ब्‍लॉगर

भारत की मुक्त व्यापार के लिए दूरगामी सोच, दुनिया के कई देश आ रहे साथ

– डॉ. मयंक चतुर्वेदी

भारत इस समय दुनिया के तमाम देशों के साथ आर्थिक क्षेत्र में कदम से कदम मिलाकर चल रहा है और एक देश के बाद दूसरे देश के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने में सफल हो रहा है। भारत की इस सफलता ने आज देश में शुरू हुए स्टार्टअप्स को एक नई उड़ान दे दी है। यह समझौते मेक इन इंडिया को बढ़ावा देनेवाले तथा युवा एवं प्रतिभाशाली श्रमबल को अनेक नए अवसर प्रदान कर रहे हैं । इस दिशा में भारत-यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौता ( टीईपीए ) पर हस्ताक्षर भारत की आर्थिक क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।

इससे पूर्व भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी के समझौते पर दस्तख़त किए गए। भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 60 अरब डॉलर सालाना से बढ़ाकर अगले पांच वर्षों में 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया। सेवाओं का व्यापार 15 अरब डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य सुनिश्चित किया गया है। वाणिज्य मंत्रालय का यह आंकड़ा भी है कि भारत के कपड़ा, दवा, जवाहरात, गहनों और प्लास्टिक के उत्पादों, ऑटो और चमड़ा, प्रोसेस्ड कृषि और डेयरी उत्पादों, हस्तशिल्प, फर्नीचर, खाद्य और पेय पदार्थों, इंजीनियरिंग जैसे ज़्यादा श्रम वाले उद्योगों में 10 लाख नए रोजगार पैदा होंगे। इसी तरह से भारत के सबसे महत्वपूर्ण एफटीए भारत के पूर्व में स्थित देशों आसियान, जापान, दक्षिण कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के साथ हैं। जिसके परिणाम स्वरूप आज प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से देश की कुल जनसंख्या में से करोड़ों लोगों को रोजगार मिला हुआ है।


वस्तुत: मोदी सरकार जिस तरह से एक-एक योजना पर गहराई से कार्य कर रही है, उसे देखते हुए अब लगने लगा है कि वह दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की दूसरी अर्थव्यवस्था जल्द ही बन जाए। एक-एक बिन्दु पर कार्य की गहराई इसी से समझी जा सकती है कि पिछले 16 साल की मशक्कत के बाद सरकार ने यूरोपीयन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (एफ्टा) के साथ ट्रेड एंड इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (टेपा) करने में सफलता प्राप्त की है। यानी कि पिछले 10 साल कांग्रेस की सरकार जो करके नहीं दिखा पाई उसे लोकसभा चुनाव के पूर्व मोदी सरकार लगातार के अपने प्रयासों के परिणाम स्वरूप करने में सफल हो गई।

देश में आज हर रोज हजारों नए व्यापारिक प्रतिष्ठान खुल रहे हैं, कंपनियों द्वारा बनाए माल की खपत यदि नहीं होती है तो कंपनी को दिवालिया होने से कोई रोक नहीं पाता, ऐसे में हर कंपनी को उसकी निर्माण वस्तु के हिसाब से मार्केट मिले यह आवश्यक है। आज यह अच्छी बात है कि केंद्र की भाजपा सरकार इस कार्य को पूरा करती हुई दिखाई दे रही है। हालांकि यह भी सच है कि कुछ देशों के साथ भारत का व्यापार घाटा अधिक है, जिसमें कि चीन का जिक्र अक्सर आता है, किंतु इसके साथ ही यह भी सच है कि दुनिया के तमाम देशों के साथ जो पिछले 10 सालों में मोदी सरकार के प्रयासों से मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) हुए हैं, उनमें भारत आज लीडर की भूमिका में पहुंच गया है। अभी जो भारत – यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन ने व्यापार एवं आर्थिक साझीदारी समझौता ( टीईपीए ) पर हस्ताक्षर किए हैं, यदि उसके ही लाभ देखें तो लगता है कि देश के कितने अधिक लोगों को एक साथ रोजगार मिल जाएगा।

