नई दिल्ली. भारत (India) में महिला वोटर्स (Women Voters) अब चुनावी जीत (Electoral victory) की चाबी बन गई हैं. बीते कुछ चुनावों में ये ट्रेंड देखने को मिला है कि महिलाएं पॉलिटिकली गेमचेंजर (Political game changer) साबित हुई हैं. आधी आबादी ने जिसके पक्ष में मतदान किया वो सत्ता के शिखर तक पहुंचा. लिहाजा सियासी पार्टियां उन्हें लुभाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं. महिलाओं को नकद भुगतान के लिए तमाम योजनाएं चलाई जा रही हैं. इसका असर मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनावों में देखने को मिला. अब दिल्ली में होने वाले चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने महिलाओं के डायरेक्ट कैश ट्रांसफर को लेकर बड़े वादे किए हैं.
महिलाओं को डायरेक्ट कैश ट्रांसफर जैसी योजनाएं सिर्फ भारत में ही नहीं चल रही हैं, बल्कि विकसित देशों, विकासशील और गरीब राष्ट्रों में भी ऐसी योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन बड़ा अंतर ये है कि उन देशों में अधिकांश में ये राजनीति से प्रेरित न होकर सामाजिक बदलाव, महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संचालित की जा रही हैं. कुछ देशों में तो वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाएं भी मदद कर रही हैं.
विकसित राष्ट्रों में ऐसी योजनाओं का उद्देश्य क्या?
अमेरिका- यूएस जैसे विकसित देश में सामाजिक सुरक्षा प्रणाली बहुत मजबूत है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ऐसी योजनाएं चलाई जाती हैं. अमेरिका में टेम्परेरी असिस्टेंट फॉर नीडी फैमिलीज (TANF) नाम से योजना चलाई जाती है, इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को नकद सहायता प्रदान करना है, ताकि वे अपने बच्चों की देखभाल कर सकें और स्थिर जीवन जी सकें. इसकी शुरुआत 1996 में हुई थी. ये योजना विशेष रूप से सिंगल मदर्स के लिए है. लाभार्थियों को नकद सहायता के अलावा रोजगार प्रशिक्षण, बाल देखभाल सेवाएं, और अन्य सामाजिक सेवाएं भी मिलती हैं.
ब्रिटेन- यूके में महिलाओं के लिए यूनिवर्सल क्रेडिट के तहत कमजोर आय वर्ग की महिलाओं खासतौर पर सिंगल मदर्स को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. इसकी शुरुआत 2013 में हुई थी. इस योजना के तहत आवास, बच्चों की देखभाल और अन्य खर्चों को कवर करने के लिए महिला को हर महीने वित्तीय सहायता मुहैया कराई जाती है. इसके अलावा ब्रिटेन में स्योर स्टार्ट मैटरनिटी ग्रांट योजना भी चलाई जाती है, इसका मकसद पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करना है. हालांकि इसके तहत एक बार वित्तीय सहायता दी जाती है, जिसका उद्देश्य बच्चे के जन्म के खर्च को कम करना है.
कनाडा- कनाडा में चाइल्ड बेनिफिट योजना के तहत कम आय वाली महिलाओं और उनके बच्चों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है. इस योजना के तहत परिवार की वार्षिक आय के आधार पर मासिक भुगतान किया जाता है. इसे विशेष रूप से सिंगल मदर्स को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसकी शुरुआत 2016 में की गई थी.
स्वीडन- इस देश में हाउसिंग अलाउंस मिलता है, इसका मकसद सिंगल मदर्स और कम आय वाली महिलाओं को आवास का खर्च उठाने में सहायता करना है. इस योजना के तहत कम आय और पारिवारिक स्थिति के आधार पर मासिक नकद सहायता प्रदान की जाती है.
