लोकायुक्त में दर्ज थे ट्रैप और आय से अधिक संपत्ति के मामले, अब फाइल बंद
इंदौर। कोरोना काल (corona period) में भ्रष्टाचार (corruption) में फंसे आठ अधिकारियों की मौत हो गई। इनके खिलाफ लोकायुक्त(lokayukta) में ट्रैप (trap) और आय से अधिक संपत्ति (property) के मामले चल रहे थे, लेकिन अब ये सभी फाइलें (files) बंद हो जाएंगी।
कोरोना (corona) के दौरान यूं तो शहर में कई लोगों की मौत हुई, वहीं कई फ्रंटलाइन वर्कर (frontline worker) भी इसका शिकार हुए। यह सिलसिला अभी भी जारी है, लेकिन कुछ ऐसे अफसर भी हैं, जिनके खिलाफ लोकायुक्त (lokayukta) ने पिछले कुछ सालों में केस दर्ज किए थे और उनकी जांच चल रही थी। कई में चालान (challan) लगना भी बाकी था। ऐसे ही भ्रष्टाचार में फंसे आठ लोगों की कोरोना के दौर में मौत हो गई। बताया जा रहा है कि सभी की मौत कोरोना से हुई, लेकिन विभाग के पास अधिकृत रूप से ऐसी जानकारी नहीं पहुंची है। ये अफसर हैं नगर परिषद थांदला के दिनेश जमरे, धरमपुरी (धार) के उपयंत्री जयवंतसिंह, भगवानपुरा (खरगोन) के मनरेगा अधिकारी अशोक पाटीदार, सरदापुर (धार) के पटवारी रफीक खान, नगर निगम इंदौर के कार्यपालन यंत्री बीएस द्विवेदी, खरगोन के रोजगार सहायक कैलाश जाधव, झाबुआ के सहायक उपनिरीक्षक चिंतामण पटेल और बड़वानी के आरके शर्मा हैं। विभाग को मिली जानकारी के अनुसार सभी की एक साल के अंदर मृत्यु हो गई। यह जानकारी मिलने के बाद अब लोकायुक्त पुलिस इनसे जुड़े प्रकरणों को खंगाल रही है, ताकि फाइल बंद की जाए। कुछ मामलों में आरोपियों की संख्या एक से अधिक थी। इसके चलते बचे हुए आरोपियों पर केस जारी रहेगा। बताते हैं कि इस तरह के दो मामले ईओडब्ल्यू में भी सामने आए हैं, जिनमें भ्रष्टाचार में फंसे दो आरोपियों की मौत हो चुकी है।
पैरोल पर छूटे 38 आरोपियों की भी कोरोना काल में मौत
जेल (jail) सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कोरोना काल में जेल से बड़े पैमाने पर आरोपियों को पैरोल (parole) पर छोड़ा गया था। इनमें से 38 आरोपियों की कोरोना काल में मौत हो गई। कुछ की कोरोना से तो कुछ की सामान्य मौत हुई। इनमें सभी प्रकार के आरोपी शामिल हैं। इसके चलते इन मामलों में भी फाइल बंद होगी।