पुलिस द्वारा सात सैंकडा से अधिक का पुलिस बल लगाया गया। वहीं एक हजार से अधिक कलेक्टर ने अधिकारियों, कर्मचारियों को तैनात किया। जिला प्रशासन द्वारा की गई माकूल व्यवस्थाओं के चलते श्रद्धालुओं को दर्शन करने में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई। कलेक्टर बी. कार्तिकेयन के निर्देशन में पुलिस व राजस्व विभाग तथा विभिन्न विभागों के जिला अधिकारी लगातार मॉनीटरिंग करते रहे। पुलिस अधीक्षक ललित शाक्यवार द्वारा पुलिस बल की पर्याप्त व्यवस्थायें की गई थी, जिसमें दो पालियों में 700 पुलिस कर्मचारी एवं अन्य 1000 कर्मचारियों को तैनात किया गया था, वहीं कलेक्टर के निर्देशन में अपर कलेक्टर, राजस्व अधिकारियों सहित समस्त विभागों के जिला अधिकारियों ने श्री शनि मेला मंदिर परिसर में जिम्मेदारियों का पूर्ण निर्वहन किया। विभिन्न विभागों के जिला अधिकारियों ने अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यपालिक दण्डाधिकारी के रूप में जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। मेले को 4 सेक्टरों में विभाजित किया गया था, जिसमें सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात रहे। संपूर्ण मेला अवधि में कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा मेले में पल-पल की जानकारी लेते रहे। प्रशासन द्वारा इस मेले में अलग-अलग स्थानों पर फायर विग्रेड की व्यवस्था की गई। इससे अग्नि दुर्घटनाओं को आसानी से रोका जा सके। मेला में भण्डारों की उचित व्यवस्था शनि मेंला में भण्डारें लगाये गये, जहां मेले में श्रृद्घालुओं ने दर्शन कर भण्डारों में प्रसादी ग्रहण की। कलेक्टर के निर्देश में श्री शनि मेला में महिला- पुरूषों के दर्शन करने की उचित व्यवस्था की गई, जिसमें लोगों का कहना है कि प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्थायें की है, हमें किसी प्रकार श्री शनि भगवान के दर्शन करने में कोई कठिनाई नहीं हुई। ऐसा प्रशासन बधाई का पात्र है। ज्योतिष के अनुसार शनिग्रह सौर मंडल का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है और व्यक्ति के कर्मानुसार अच्छे बुरे कर्मफल का निर्णायक होने के कारण शनिदेव को मृत्युलोक का न्यायाधीश माना गया है। शनि को क्रूर ग्रह मानकर लोग भयभीत रहते हैं। ज्योतिष के अनुसार शनिदेव की अनुकूलता और प्रतिकूलता व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है। शनि के शुभ प्रभाव से दीर्घकालिक प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है, जबकि अशुभ प्रभाव होने पर अपार दु:ख और मानसिक अशांति का सामना करना पडता है। शनि देव पर दर्शनों के लिए पहुंच हजारों श्रद्धालुओं ने सिर के बाल व मूंछे मुडवाकर दान दी गई। इस दौरान शनि देव मंदिर के आसपास सैकड़ों की संख्या में नाई हाथों में उस्तरा लिये लोगों के बाल बनाते नजर आये। वहीं लोगों की बाल मुडवाने के लिए लम्बी कतारें लगी नजर आईं। लोगों का मानना है कि शनिदेव दर्शन के बाद वस्त्र व जूते चप्पल आदि अर्पित करने से उनपर छाया शनिचर उतर जाता है। इसके चलते हजारों श्रद्धालुओं द्वारा वस्त्र व जूते-चप्पल आदि का दान किया गया। मंदिर के पिछवाड़े एवं चारों ओर फैले जंगल में कपड़े व जूते चप्पल नजर आ रहे थे। मेले में प्रशासन द्वारा महिला एवं पुरूष स्नानागार की उचित व्यवस्था की गई थी, जिससे महिला एवं पुरूषों के द्वारा अलग-अलग स्थानों पर स्नान किया गया।
