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भारत की आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत के आसपास रहने की सम्भावना

– प्रहलाद सबनानी

वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक विकास दर लगभग 7 प्रतिशत के आसपास रहने की प्रबल सम्भावनाएं बन रही हैं। इस वर्ष की प्रथम तिमाही, अप्रैल-जून 2023, में आर्थिक विकास दर 7.8 प्रतिशत की रही है, वहीं द्वितीय तिमाही, जुलाई- सितम्बर 2023 में 7.6 प्रतिशत की रही है।

इसी प्रकार, दीपावली त्यौहार पर लगभग 4 लाख करोड़ रुपए के व्यापार के चलते एवं अक्टूबर 2023 माह में विनिर्माण के क्षेत्र में विकास दर के 12 प्रतिशत से ऊपर रहने से इस वर्ष की तृतीय तिमाही, अक्टूबर-दिसम्बर 2023, में भी आर्थिक विकास 7 प्रतिशत रह सकती है।


इससे पूरे वित्तीय वर्ष 2023-24 में भी आर्थिक विकास दर 7 प्रतिशत रहने की प्रबल संभावनाएं बन रही हैं। जबकि, विश्व के कई अन्य विकसित देशों में मंदी की सम्भावना व्यक्त की जा रही है। इस प्रकार भारत वर्ष 2023 में भी लगातार विश्व की सबसे तेज गति से विकास करती अर्थव्यवस्था बना रहा।

भारत के आर्थिक विकास में लगातार गति आने से भारत में विदेशी निवेश की मात्रा भी लगातार बढ़ रही है। इससे भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 62,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है। 8 दिसम्बर 2023 को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 60,700 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर था, जो 15 दिसम्बर 2023 को समाप्त सप्ताह में बढ़कर 61,600 करोड़ अमेरकी डॉलर के स्तर पर पहुंच गया एवं 22 दिसम्बर 2023 को समाप्त सप्ताह में 62,000 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर गया है।

इस प्रकार, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी का सिलसिला लगातार जारी है।

हालांकि, अक्टूबर 2021 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अपने उच्चतम स्तर 64,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गया था, अब शीघ्र ही इस उच्चत्तम स्तर को पार कर जाने की भरपूर सम्भावना व्यक्त की जा रही है। कोरोना महामारी के दौरान, भारतीय रुपए पर अत्यधिक दबाव आ गया था, अंतरराष्ट्रीय बाजार में रुपए को अवमूल्यन से बचाने एवं भारत रुपए के मूल्य को स्थिर बनाए रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने अमेरिकी डॉलर को भरपूर मात्रा में बाजार में बेचा था इससे भारत में विदेशी मुद्रा भंडार कम हो गया था।

विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी देश को जरूरत पड़ने पर आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने से केंद्र सरकार एवं भारतीय रिजर्व बैंक को देश के आर्थिक विकास में गिरावट के चलते पैदा हुए किसी भी बाहरी एवं अंदरूनी वित्तीय अथवा आर्थिक संकट से निपटने में मदद मिलती हैं। यह आर्थिक मोर्चे पर संकट के समय देश को आरामदायक स्थिति उपलब्ध कराता है।

विश्व बैंक द्वारा जारी की गई एक जानकारी के अनुसार, वर्ष 2023 में अनिवासी भारतीयों ने रिकार्ड 12,500 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि का प्रेषण भारत में किया है। अनिवासी भारतीयों द्वारा भारत में भेजी गई यह राशि पूरे विश्व में किसी भी देश को भेजी गई राशि में सर्वाधिक है। यह आर्थिक क्षेत्र में भारत की आंतरिक मजबूती को दर्शाता है।

विदेशी निवेशकों के साथ ही अनिवासी भारतीयों का भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास लगातार बढ़ रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, सिंगापुर एवं खाड़ी के देशों में अनिवासी भारतीयों की भारी संख्या निवास करती है और केवल इन 4 देशों से ही 54 प्रतिशत प्रेषण भारत को प्राप्त हुआ है। वर्ष 2022 में अनिवासी भारतीयों द्वारा 11,110 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि भारत में प्रेषित की गई थी।

भारत आज विश्वभर के निवेशकों के लिए एक आकर्षक केंद्र के रूप विकसित हो गया है। विशेष रूप से केंद्र सरकार एवं कुछ राज्यों द्वारा की जा रही पहल विदेशी पूंजी को भारत में आकर्षित करती नजर आ रही है। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए भारत आज इमर्जिंग अर्थव्यवस्थाओं के बीच स्वीट स्पॉट के रूप में दिखाई दे रहा है। इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और फार्मा जैसे 14 प्रमुख क्षेत्रों के लिए उत्पादन से जुड़ी उत्पादन प्रोत्साहन योजना ने विदेशी निवेशकों की भारत में रुचि बढ़ा दी है।

साथ ही, पिछले कुछ वर्षों में श्रम, कराधान, और व्यापार परमिट जैसे क्षेत्रों में नियामक सुधारों से व्यापार करने में आसानी बढ़ी है। अच्छी तरह से विकसित बुनियादी ढांचा और कुशल श्रम की उपलब्धता देश को निवेश के अन्य देशों के विकल्प के मामले में एक तरह की बढ़त देते हैं, जो विदेशी निवेशकों के निर्णय लेने की प्रक्रिया में सहायता करते नजर आ रहे हैं।

हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए एक अनुपालन प्रतिवेदन में बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 की द्वितीय तिमाही, जुलाई-सितंबर 2023, में भारत का चालू खाता घाटा 830 करोड़ अमेरिकी डॉलर की राशि से कम होकर सकल घरेलू उत्पाद का एक प्रतिशत रह गया है। यह वित्तीय वर्ष 2022-23 की द्वितीय तिमाही, जुलाई-सितम्बर 2022, में 3000 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहते हुए सकल घरेलू उत्पाद का 3.8 प्रतिशत था।

भारत के विदेशी व्यापार के मामले में यह एक अतुलनीय सुधार दृष्टिगोचर हुआ है। चालू खाता घाटा किसी भी देश के वस्तुओं और सेवाओं के आयात एवं निर्यात के मूल्य के साथ साथ वित्तीय हस्तांतरण के बीच के अंतर को मापता है। चालू खाता घाटे का कम होना किसी भी देश के लिए अच्छी स्थिति कही जाती है क्योंकि इससे मजबूत हो रहे निर्यात एवं कम हो रहे आयात की स्थिति का पता चलता है।

वर्ष 2023 में भारतीय बैंकों विशेष रूप से सरकारी क्षेत्र के बैंकों में गैर निष्पादनकारी आस्तियों का स्तर लगभग न्यूनतम स्तर पर आ गया है और पूंजी पर्याप्तता अनुपात लगभग उच्चत्तम स्तर पर आ गया है। कई बैंकों में तो यह स्तर अमेरिकी बैकों के पूजीं पर्याप्तता अनुपात से भी अधिक है।

कुछ वर्ष पूर्व तक सरकारी क्षेत्र के बैंकों में पूंजी पर्याप्तता अनुपात को अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों पर बनाए रखने के लिए केंद्र सरकार को इन बैंकों में पूंजी डालनी होती थी परंतु आज सरकारी क्षेत्र के बैंक केंद्र सरकार को भारी भरकम लाभांश की राशि का भुगतान कर रहे हैं। बैंकिंग के क्षेत्र में तो जैसे टर्न अराउंड ही दिखाई देता है।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी एक अन्य प्रतिवेदन के अनुसार, भारत के विभिन्न राज्यों की बजटीय स्थिति एवं इनके राजकोषीय स्वास्थ्य में लगातार मजबूती दिखाई दे रही है। विभिन्न राज्यों ने वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में किए गए सुधारों को जारी रखा है, जिसके चलते राज्यों का संयुक्त राजकोषीय घाटा नियंत्रण में रहते हुए कम हुआ है। केंद्र सरकार एवं विभिन्न राज्यों के राजकोषीय घाटे पर, कोविड महामारी के बाद अत्यधिक दबाव पैदा हो गया था परंतु इसके बाद से लगातार स्थिति में सुधार हुआ है।

मुख्य रूप से कर संग्रहण के अनुपालन में सुधार करते हुए कर संग्रहण में पर्याप्त वृद्धि हुई है एवं कुछ राज्यों द्वारा खर्चों पर नियंत्रण भी किया जा सका है, हालांकि पूंजीगत व्ययों को प्रभावित नहीं होने दिया गया है, जिसके कारण राजकोषीय घाटे की स्थिति में सुधार दिखाई देने लगा है।

भारतीय रिजर्व बैंक ने अपने उक्त प्रतिवेदन में वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए विभिन्न राज्यों के बजट, राजकोषीय संकेतक एवं व्यय के पैटर्न का विश्लेषण किया है। मुख्य बिंदु जिन पर सुधार बताया गया है उनमें शामिल हैं, वस्तु एवं सेवा कर के संग्रहण में लगातार हो रहा सुधार, राजस्व घाटे में आ रही कमी, पूंजीगत व्यय में लगातार हो रही वृद्धि और बकाया ऋण स्तर में कमी होना, बताया गया है।

राज्य स्तर पर आगे आने वाले समय में मजबूत आर्थिक विकास और राजकोषीय सुधारों द्वारा राज्यों की समग्र बजटीय स्थिति सकारात्मक होने का अनुमान इस प्रतिवेदन में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लगाया गया है। इस स्थिति को भारत के लिए राहत देने वाली माना जा सकता है।

राज्यों का राजस्व घाटा कम होने के कारण राज्यों का संयुक्त राजकोषीय घाटा लगातार दूसरे वर्ष लक्ष्य के मुकाबले सकल घरेलू उत्पाद का 2.8 प्रतिशत पर सीमित रहा है। पूंजी निवेश समर्थन के लिए केंद्रीय योजना के नेतृत्व में वित्त वर्ष 2023 की पहली छमाही में पूंजीगत व्यय में 52.6 प्रतिशत की आकर्षक वृद्धि दर्ज हुई है।

राजस्व व्यय वृद्धि में कमी आई है और व्यय की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में बकाया देनदारियां वित्तीय वर्ष 2011 में 31 प्रतिशत से घटकर वित्तीय वर्ष 2024 में 27.6 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया गया है।

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