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चीन-पाकिस्तान सीमा की स्वदेशी सेटेलाइट से निगरानी करेगी Indian Army

Shivraj Singh Chouhan. (File Photo: IANS)

नई दिल्ली। भारतीय सेना (Indian Army) अब चीन और पाकिस्तान की सीमा पर खुद के सेटेलाइट (indigenous satellite) से निगरानी कर सकेगी। केंद्र सरकार ने  भारतीय सेना (Indian Army) की उस योजना को मंजूरी दे दी है जिसमें सेना ने एक सेटेलाइट (satellite) विकसित करने का प्रस्ताव दिया था। 4000 करोड़ रुपये के इस प्रस्ताव को अनुमति मिलने के बाद दोनों सीमाओं पर सेना की क्षमताओं में उल्लेखनीय इजाफा होगा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए और कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को रक्षा मंत्रालय की मंजूरी दी गई। इन्हीं में से एक भारतीय सेना के लिए काफी समय से लंबित ”मेड इन इंडिया” सेटेलाइट के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। यह सेटेलाइट चीन और पाकिस्तान के सीमाई इलाकों में सेना की निगरानी क्षमता को और मजबूत करेगा। भारतीय सेना के लिए यह सेटेलाइट जीसैट 7-बी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तैयार करेगा। भारतीय वायु सेना और नौसेना के पास पहले ही सेटेलाइट हैं। अब सरकार की अनुमति मिलने के बाद जल्द ही सेना के पास भी यह खूबी होगी।

इसके अलावा डीएसी की बैठक में नाइट साइट (इमेज इंटेंसिफायर), लाइट व्हीकल जीएस 4X4, एयर डिफेंस फायर कंट्रोल रडार (लाइट) खरीदने को स्वीकृति मिली है। इन उपकरणों और प्रणालियों के अधिग्रहण से बेहतर दृश्यता, बढ़ी हुई गतिशीलता, बेहतर संचार और दुश्मन के विमानों का पता लगाने की क्षमता में वृद्धि करके सशस्त्र बलों की परिचालन तैयारियों में वृद्धि होगी। रक्षा उद्योग में स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत पहलों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।



इसके अलावा भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के लिए इनोवेशन फॉर डिफेंस एक्सीलेंस स्टार्टअप्स (आईडेक्स) और लघु उद्योगों से 380.43 करोड़ रुपये की 14 वस्तुएं खरीदने को मंजूरी दी गई है। डीएसी ने सशस्त्र बलों के पूंजी अधिग्रहण प्रस्तावों के लिए 8,357 करोड़ रुपये की स्वीकृति की आवश्यकता (AON) को मंजूरी दी। ”आत्मनिर्भर भारत” के प्रोत्साहन के रूप में इन सभी प्रस्तावों को भारत में स्वदेशी डिजाइन और विकास और विनिर्माण पर ध्यान देने के मकसद से अनुमोदित किया गया है।

रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में खरीद प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए नई नीति को भी मंजूरी दी है। नई प्रक्रिया के अनुसार एओएन से अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का खरीद चक्र लगभग 22 सप्ताह का होगा। डीएसी ने आईडेक्स प्रक्रिया की तर्ज पर मेक- II श्रेणी की परियोजनाओं के लिए भी प्रक्रिया को सरलीकृत किया है जिससे प्रोटोटाइप विकास से अनुबंध पर हस्ताक्षर करने में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा। एजेंस/(हि.स.)।

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