संस्थाओं से खरीदी जमीन पर कालोनी बनाकर प्लॉट पत्नी की फर्म समता कंस्ट्रक्शन में ट्रांसफर कर डाले
इंदौर। दीपक जैन (Deepak Jain) ने पहले तो सहकारी संस्थाओं की जमीन हड़पकर उसे अवैध कालोनी के नियमितीकरण में शामिल कराकर पूरी जमीन पर प्लॉट काट दिए। अब समस्या यह थी कि इन प्लॉटों का स्वामित्व किस तरह हथियाया जाए तो उसने पत्नी की भागीदारी में समता कंस्ट्रक्शन (Samata Construction) फर्म खड़ी की और उसमें प्लॉटों को हस्तांतरित कर दिया। यानी इस अपराध में पत्नी को भी भागीदार बना डाला।
दिमाग से शातिर दिलीप सिसौदिया उर्फ दीपक जैन को मद्दा क्यों कहते हैं यह इस बात से साबित होता है कि तमाम शातिरबाजी के बावजूद वह बड़ी गलती करने से नहीं चूकता। मद्दा ने अयोध्यापुरी स्थित देवी अहिल्या गृह निर्माण संस्था (Devi Ahilya Griha Nirman Sanstha) की जमीन खरीदने के बावजूद जहां सीना तानते हुए 10 दिनों पहले प्रशासन के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी कि प्रशासन उसके स्वामित्व की जमीन पर लोगों के कब्जे करा रहा है, जबकि उक्त भूमि पर सांकेतिक आधिपत्य के लिए कलेक्टर ने ही वास्तविक भूखंडधारियों को कहा था। दरअसल अयोध्यापुरी (Ayodhyapuri) के भूखंड पीडि़त मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे थे और उन्होंने बरसों से जमीन न मिलने की शिकायत की थी। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को पीडि़तों को उनका हक दिलाने का आदेश दिया था। इसके बाद कलेक्टर ने सारा मामला समझते हुए मामले के निपटारे के लिए जिन भूखंडधारियों के पास रजिस्ट्रियां थीं उन्हें उनकी जमीन पर सांकेतिक कब्जे के लिए कहा था, लेकिन मगरूर मद्दा ने प्रशासन के खिलाफ ही हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। हालांकि हाईकोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी, लेकिन मद्दा की हिमाकत से भडक़े प्रशासन ने उसकी सारी पोल खोलते हुए बरसों के काले धंधे उजागर कर दिए और अब मद्दा भागता फिर रहा है। यदि यह पाया जाता है कि उसकी पत्नी गोरखधंधे में शामिल थी तो उस पर भी मुकदमा कायम किया जा सकता है।
पुलिस को मिली आखिरी लोकेशन में मद्दा इंदौर में ही था
दीपक जैन उर्फ मद्दा के खिलाफ पुलिस ने तीन दिन पहले ही मुकदमे की तैयारी कर ली थी, जिसकी भनक लगते ही दीपक मद्दे ने पहले भोपाल में चक्कर काटे और एफआईआर होने के दौरान वह इंदौर में ही था। उसकी अंतिम लोकेशन पुलिस को इंदौर की ही मिली है। उससे जुड़े नजदीकी रिश्तेदारों से पुलिस ने कल पूछताछ की और आज भी बुलाया है।
बीमार हंै संघवी तो मद्दा को फरारी का पुराना अनुभव
अब तक किसी भी आपराधिक प्रकरण में शामिल नहीं रहे संघवी परिवार के मुखिया सुरेंद्र संघवी (Surendra Sanghvi) पिछले कई दिनों से बीमार चल रहे हैं। उनके लिए फरारी काटना भी मुश्किल है, जबकि दीपक उर्फ मद्दा पूर्व में भी फरारी काट चुका है। पिछले दिनों चले भूमाफिया अभियान के दौरान फरार रहकर दीपक मद्दा ने अदालत से जमानत हासिल की थी, तब से उसके हौसले और बढ़ गए थे, जबकि बड़े-बड़े भूमाफिया जेलों में सड़ते रहे और दीपक मद्दा आजाद घूमता रहा।
मद्दे ने हिना पैलेस के प्लॉट जहां समता में उतारे तो धवन बन्धुओं ने मोमेंटो कंपनी को बेच डाले
मद्दा ने हिना पैलेस बनाने के बाद जहां पत्नी की भागीदारी फर्म समता कंस्ट्रक्शन में प्लॉट ट्रांसफर कर लिए, वहीं धवन बंधुओं ने चार संस्थाओं से खरीदी जमीन इसी कॉलोनी में शामिल कराकर उसे मोमेंटो कंपनी को बेच दिया। यह जमीन जितेंद्र उर्फ राजीव पिता सूरज प्रकाश धवन उर्फ हैप्पी-लक्की द्वारा चार गृह निर्माण संस्थाओं से खरीदी गई थी, जिनके सैकड़ों सदस्य प्लॉटों के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं। हैप्पी उर्फ जितेंद्र धवन धोखाधड़ी के दूसरे मामलों में पूर्व से पुलिस की हिरासत में है, जबकि राजीव उर्फ लक्की धवन फरार है। हैप्पी भी पुराने मामलों में वारंट निकलने के बाद करीब एक साल तक फरारी काटता रहा और अब उसके भाई के भी उन्हीं स्थानों पर फरारी काटने की आशंका है, जहां फरारी के दौरान हैप्पी धवन रहा था। यदि पुलिस द्वारा हैप्पी से पूछताछ की जाए तो लक्की के ठिकानों का आसानी से पता चल सकता है।
पुलिस नहीं चाहती है भूमाफियाओं की गिरफ्तारी
इंदौर की पुलिस और प्रशासन खुद नहीं चाहते कि भूमाफियाओं की तत्काल गिरफ्तारी की जाए, क्योंकि फरारी के दौरान पुलिस की धरपकड़ से बचने के लिए माफिया दर-दर की ठोकरें खाते रहते हैं और यह सजा किसी गिरफ्तारी से ज्यादा भयानक होती है। पुलिस ने पिछले दिनों जीतू सोनी पर प्रकरण दर्ज होने के बाद लंबे समय तक उसे फरार रहने दिया। इसी तरह अन्य माफिया भी जब भाग-भागकर थक गए तो उन्होंने समर्पण किया। पकड़े जाने के बाद माफियाओं ने जब अपनी फरारी का व्यथा सुनाई तो पुलिस को लग गया कि गिरफ्तारी से बड़ी सजा फरारी है, इसलिए वह माफियाओं को गिरफ्तार करने में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रही है।