इंदौर, प्रदीप मिश्रा। ड्रोन की हवाई उड़ान के जरिये शहर की ऊंची इमारतों की छतों पर डेंगू का लार्वा खोजने और उसे नष्ट करने के लिए इंदौर के जिला स्वास्थ्य विभाग ने जो मॉडल अपनाया था, उसके सफल ट्रायल के बाद इस मॉडल को भोपाल से हरी झंडी मिल गई है।
अब शासन डेंगू का लार्वा ढूंढकर नष्ट करने की ड्रोन टेक्नोलॉजी वाले इन्दौरी मॉडल को प्रदेश के अन्य महानगरों में भी आजमाने जा रहा है। इंदौर के बाद अब भोपाल और ग्वालियर में भी ड्रोन के जरिये ऊंची इमारतों की छतों पर डेंगू का न सिर्फ लार्वा ढूंढेंगे, बल्कि लार्वा मिलने पर उसका चालान भी बनाएंगे ।
प्रदेश में पहली बार इंदौर में हुआ था ट्रायल
कैमरे लगे ड्रोन के जरिये छतों पर लार्वा ढूंढने और उसे नष्ट करने का पहला ट्रायल इंदौर के जिला स्वास्थ्य विभाग ने पिछले साल जुलाई माह से शुरू किया था, जो शत-प्रतिशत सफल रहा था। ड्रोन की हवाई उड़ान के माध्यम से लार्वा खोजने का यह प्रयोग प्रदेश में पहली बार इंदौर जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया गया था।
गुजरात की कम्पनी के ड्रोन का इस्तेमाल
आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस और जीपीएस सिस्टम से सम्बंधित इंटिग्रेटेड ड्रोन सर्विस का इस्तेमाल करने के लिए इंदौर के जिला डेंगू -मलेरिया विभाग ने भोपाल से स्वास्थ्य प्रशासन से अनुमति लेकर डेंगू के लिए ड्रोन की इस हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल किया था। अनुमति मिलने के बाद विभाग ने टेंडर निकाले थे, जिसमें गुजरात की कम्पनी प्राइम यूएवी का टेंडर पास हुआ था।
लगभग 16 वर्ग किलोमीटर उड़ान
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार ड्रोन ने तीन बार लगभग 16 वर्ग किलोमीटर की हवाई उड़ान भरते हुए विजय नगर से लेकर भंवरकुआं सहित अन्य इलाकों में इमारतों की ऊंची छतों पर मौजूद पानी या खुले हुए कई वाटर टैंक्स चिन्हित कर लार्वा को नष्ट किया था।
13 लाख खर्च हुए थे फस्र्ट ट्रायल में
ड्रोन के इस हाईटेक मॉडल की शुरुआत पिछले साल 6 जुलाई को हुई थी। गुजरात की कम्पनी और जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ड्रोन से 3 बार में लार्वा का सर्वेक्षण और उसे नष्ट किया था। मलेरिया विभाग के अनुसार इसमें लगभग 13 लाख रुपए खर्च हुए थे।
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