भोपाल न्यूज़ (Bhopal News)

राजधानी में आरक्षक से टीआई बने प्रभारियों का बोलबाला, परफार्मेंस में भी अव्वल

  • सीधी भर्ती वाले प्रभारियों पर पड़ रहे भारी, बहतर समझ के साथ करते हैं कार्य

फराज़ शेख
भोपाल। राजधानी में आउट ऑफ टर्न प्रमोशन लेकर आरक्षक से टीआई का सफर तय करने वाले थाना प्रभारियों का बोलबाला है। शहर में ऐसे आठ थाना प्रभारी पदस्थ हैं। खास बात यह है कि यह सभी थाना प्रभारी काम के मामले में भी सीधी भर्ती वाले थानेदारों पर भारी पड़ रहे हैं। कारण साफ है, इन थाना प्रभारियों की आम लोगों में सीधी पकड़ होने के साथ ही मजबूत मुखबिर तंत्र है। इन आठ प्रभारियों में से सात ने अपनी नौकरी का अधिकांश समय भोपाल में ही अलग-अलग पदों पर गुजारा है। जानकारी के अनुसार शहर में कमिश्नोरेट सिस्टम लागू होने के बाद 37 थाने बचे हैं। सात थानों को भोपाल देहात में शामिल कर दिया गया है। भोपाल के 37 थानों में से सात थानों की कमान ऐसे पुलिसकर्मियों के हाथ है, जो आरक्षक से टीआई तक का सफर तय कर चुके हैं। यह सभी थाना प्रभारी अपनी-अपनी महारातों के चलते इस मुकाम पर हैं। इनमें शामिल दो थाना प्रभारी एनकाउंटर स्पेश्लिस्ट माने तो हैं। एक को एनडीपीएस की कार्रवाई में का महारती माना जाता है। एक थाने में अपराधों की जीरो पैंडेंसी के लिए जाने जाते हैं। जबकि एक को ट्रैफिक पुलिसिंग का बहतर अनुभव है।



इन्होंने तय किया आरक्षक से टीआई तक का सफर

  • चेन सिंह रघुवंशी, हाल में थाना टीटी नगर के टीआई हैं। शहर में करीब 16 साल पहले वर्ष 2006 में किया गया पहला एनकाउंटर इन्ही के नाम है। उस समय यह एएसआई हुआ करते थे।
  • सुधेश तिवारी, चंबल के बीहणों में डकैतों के लिए खौफ का दूसरा नाम रहे। पचास से अधिक एनकाउंटर इनके नाम हैं। पुलिस में बतौर आरक्षक यह भर्ती हुए और अपने बहतरीन परफॉर्मेंस की बदौलत आउट ऑफ टर्न प्रमोशन हासिल किए। फिलहाल भोपाल के रातीबढ़ थाने की कमान इन्हीं के हाथ है।
  • डीपी सिंह, यह शहर के सबसे सजग थाना प्रभारियों में से एक माने जाते हैं। जिस थाने में रहे, वहां अराधों की जीरो पैंडेंसी रही। डीपी सिंह भोपाल में लंबे समय तक आरक्षक, प्रधान आरक्षक,एएसआई,एसआई रहे हैं। फिलहाल थाना बैरागढ़ में बतौर टीआई पदस्थ हैं।
  • महेंद्र मिश्रा, यह फिलहाल शाहपुरा थाने के टीआई हैं, करियर की शुरुआत इन्होंने भी बतौर आरक्षक शुरु की थी। नौकरी का अधिकांश समय भोपाल में गुजरा है। एनडीपीएस की कार्रवाई में इन्हें महारत हासिल है। इनकी लिखापढ़ी के कारण दर्जनों मादक पदार्थ के तस्कारों को सजा मिली है।
  • आरएस रैंगर, इन्हें यातायात की पुलिसिंग का बहतर अनुभव है। मोटर व्हीकल एक्ट की धाराओं का इस्तेमाल बखूबी जानते हैं। इनका भी करियर आरक्षक के तौर पर शुरु हुआ। लंबे समय तक यातायात थाने में आफिशियल काम देखते रहे। फिलहाल टीला जमालपुरा थाने के प्रभारी हैं।
  • टीआई श्यामला हिल्स थाना, हाकम सिंह पंवार भी आरक्षक से भर्ती हुए हैं। इसी प्रकार कोतवाली थाने के टीआई करमण सिंह भी भेापाल में लंबा कार्यकाल गुजार चुके हैं। यह भी आरक्षक से भर्ती हुए और बतौर प्रभारी कई थानों की कमान संभाल चुके हैं।
  • हाल ही में थाना कमला नगर के टीआई रहे शाहबाज खान को लाइन में अटैच किया गया है। यह भी आरक्षक से टीआई तक का सफर तय कर चुके हैं। भोपाल और रायसेन के कई थानों में बतौर प्रभारी कार्य किया। सभी जगाह जीरो पैंडेंसी को लेकर अधिकारियों के चहेते रहे।
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