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पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर भारत ने बढ़ाए 15 हजार और सैनिक

चीनियों की किसी भी आक्रामकता या दुस्साहस के संभावित प्रयास से निपटने की तैयारी में जुटी सेना

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) की स्थिति पर भारत और चीन के बीच (between India and China) जल्द ही 12वें दौर की वार्ता होने की चर्चा के बीच एलएसी पर चीनी आक्रमण का मुकाबला (Countering Chinese aggression on LAC) करने के लिए भारत ने 15 हजार से अधिक अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किया है। जम्मू-कश्मीर में सेना के आतंकवाद-रोधी अभियानों (Army counter-terrorism operations) से लद्दाख क्षेत्र में स्थानांतरित इस एक डिवीजन को इसलिए तैनात किया गया है ताकि चीनियों की किसी भी आक्रामकता या दुस्साहस के संभावित प्रयास से निपटा जा सके।

जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद विरोधी अभियानों में लगे लगभग 15 हजार सैनिकों को लद्दाख सेक्टर में ले जाया गया है। यह सैनिक लद्दाख सेक्टर में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के किसी भी दुस्साहस का प्रभावी ढंग से मुकाबला करने के लिए लेह स्थित 14 कोर मुख्यालय की सहायता करेंगे। पिछले साल पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की आक्रामकता को देखते हुए भारत ने अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है। लद्दाख सेक्टर में अब एक डिवीजन के बजाय अतिरिक्त बख्तरबंद और अन्य इकाइयों के साथ दो पूर्ण डिवीजन हैं।


हाल ही में भारत-चीन सीमा पर भारतीय सेना की 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर के 10 हजार अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती से गोलाबारी के रूप में एक बड़ा बढ़ावा मिला है। 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर भारतीय सेना की एकमात्र स्ट्राइक कोर है जो युद्ध की स्थिति में चीन के खिलाफ आक्रामक अभियान चलाने के लिए जिम्मेदार है। इसकी ताकत ऐसे समय में बढ़ाई गई है जब भारत और चीन एक साल से अधिक समय से सैन्य गतिरोध में लगे हुए हैं। भारतीय और चीनी सेनाओं ने पिछले साल से सीमा पर भारी सैनिकों की तैनाती की है। मथुरा स्थित वन स्ट्राइक कोर की संरचनाओं को भी उत्तरी सीमा की ओर फिर से उन्मुख किया गया है, जबकि इसकी एक बख्तरबंद संरचना इसके पास बनी रहेगी।

अन्य सेक्टरों में फॉर्मेशन और सैनिकों की तैनाती को भी मजबूत किया गया है। पैन्गोंग झील के दक्षिणी किनारे पर भारत के सामरिक अभियानों के कारण भारतीय सेना फिंगर क्षेत्र से मुक्ति पाने में सफल रही है। अब दोनों पक्षों के बीच क्षेत्र में अन्य विवादित क्षेत्रों से विस्थापन और तनाव को कम करने के लिए 12वें दौर की वार्ता के लिए बातचीत चल रही है। पिछले साल मई में चीन के साथ विवाद शुरू होने पर डेप्सांग को मौजूदा गतिरोध का हिस्सा नहीं माना जा रहा था लेकिन भारत ने पिछली सैन्य कमांडर की बैठक में एलएसी के साथ सभी मुद्दों को हल करने पर जोर दिया है। चीन ने पहले 26 जुलाई को सैन्य वार्ता करने का सुझाव दिया था, लेकिन भारत ने बीजिंग से नई तारीखों पर काम करने को कहा गया है क्योंकि भारतीय सेना इस दिन कारगिल विजय दिवस मनाएगी।

इससे पहले भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तरीय 11वें दौर की वार्ता 09 अप्रैल को पूर्वी लद्दाख के चुशुल में हुई थी। दोनों देशों के बीच 11वें दौर की वार्ता को तीन महीने हो चुके हैं। अब फिर अगली सैन्य वार्ता में पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग मैदानी इलाकों, गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्रों से सेनाओं के विस्थापन करने पर चर्चा होने की उम्मीद है। इसी साल 20 फरवरी को सैन्य और राजनीतिक दोनों स्तरों पर व्यापक बातचीत के बाद हुए समझौते के तहत सबसे विवादास्पद पैन्गोंग झील क्षेत्र से दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गईं हैं। इसके बाद भी चीन एलएसी के पार अपने क्षेत्र में सैन्य बुनियादी ढांचा बढ़ा रहा है। इसे देखते हुए भारत ने चीन के प्रति अपना रुख बदल लिया है। भारत अब वापस हमला करने के लिए सैन्य विकल्पों की पूर्ति कर रहा है और उसी के अनुसार अपनी सेना को फिर से तैयार किया है। (एजेंसी, हि.स.)

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