
एक तरफ जहां पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है तो वहीं दूसरी ओर अमेरिका में वैज्ञानिकों को अध्ययन के दौरान एक नई आनुवांशिक बीमारी का पता लगा है जिससे हजारों लोग अपनी जान गवां रहे थे। इस बीमारी के 40 फीसदी मरीजों में नसों में रक्त के थक्के जमना, नियमित बुखार और फेफड़ों में परेशानी जैसे लक्षण सामने आए थे, जो इन सबकी की मौत का कारण बने हैं. अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान के शोधकर्ताओं ने इस बीमारी को ‘वेक्सास’ नाम दिया है।
अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने समान लक्षणों वाले लोगों को साथ लाकर खोजने के बजाय 2,500 लोगों के आनुवांशिकी पहलू की खोज की जो उनकी गैर-नैदानिक सूजन की गहन समस्याओं के व्यापक लक्षणों से जुड़ा है। NHGRI में क्लिनिकल फेलो डॉ. डेविड बी. बेक ने कहा, हमारे पास कई ऐसे मरीज थे जो गैर-नैदानिक सूजन की समस्याओं से पीड़ित थे और हम उनका इलाज करने में असमर्थ थे। हमने इस बीमारी का इलाज करने के लिए विपरीत नुस्खा अपनाया, हमनें लक्षणों पर गौर न करते हुए इसके इलाज के लिए इसकी आनुवांशिक तौर पर पहचान की। फिर हमने व्यक्तिगत रूप से जीनोम का अध्ययन किया और परिणाम आपके सामने है।
इस प्रकिया का इस्तेमाल कर, आखिरकार वैज्ञानिकों को मध्यम आयु वर्ग के तीन पुरुषों के जीनोम में समान उत्परिवर्तन की पहचान हुई, जिसे यूबीए1 (UBA1) कहा जाता है. इसके बाद वैज्ञानिकों को 22 और वक्तियों में इसकी पहचान हुई. जिनमें बुखार और रक्त के थक्के जमने जैसे समान लक्षण भी देखे गए। लेकिन शोधकर्ताओं को संदेह है कि वेक्सास बीमारी केवल पुरुषों में ही देखी गई है क्योंकि यह एक्स गुणसूत्रों (एक्स क्रोमोसोम) से जुड़ी है जो पुरुषों में केवल एक ही होता है। ऐसे में महिलाओं में इसकी संख्या ज्यादा होने की वजह से वे सुरक्षित हैं।
आपको बता दें कि 25 और मरीज पाए गये हैं, लेकिन शोध के लेखकों का कहना है कि इनकी संख्या और भी अधिक हो सकती है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका में 125 मिलियन लोग इस तरह की समस्या से जूझ रहे हैं। लेख में ही छपे शोध टीम से अलग लेहड एंड मैरी क्लयेर किंग के एक शोधकर्ता डॉक्टर एफ्रेट ने कहा कि इस स्थिति में वैज्ञानिकों की यह नई खोज इस बीमारी के सुगम इलाज के लिए बहुत उपयोगी साबित हो सकती है।
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