यह पहली बार है और बड़ी उपलब्धि भी कि भारत एक साथ चार विकसित देशों जिनमें स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टीन शामिल हैं, के साथ यह हस्ताक्षर करने में सफल हुआ है । जिसमें कि यह सुनिश्चित किया गया है कि 100 बिलियन डॉलर के निवेश और एक मिलियन प्रत्यक्ष रोजगार की बाध्यकारी प्रतिबद्धता रहेगी। पहले 10 सालों में 50 अरब डॉलर तो बाद के पांच सालों में 50 अरब डॉलर का निवेश किया जाना तय किया गया है । समझौते से फार्मा, टेक्सटाइल जैसे सेक्टर के साथ सर्विस सेक्टर में भी इन चार देशों के बाजार में भारत की पहुंच आसान हो जाएगी।

यहां अच्छा यह भी है कि इस समझौते से भारतीय निर्यातकों के लिए यूरोप के बड़े बाजार में पहुंच सहज होगी। जिसका कि बड़ा लाभ यह है कि यूपोरीय यूनियन के सर्विस सेक्टर में स्विट्जरलैंड की बड़ी हिस्सेदारी है और अब सर्विस सेक्टर से जुड़ी भारतीय कंपनियां स्विट्जरलैंड में अपना आधार बना कर यूरोप के बाजार में प्रवेश कर सकेंगी। इससे आईटी, बिजनेस, शिक्षा, मनोरंजन, ऑडियो-विजुअल सेक्टर के सर्विस को प्रोत्साहन मिलेगा। स्विस चाकलेट्स, घड़ी एवं अन्य सामग्री भारतीयों को सस्ते दाम पर उपलब्ध हो जाएंगी। इस अनुबंध से वस्तु निर्यात से लेकर सेवा निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा और ग्रीन एनर्जी, केमिकल्स, मशीनरी जैसे क्षेत्र में निवेश कई गुना बढ़ जाएगा।

कहना होगा कि यह टीईपीए बुनियादी ढांचे और कनेक्टिविटी, विनिर्माण, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, खाद्य प्रसंस्करण, परिवहन और लॉजिस्ट्क्सि, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं और बीमा जैसे क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करके “मेक इन इंडिया” और आत्मनिर्भर भारत को गति देगा। इसके साथ ही टीईपीए भारत में अगले 15 वर्षों में व्यावसायिक और तकनीकी प्रशिक्षण के लिए बेहतर सुविधाओं सहित भारत के युवा महत्वाकांक्षी कार्यबल के लिए बड़ी संख्या में प्रत्यक्ष रोजगारों के सृजन में तेजी लाएगा।

यह तो हुई इस अनुबंध की बात लेकिन इससे पहले भारत ने जो अनुबंध दूसरे देशों से किए हैं, उससे किस तरह भारत पिछले साल 2023 में दुनिया की पांचवीं आर्थिक महाशक्ति बना है, वह हम सभी ने देखा है। इसी के साथ बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक दावा करते हुए कहा था, ‘‘मैं देश को… विश्वास दिलाता हूं कि हमारे तीसरे कार्यकाल में भारत, शीर्ष 3 अर्थव्यवस्था में पहुंच कर रहेगा और ये मोदी की गारंटी है।’’ निश्चित ही यह गारंटी आज अपना कार्य सफलता से पूरा करती हुई दिखती है।

आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने भारत को लेकर जो कहा वह भी सच होता दिख रहा है । वस्तुत: जीटीआरआई का कहना है कि चार यूरोपीय देशों के संघ ईएफटीए के साथ भारत व्यापार समझौतों का सफलतापूर्वक संपन्न होना और ब्रिटेन, ओमान जैसे देशों के साथ समझौते के करीब पहुंचना आज भारत का व्यापार उदारीकरण तथा आर्थिक एकीकरण के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को प्रतिबिंबित करता है। वह भी ऐसे दौर में जब पूरी दुनिया संरक्षणवाद को अपना रही हो। निश्चित ही आज यही कहना होगा कि मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) भारत के आर्थिक विस्तार और विश्व बाजार में एकीकरण के लिए महत्वपूर्ण साधन बन गए हैं।

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