विदेश

अजरबैजान से जंग लड़ रहे आर्मीनिया के बेघर हुए लोगों की मदद कर रहा भारतीय परिवार


येरवन। आर्मीनिया और अजरबैजान के बीच नागोर्नो-काराबाख इलाके को लेकर छिड़ी जंग में तमाम लोग बेघर हो गए हैं। कई लोग अपना घर छोड़कर आर्मीनिया की राजधानी येरवन पहुंच गए हैं। आर्मीनियाई तो इन बेघर लोगों की मदद कर ही रहे हैं लेकिन यहां करीब 6 साल से रह रहा एक भारतीय परिवार भी आगे बढ़कर अपना योगदान दे रहा है।

पंजाब के मालेरकोटला से आर्मीनिया बसे 47 वर्षीय परवेज अली खान पिछले 6 सालों से यहां इंडियन महक नाम से एक रेस्टोरेंट चला रहे हैं। वह येरवन में अपनी पत्नी और दो बेटियों के साथ रहते हैं। उनकी दोनों बेटियां पढ़ाई कर रही हैं। जब परवेज ने आर्मीनिया और अजरबैजान की जंग के बारे में सुना तो उन्होंने तुरंत प्रभावित लोगों की मदद करने के बारे की ठान ली। परवेज ने बताया, जब जंग शुरू हुई तो पूरा देश एक साथ आ गया। हर कोई खाने, दवाई और अन्य आपूर्ति के लिए आगे आ रहा था। हमने भी कपड़े बांटे, लेकिन मैंने देखा कि जंग से प्रभावित लोगों को खाद्य सामग्री की आपूर्ति नहीं बल्कि पका हुआ खाना चाहिए। तभी मैंने सोचा कि मैं उन्हें खाना बनाकर खिलाऊंगा।

रेस्टोरेंट होने की वजह से ये करना आसान भले लगता हो लेकिन कोरोना की वजह से तमाम स्टाफ को भारत भेजा जा चुका था। इसके बावजूद, इस पंजाबी परिवार ने लोगों की खुले दिल से मदद की। परवेज ने बताया, इस वक्त भारतीय स्टाफ बहुत कम है। कोरोना महामारी की वजह से कई लोग भारत वापस जा चुके हैं। जंग से प्रभावित तमाम लोग खाना खाने आने लगे थे, हालांकि, कम स्टाफ होने की वजह से शुरुआत में मुश्किल हुई।

परवेज ने बताया, उसके बाद हमने वॉलंटियर्स से मदद मांगी। हर आर्मीनियन मदद के लिए तैयार था। ये देखना भावविभोर करने वाला था। हमारे किचन में पचास वॉलंटियर्स हैं जो फूड डिलीवरी में मदद करते हैं। कई आर्मीनियाई अब हमारे साथ जुड़ गए हैं। पचास वॉलंटियर्स के साथ खान परिवार ने येरवन में तमाम लोगों को खाना खिला रहा है। उनका किचन सुबह खुल जाता है और लोग खाना बनाना शुरू कर देते हैं। उसके बाद तमाम संगठन फूड डिलीवरी में मदद करते हैं।

परवेज के परिवार ने सोशल मीडिया पर अपना मैसेज शेयर किया और उसके बाद तमाम लोग उनसे जुड़ गए। परवेज की बेटी अक्सा कहती हैं, हमने कई अलग-अलग समूहों में अपने नंबर शेयर किए। लोग हमारा नंबर शरणार्थियों के साथ शेयर कर रहे हैं और फिर शरणार्थी मदद के लिए हमसे संपर्क करते हैं। अक्सा ने कहा, हम कुछ संगठनों के साथ भी काम कर रहे हैं जो हमारी मदद कर रहे हैं। वे हमसे अपनी जरूरत बताते हैं और फिर खाना ले जाते हैं। हमारे पास दो दिन की एडवांस बुकिंग हो रही है। हालांकि, हम ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।

इंडियन महक रेस्टोरेंट ने 4 अक्टूबर से ये सर्विस शुरू की है। शुरुआत में परिवार को सुबह 9 बजे से रात के 9 बजे तक काम करना पड़ रहा था। हालांकि, बाद में वॉलंटियर्स के साथ जुड़ने से आसानी हो गई। ये परिवार खाना तो भारतीय ही बनाता है जैसे-पूड़ी, सब्जी, छोले भटूरे और सब्जियां लेकिन इसमें भी आर्मीनियाई लोगों के स्वाद का पूरा ध्यान रखता है। खाना कम तेल में पकाया जाता है और इसमें ज्यादा मसाले नहीं डाले जाते हैं।

फिलहाल, येरवन सेफ है लेकिन भारतीय मिशन ने भारतीय समुदाय से अलर्ट रहने के लिए कहा है और आपातकालीन स्थिति के लिए कुछ नंबर शेयर किए हैं। परवेज ने कहा, येरवन सुरक्षित है। काराबाख इलाके में कुछ समस्या है। यहां की सरकार बहुत ही सपोर्टिव है। हमारे दूतावास और राजदूत भी भारतीय समुदाय के साथ संपर्क में है और फेसबुक पर इमरजेंसी नंबर्स शेयर किए गए हैं। हम यहां सुरक्षित महसूस कर रहे हैं और हमें बिल्कुल डर नहीं लग रहा है।

 

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