोड़ने की सबसे अच्छी इकाई सहकारिता है। संस्कार है तो संस्कृति है और संस्कृति से ही राष्ट्रीय एकता प्रबल होती है। सहकार भारती के राष्ट्रीय महामंत्री उदय जोशी ने कहा कि सहकारिता आन्दोलन राजनीति से परे होना चाहिए। पुराने सहकारिता कानून में संशोधन व दुग्ध समितियों को मजबूत बनाने की आवश्यकता है। देश में तीन लाख दुग्ध समिति बनाये जाने की जरूरत है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहकारिता के माध्यम से काम करने का प्रयास चल रहा है। लखनऊ के राष्ट्रीय अधिवेशन में सहकार भारती ने चार प्रस्ताव पारित किए। पहले प्रस्ताव सशक्त ग्रामीण सहकारी साख वितरण प्रणाली को मजबूत बनाने, दूसरा प्रस्ताव सक्षम सहकारिता के लिए समर्थकारी परिवेश का निर्माण, तीसरा प्रस्ताव टिकाऊ और समतामूलक विकास मॉडल के लिए सहकारिता में नई पहल तथा चौथे प्रस्ताव में पहली बार सहकारिता मंत्रालय का गठन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिनन्दन किया गया।

    सहकार भारती ने केन्द्र तथा सभी राज्य सरकारों से यह मांग की है कि सहकारिता कानून तथा नियमों में संशोधन करें। देश में सहकारिता आन्दोलन को मजबूत करने तथा सहकार से समृद्धि के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संस्थागत कानूनी और नीतिगत परिवेश के निर्माण की आवश्यकता है। आर्थिक एवं सामाजिक परिवर्तन एवं सकारात्मक वृद्धि के लिए सहकारिता क्षेत्र में असीमित संभावनायें हैं। प्राथमिक समितियां मजबूत होंगी तभी ऊपरी स्तर की समितियां मजबूत होंगी। वर्तमान सरकार सहकारिता के माध्यम से देश के आर्थिक विकास की रूपरेखा बना रही है। इस क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव किये जायेंगे। नई सहकारी नीति बनाई जाएगी। किसानों को जोड़ने के व्यापक प्रयास किये जायेंगे।

    कृषि व्यवस्था में प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां पैक्स का योगदान महत्वपूर्ण है। जल्दी ही पैक्स का कंप्यूटराइजेशन कराकर उन्हें जिला सहकारी बैंकों से जोड़ेंगे। जिला सहकारी बैंकों को प्रदेश के कोआपरेटिव बैंकों से और उन्हें नाबार्ड से जोड़ा जाएगा। व्यवस्था पारदर्शी रखने के लिए कार्य संचालन स्थानीय भाषा में होगा।

    (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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