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US से कार चलाकर डेढ़ महीने में 20 देशों की यात्रा कर भारत पहुंचा लखविंदर

बठिंडा। वैश्विक महामारी कोरोना (global pandemic corona) के चलते लोगों के जीवन में कैसा बदलाव आया यह हम सभी जानते हैं, अनचाहे ही सही, कोरोना वायरस ने हमें एक नई दुनिया की ओर धकेल दिया है और हमारे जीने का अंदाज (our way of life) ही बदल कर रख दिया है।

उदाहरण के लिए ऐसी ही जीवनशैली में हमें भारत से लेकर अमेरिका और यूरोप के उन्नत देशों में देखने को मिलने लगी है। ऐसे ही अमेरिका के शहर सैकरामेंटो में रहने वाले लखविंदर सिंह की कोरोना की बाद जिंदगी ही बदल गई। उनके मन में ख्याल आया कि वे रहती जिंदगी में कुछ न कुछ अलग करेंगे और अब वे जिंदगी जीएंगे।



लखविंदर सिंह ने इसके तहत ही उन्होंने प्लानिंग की और वह अमेरिका से अपनी गाड़ी लेकर भारत पहुंच गए। 34 दिनों में 20 देशों का भ्रमण किया और 20 हजार किलोमीटर सफर तय करके भारत पहुंचे। लखविंदर सिंह ने बताया कि कोरोना के समय लोगों को बिछड़ते हुए देखा तो उनके मन में कुछ न कुछ अलग करने का ख्याल आया। उन्होंने तभी से प्लानिंग करनी शुरू कर दी। उनको प्लानिंग पर तीन साल लग गए और कागजात पूरे होते ही वह अमेरिका से भारत के लिए अपनी गाड़ी लेकर निकल पड़े। अमेरिका से उन्होंने अपनी गाड़ी को समुद्री जहाज के जरिए इंग्लैंड भेजा। इंग्लैंड से बेल्जियम ट्रेन के जरिए पहुंचे और इसके बाद पेरिस जर्मन, स्विटजरलैंड, अस्ट्रिया, हंगरी आदि यूरोप के देशों से होते हुए तुर्की पहुंचे। इसके बाद वह ईरान से होते हुए पाकिस्तान गए।

पाकिस्तान में उन्होंने कुल 14 दिन बिताए। इन चौदह दिनों में उन्होंने कई गुरुद्वारा साहिब, लाहौर, टोबा टेक सिंह, पाकपटन आदि शहरों का भ्रमण किया। पाकिस्तान के लोगों ने उनको बहुत प्यार व सत्कार दिया और 11 दिन लोगों ने अपने घरों में रखा।

34 दिनों में 20 देश और 20 हजार किलोमीटर की यात्रा
लखविंदर सिंह ने बताया कि यूरोप के देश बहुत छोटे हैं। वह कुछ ही समय में इन्हें पार कर देते थे। उन्होंने बताया कि अमेरिका से भारत के सफर में कुल 34 दिन लगे और 18 से 20 देशों के बीच में से होकर आए हैं।

बता दें कि लखविंदर सिंह मूलरूप से पंजाब के जालंधर स्थित लम्मे गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने जब परिवार को इस सपने के बारे में बताया तो वह इसको मजाक समझने लगे, लेकिन उन्होंने प्लानिंग शुरू कर दी तो उनकी चिंता बढ़ने लगी, लेकिन वह अपना मन बना चुके थे। पहले तो परिवार ने मना किया, लेकिन बाद में उनकी जिद्द के आगे वे ढीले पड़ गए। अब जब सफर पूरा हो गया तो वे भी बहुत खुश हैं।

 

वीजा व कारनेट की पड़ती है जरूरत
अंतरराष्ट्रीय यात्रा करने के लिए सबसे पहले तो सभी देशों के वीजा की जरूरत होती है, हालांकि, उनको बहुत कम देशों के वीजा लेने पड़े, क्योंकि उनके पास अमेरिका का पासपोर्ट है। इसके बाद कारनेट बनाना पड़ता है। इस पर वाहन से दोगुनी कीमत देकर जाना पड़ता है और वापसी पर इससे कुछ पैसे लौटा दिए जाते हैं।

1985 में अमेरिका गए थे लोखविंदर
लखविंदर सिंह 1985 में अमेरिका गए थे और वहां पर खूब मेहनत की। खुद को स्थापित किया। उनका वहां पर अच्छा कारोबार है। लखविंदर सिंह ने बताया कि अब वह अमेरिका हवाई जहाज से जाएंगे और कार को शिप से भेजेंगे।

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