शनिचरी अमावस्या पर शनिधाम पहुंचे लाखों की संख्या में श्रद्धालु
पुलिस द्वारा सात सैंकडा से अधिक का पुलिस बल लगाया गया। वहीं एक हजार से अधिक कलेक्टर ने अधिकारियों, कर्मचारियों को तैनात किया। जिला प्रशासन द्वारा की गई माकूल व्यवस्थाओं के चलते श्रद्धालुओं को दर्शन करने में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं हुई। कलेक्टर बी. कार्तिकेयन के निर्देशन में पुलिस व राजस्व विभाग तथा विभिन्न विभागों के जिला अधिकारी लगातार मॉनीटरिंग करते रहे। पुलिस अधीक्षक ललित शाक्यवार द्वारा पुलिस बल की पर्याप्त व्यवस्थायें की गई थी, जिसमें दो पालियों में 700 पुलिस कर्मचारी एवं अन्य 1000 कर्मचारियों को तैनात किया गया था, वहीं कलेक्टर के निर्देशन में अपर कलेक्टर, राजस्व अधिकारियों सहित समस्त विभागों के जिला अधिकारियों ने श्री शनि मेला मंदिर परिसर में जिम्मेदारियों का पूर्ण निर्वहन किया। विभिन्न विभागों के जिला अधिकारियों ने अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यपालिक दण्डाधिकारी के रूप में जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। मेले को 4 सेक्टरों में विभाजित किया गया था, जिसमें सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात रहे। संपूर्ण मेला अवधि में कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा मेले में पल-पल की जानकारी लेते रहे। प्रशासन द्वारा इस मेले में अलग-अलग स्थानों पर फायर विग्रेड की व्यवस्था की गई। इससे अग्नि दुर्घटनाओं को आसानी से रोका जा सके। मेला में भण्डारों की उचित व्यवस्था शनि मेंला में भण्डारें लगाये गये, जहां मेले में श्रृद्घालुओं ने दर्शन कर भण्डारों में प्रसादी ग्रहण की। कलेक्टर के निर्देश में श्री शनि मेला में महिला- पुरूषों के दर्शन करने की उचित व्यवस्था की गई, जिसमें लोगों का कहना है कि प्रशासन ने चाक चौबंद व्यवस्थायें की है, हमें किसी प्रकार श्री शनि भगवान के दर्शन करने में कोई कठिनाई नहीं हुई। ऐसा प्रशासन बधाई का पात्र है। ज्योतिष के अनुसार शनिग्रह सौर मंडल का सबसे महत्वपूर्ण ग्रह है और व्यक्ति के कर्मानुसार अच्छे बुरे कर्मफल का निर्णायक होने के कारण शनिदेव को मृत्युलोक का न्यायाधीश माना गया है। शनि को क्रूर ग्रह मानकर लोग भयभीत रहते हैं। ज्योतिष के अनुसार शनिदेव की अनुकूलता और प्रतिकूलता व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करती है। शनि के शुभ प्रभाव से दीर्घकालिक प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है, जबकि अशुभ प्रभाव होने पर अपार दु:ख और मानसिक अशांति का सामना करना पडता है। शनि देव पर दर्शनों के लिए पहुंच हजारों श्रद्धालुओं ने सिर के बाल व मूंछे मुडवाकर दान दी गई। इस दौरान शनि देव मंदिर के आसपास सैकड़ों की संख्या में नाई हाथों में उस्तरा लिये लोगों के बाल बनाते नजर आये। वहीं लोगों की बाल मुडवाने के लिए लम्बी कतारें लगी नजर आईं। लोगों का मानना है कि शनिदेव दर्शन के बाद वस्त्र व जूते चप्पल आदि अर्पित करने से उनपर छाया शनिचर उतर जाता है। इसके चलते हजारों श्रद्धालुओं द्वारा वस्त्र व जूते-चप्पल आदि का दान किया गया। मंदिर के पिछवाड़े एवं चारों ओर फैले जंगल में कपड़े व जूते चप्पल नजर आ रहे थे। मेले में प्रशासन द्वारा महिला एवं पुरूष स्नानागार की उचित व्यवस्था की गई थी, जिससे महिला एवं पुरूषों के द्वारा अलग-अलग स्थानों पर स्नान किया गया।