भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

चार देश चालीस कहानिया किताब में संजीव ने शब्द नहीं एहसास पिरोए हैं

शबनम से लिखूं अश्कों से लिखूं मैं दिल की कहानी कैसे लिखूं,
फूलों पे लिखंू हाथों पे लिखूं, होठों की ज़बानी कैसे लिखूं।

बहरहाल…मौजूं कोई भी हो संजीव शर्मा के लिए उसे लफ्ज़़ों और अहसास में पिरोना मुश्किल नहीं। संजीव मिजाज़ से जज़्बाती और हस्सास (संवेदनशील) हैं। लिखना उनकी आदत में शामिल है और उनकी ज़ेहनी गिज़़ा है। गुजिश्ता 30 बरसों से सहाफत (पत्रकारिता) से बावस्ता संजीव भारतीय सूचना सेवा के मुलाजि़म हैं और फिलवक्त आकाशवाणी भोपाल में न्यूज़ एडिटर हैं। सूबे के करेली क़स्बे से उठ के संजीव ने माखनलाल यूनिवर्सिटी भोपाल में सहाफत पढ़ी और पढ़ाई भी। आज इस कालम में इनका जि़क्र हाल ही में आई इनकी किताब चार देश चालीस कहानियां को लेकर हो रहा है। आकाशवाणी में रहते हुए संजीव को उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के साथ (2017) अफ्रीकी देश यूगांडा और रवांडा का कवरेज का मौक़ा मिला। साल 2019 में आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ जापान की आधिकारिक यात्रा पे भी गए थे। इन 3 मुल्कों के अलावा संजीव असम आकाशवाणी में भी पोस्टेड रहे हैं। गोया के संजीव के नज़रिए से देखें तो हर मुल्क और हर शहर एक कहानी है। चार देश चालीस कहानियां में हम युगांडा और रवांडा की आम छवि से हट के उन रिवायतों से भी वाकिफ होते चलते हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं। दरअसल इस किताब में चीजों, कल्चर और परंपराओं को लेके संजीव का गज़़ब का ऑब्जरवेशन सामने आता है।


युगांडा की राजधानी किगाली के बाशिंदों के हफ्ते में एक दिन के सफाई अभियान को संजीव ने बहुत नायाब अंदाज़ में पेश किया है। वहीं रवांडा में हुए दुनिया के ख़ौफऩाक कत्लेआम की यादों को इस तरह संजो के रखा गया है कि वो मंजऱ हमे अहिंसा का सबक देता है। संजीव ने इसे अपने ही लफ्ज़़ों में पूरे जज़्बातों के संग पिरोया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी साब के साथ संजीव ने जी-20 ट्वेंटी देशों के जापान के ओसाका शहर में हुए सम्मेलन को कवर किया था। जापान पूरी दुनिया मे अपनी टेक्नोलॉजी और रिवायतों के लिए जाना जाता है। अपनी किताब में संजीव ने जापान की खूबियों के किस्से बेहतरीन अंदाज़ में पेश किये हैं। आकाशवाणी में नोकरी के दरम्यान इनकी पोस्टिंग असम में भी रही। लिहाज़ा चार देश चालीस कहानियां में आप चेरापूंजी के घने बादलों के हमराह मिज़ोरम और आइजोल की हसीन वादियों में खुद को भटकता हुआ महसूस करेंगे। वहां के बाशिंदों के ज़ब्त-ओ-नज़्म (अनुशासन) की कहानियां आपको बांध लेंगी। असम की बराक घाटी के गरीब रिक्शा ड्राइवर द्वारा खोले गए स्कूल के किस्से को लेखक ने दिलचस्प ऐसे अंदाज में पेश किया है कि आप एक सांस में पढ़ जाएंगे। किताब में प्रयागराज के मलाईदार दूध और समोसा-कचोरी के दिलचस्प किस्से किताब के मूल किरदार की रफ्तार को मेंटेन करते से लगते हैं। इस किताब में 40 कहानियों के अलावा 8 बोनस कहानियां भी हैं। जिन्हें पढ़ कर आप संजीव की अनूठी अफ़सानानिगारी और ज़बान की खूबसूरत बुनावट के दीदार कर सकते हैं। 166 पेज की इस किताब की कीमत महज 200 रुपये है। ये अमेजन, गूगल प्ले, किंडल और कोबो पे मुहैया है। इस किताब को मंजऱे आम पे लाने के लिए संजीव ने अपनी शरीके हयात मनीषा और बिटिया आद्या और किताब लिखने की प्रेरणा के लिए पत्रकार साथी मनोज कुमार का खासतौर से शुक्रिया अदा किया है। किताब हर हाल में पढऩे और अपने कलेक्शन में रखने लायक है। किताब का इजरा बहुत जल्द माखनलाल यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में होने वाला है। भोत मुबारक हो साब।

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