ऑस्ट्रेलिया- इस विकसित देश में पैरेंटिंग पेमेंट योजना के तहत बच्चों की देखभाल करने वाली सिंगल मदर्स को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है. इस योजना की शुरुआत 2000 में की गई थी. यह योजना के तहत मुख्य रूप से उन महिलाओं को लाभ पहुंचाया जाता है जिनकी आय सीमित है और जो 8 साल से कम उम्र के बच्चों की देखभाल कर रही हैं. इसके साथ ही पेड पैरेंटल लीव स्कीम के तहत प्रेग्नेंट महिलाओं और मैटरनिटी लीव पर गईं महिलाओं को वित्तीय सहायता दी जाती है. इसमें कामकाजी महिलाओं को 18 सप्ताह तक मिनिमम वेजेस के बराबर भुगतान किया जाता है.
ब्राजील- इस देश में बोल्सा फैमिलिया प्रोग्राम (Bolsa Família Program) के नाम से योजना चल रही है. इसका उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और महिलाओं को सशक्त बनाना है. इसे 2003 में लागू किया गया था. इस योजना के तहत परिवार की महिला मुखिया को कैश ट्रांसफर किया जाता है. इसमें हर महीने 600 BRL यानी करीब 8500 दिए जाते हैं. इस योजना के संचालन में वर्ल्ड बैंक भी मदद कर रहा है.
मैक्सिको- इस देश में प्रोस्पेरा योजना के तहत गरीबी में फंसे परिवारों, खासकर महिलाओं को सहायता प्रदान करना है. इसे 1997 में शुरू किया गया था. इसमें महिला मुखिया को डायरेक्ट कैश ट्रांसफर किया जाता है. इसका मकसद शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना है. इसके साथ ही मैक्सिको में ‘सिंगल मदर्स सपोर्ट प्रोग्राम’ भी संचालित होता है. इसमें सिंगल मर्दस को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है.
केन्या- यहां कैश ट्रांसफर फॉर ऑर्फंस एंड वल्नरेबल चिल्ड्रन (CT-OVC) स्कीम संचालित है. इसकी शुरुआत 2004 में हुई थी. इस योजना का उद्देश्य कमजोर बच्चों के जीवनस्तर को सुधारना और उनकी देखभाल करने वाली महिलाओं को सशक्त बनाना है. इस योजना के तहत परिवार की महिला मुखिया को डायरेक्ट कैश ट्रांसफर किया जाता है. इसके साथ ही हंगर सेफ्टी नेट प्रोग्राम भी संचालित किया जाता है. ये एक सामाजिक सुरक्षा योजना है. इसका मकसद गरीबी उन्मूलन और महिलाओं को सशक्त बनाना है. इसके तहत हर महीने 2700 केन्याई शिलिंग यानी करीब 2150 रुपए दिए जाते हैं.
साउथ अफ्रीका- दक्षिण अफ्रीका में चाइल्ड सपोर्ट ग्रांट नामक योजना चलाई जाती है, इसका उद्देश्य कम आय वाली महिलाओं को उनके बच्चों की देखभाल में मदद करना है. इसे 1998 में शुरू किया गया था. इस योजना के तहत महिला मुखिया को डायरेक्ट कैश ट्रांसफर किया जाता है. इसमें हर महिला को 500 ZAR यानी करीब 2,200 रुपए हर महीने दिए जाते हैं.
जाम्बिया- इस देश में सोशल कैश ट्रांसफर प्रोग्राम के तहत महिला मुखिया को वित्तीय सहातया मुहैया कराई जाती है. इसकी शुरुआत 2003 में हुई थी. इस योजना का उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और कमजोर महिलाओं को सहायता करना है. जाम्बिया में गर्ल्स एजुकेशन एंड वुमन एम्पावरमेंट एंड लाइवलीहुड योजना भी चलाई जाती है. इसका उद्देश्य लड़कियों की शिक्षा और महिलाओं की आजीविका को बढ़ावा देना है. इस योजना के तहत कोई काम शुरू करने के लिए या प्रशिक्षण के लिए एकमुश्त 2500 जाम्बियन क्वचा यानी करीब 7800 रुपए दिए जाते हैं.
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved