इंदौर न्यूज़ (Indore News)

INDORE : फार्म हाउस की पहाड़ी मोर्या हिल्स पर तनने लगे आलीशान अवैध बंगले

 

अग्निबाण भंडाफोड़… 133 एकड़ की भूरी टेकरी पर 24 साल पहले 200 भूखंड खेती की जमीन पर काटकर बेच डाले
इन्दौर, राजेश ज्वेल। गृह निर्माण संस्थाओं  (Home Building Institutions) के लुटेरे भूमाफियाओं (land mafia) के खिलाफ तो अभियान चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ निजी बिल्डरों (private builders) और कालोनाइजरों ने भी कम अंधेरगर्दी नहीं मचा रखी है। खेती की जमीनों पर प्रगति विहार की तरह कई अवैध कालोनियां फार्म हाउस (Farm House) के नाम पर काट दी गईं। इनमें कनाडिय़ा रोड स्थित 133 एकड़ की भूरी टेकरी (Bhuri Tekri) भी शामिल है, जहां मोर्या हिल्स ( Morya Hills) के फार्म हाउस के भूखंड 24 साल पहले बेचे गए। लगभग 78 एकड़ जमीन पर 10 हजार से लेकर 40 हजार स्क्वेयर फीट तक के कुछ बड़े भूखंड भी बेचे गए हैं, जिनकी संख्या 200 से अधिक है। पिछले कुछ समय से कुछ भूखंडों पर अवैध आलीशान बंगले तनने लगे, जबकि मोर्या हिल्स लो डेंसिटी, यानी निम्न घनत्व वाले क्षेत्र में शामिल है, जहां एफएआर मात्र 0.15 ही मिलता है, लेकिन मौके पर इससे कई गुना अधिक निर्माण बंगलों में कर लिया गया है।


इस कांड को रचने वाले जाने-माने वास्तुविद् लवकेश तिवारी (Lovekesh Tiwari) प्रमुख हैं, जिन्होंने कई भूखंड खरीदकर जहां उन पर अवैध बंगले तनवा दिए वहीं खुद का विशाल बंगला बना लिया। झंवर ग्रुप द्वारा पहाड़ी पर काटी गई मोर्या हिल्स नामक कालोनी में 1997 से लेकर अभी तक भूखंडों की रजिस्ट्री खेती की जमीन के हिसाब से होती रही है। यह पहाड़ी लो डेनसिटी, में शामिल होने से यहां पर बंगले नहीं बनाए जा सकते लेकिन पिछले कुछ समय से यहां पर कई भूखंडों पर आलीशान बंगले तनने लगे हैं, जो कि स्वीकृत एफएआर से ज्यादा निर्मित कर लिए गए हैं। इंदौर के मास्टर प्लान 2021 में भूरी टेकरी को लो डेनसिटी यानी निम्न घनत्व वाला क्षेत्र रखा है, जिसके चलते एफएआर मात्र 0.15 ही मिलता है। यानी 10 हजार स्क्वेयर फीट के भूखंड पर अधिकतम 150 स्क्वेयर फीट ही निर्माण कर सकते हैं, लेकिन मोर्या हिल्स पर वास्तुविद् लवकेश तिवारी ने ही अपना बंगला, जिसे नीलांबुज नाम दिया है, को स्वीकृति से कई गुना अधिक निर्मित कर लिया गया है। उसी तर्ज पर कई अन्य बड़े भूखंडों पर भी इसी तरह बड़े-बड़े बंगले बनाए जा रहे हैं, जिनमें मास्टर प्लान के लो डेनसिटी के नियम का पूरी तरह से उल्लंघन साफ नजर आता है। इसके अलावा पहाड़ी पर अवैध रूप से बंगले बनाने के लिए खुदाई भी की जा रही है। पिछले दिनों ही प्रशासन ने कई बिल्डर-कालोनाइजरों के खिलाफ अवैध बेसमेंट खुदाई के मामले में कार्रवाई की और खनिज विभाग ने उनके प्रकरण भी बनाए, जबकि मोर्या हिल्स पर ही धड़ल्ले से ऐसी अवैध खुदाई हो रही है। उल्लेखनीय है कि मोर्या हिल्स उत्तम झंवर की बीजे कम्पनी द्वारा विकसित की गई है, जिसमें पहले तो वन आवास के नक्शे भी मंजूर करवाए गए, ताकि इंदौर विकास प्राधिकरण या हाउसिंग बोर्ड की योजनाओं से बचा जा सके। 133 एकड़ की भूरी टेकरी पर मोर्या हिल्स के नाम से फार्म हाउस की जो कालोनी काटी गई, उसमें लगभग 78 एकड़ पर 200 से अधिक भूखंड बेचे गए हैं। 3 एकड़ से अधिक जमीन कनाडिय़ा रोड के लिए छोडऩा बताई गई तो 110 एकड़ पर प्लानिंग करते हुए 78 एकड़ पर लगभग साढ़े 3 एकड़ के भूखंड काटे गए, वहीं लगभग 15 एकड़ जमीन सडक़ों के लिए छोड़ी गई थी। नगर तथा ग्राम निवेश के संयुक्त संचालक एसके मुद्गल का कहना है कि नियम के मुताबिक मोर्या हिल्स का क्षेत्र लो डेंसिटी, यानी निम्न घनत्व में आता है, जिसमें एफएआर मात्र 0.15 मिलता है और उसी आधार पर अभिन्यास मंजूर किए जाते हैं। अगर इससे अधिक निर्मित क्षेत्र बनाया गया है तो नियम के मुताबिक कार्रवाई की जाएगी। पिछले दिनों ही हाईकोर्ट में प्रस्तुत प्रगति विहार की जांच रिपोर्ट से भी खुलासा हुआ कि खेती की जमीन पर फार्म हाउस के रूप में 40-40 हजार स्क्वेयर फीट के भूखंडों पर बसी कालोनी अवैध है। यही स्थिति मोर्या हिल्स की है। यह भी उल्लेखनीय है कि अभी पुलिस-प्रशासन, सहकारिता, नगर निगम सहित अन्य विभाग भूमाफियाओं के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। कलेक्टर मनीष सिंह ने निजी बिल्डर और कालोनाइजरों को भी चेतावनी दी है कि शर्त के मुताबिक भूखंडधारकों के लिए आवश्यक विकास कार्य करवाएं और नियमों के तहत अनुमति लेकर ही बिल्डिंग निर्माण या टाउनशिप विकसित की जाए। वहीं दूसरी तरफ मोर्या हिल्स पर अवैध रूप से बड़े-बड़े बंगले तनने लगे हैं। इन माफियाओं द्वारा लोगों को आश्वस्त किया जाता है कि नए मास्टर प्लान में सेटिंग के जरिए पहाड़ी को लो डेनसिटी से निकाला जा रहा है।


स्कूल, हॉस्पिटल और क्लब के भी पते नहीं
कुछ समय पूर्व तत्कालीन कलेक्टर को अहमदाबाद निवासी एक भूखंडधारक गोपाल पिता सोहनलाल जेथलिया व अन्य ने शिकायत दर्ज करवाई थी कि भिचौली हप्सी-कनाडिय़ा लिंक रोड की सडक़ की जमीन भूखंड के रूप में बेच दी गई। वहीं यहां फार्म हाउस के भूखंड खरीदने वालों का यह भी कहना है कि मोर्या ग्रुप ने ढाई एकड़ जमीन पर भव्य क्लब हाउस, डेढ़ एकड़ से अधिक जमीन पर हॉस्पिटल और इतनी ही जमीन पर स्कूल के साथ 11 एकड़ पर बगीचे, वाटर बॉडी और अन्य सर्विसेस का दावा किया था, लेकिन मौके पर इनमें से किसी एक भी सर्विसेस के अते-पते नहीं हैं और न ही नक्शे के मुताबिक किसी तरह के विकास कार्य करवाए गए। जबकि 10 प्रतिशत की राशि भूखंड खरीदते वक्त विकास के नाम पर अलग से ली गई थी।

मास्टर प्लान में भू-उपयोग परिवर्तन के किए थे प्रयास
मोर्या हिल्स के कर्ताधर्ताओं ने वर्तमान मास्टर प्लान का जब प्रारूप प्रकाशन हुआ था तो दावे-आपत्ति के दौरान लो डेंसिटी, यानी हरियाली की इस जमीन को आवासीय करवाने का प्रयास भी किया था, लेकिन अग्निबाण की सजगता के चलते मास्टर प्लान में यह खेल नहीं हो सका और तय किया गया कि विकास योजना प्रारूप की कंडिका 6.3 (11) के अनुसार भूमि का उपयोग वही मान्य रहेगा, जिसके अभिन्यास उसी कार्य के लिए मंजूर किए गए हों। चूंकि मोर्या हिल्स का अभिन्यास फार्म हाउस के रूप में ही मंजूर करवाया गया, लिहाजा वर्तमान मास्टर प्लान 2021 में उसे यथावत रखा गया, लेकिन अब चोरी-छुपे लो डेंसिटी में हाई डेंसिटी के बंगले बनाए जा रहे हैं।

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