वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (US President Donald Trump) ने देश में कारोबार करने वाली फार्मा कंपनियों (Pharma companies doing Business) को आखिरी मोहलत दे दी है। राष्ट्रपति ट्रंप ने सोमवार को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें दवा निर्माताओं को प्रिस्क्रिप्शन दवाओं की कीमत (Cost of Prescription drugs) कम करने के लिए 30 दिन की समय सीमा तय दी गई है। इस आदेश के मुताबिक अगर फार्मा कंपनियों ने इस आदेश को नहीं माना तो सरकार से मिलने वाले फंड में बड़े पैमाने पर कटौती की जा सकती है।
ट्रंप के इस आदेश के तहत रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग को दवाओं के लिए नई कीमत तय करने के लिए कहा गया है। इसमें यह उल्लेख किया गया है कि अगर 30 दिनों के भीतर कोई समझौता नहीं होता है, तो एक नया नियम लागू होगा, जिसके तहत अमेरिकी सरकार दवाओं के लिए अन्य देशों जितनी राशि ही देगी। बता दें कि अमेरिकी सरकार हर साल मेडिकेयर के माध्यम से प्रिस्क्रिप्शन दवाओं, इंजेक्शन, ट्रांसफ्यूजन और अन्य दवाओं पर सैकड़ों अरबों डॉलर खर्च करती है, जो लगभग 7 करोड़ अमेरिकियों को कवर करती है। वहीं मेडिकेड अमेरिका में लगभग 8 करोड़ गरीब और विकलांग लोगों को भी कवर करता है।
ट्रंप ने सोमवार को वाइट हाउस में भाषण के दौरान दवा कंपनियों का बचाव किया है। इसके उलट ट्रंप ने कहा है कि अमेरिकियों को दवाओं के लिए अधिक भुगतान कराने के लिए अन्य देश दोषी हैं। हालांकि उन्होंने कंपनियों को चेतावनी भी दी है। ट्रंप ने कहा, “दवा कंपनियां अपना अधिकांश मुनाफा अमेरिका से कमाती हैं। यह अच्छी बात नहीं है।” ट्रंप ने कहा है कि नए नियमों से करदाताओं का बहुत पैसा बचेगा। उन्होंने एक पोस्ट में दावा किया कि उनकी योजना से खरबों डॉलर” की बचत हो सकती है। सोमवार की घोषणा से पहले ट्रंप ने एक अन्य पोस्ट में कहा, “हमारे देश के साथ आखिरकार उचित व्यवहार किया जाएगा और हमारे नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा के लिए अधिक खर्च नहीं करना होगा।”
ट्रंप के इस अदेश पर हस्ताक्षर करने से पहले देश की प्रमुख दवा कंपनियों ने ट्रंप की योजना का विरोध किया है। उन्होंने इसे अमेरिका के लोगों के लिए बुरा सौदा बताया है। दवा निर्माता लंबे समय से तर्क देते रहे हैं कि उनके मुनाफे पर कोई भी खतरा नई दवाओं को विकसित करने के लिए उनके द्वारा किए जाने वाले शोध को प्रभावित कर सकता है। PhRMA के अध्यक्ष और सीईओ स्टीफन जे. उबल ने एक बयान में कहा, “विदेशी कीमतें लागू करने से मेडिकेयर से अरबों डॉलर की कटौती होगी। इसकी कोई गारंटी नहीं है कि इससे रोगियों को मदद मिलेगी या उन्हें दवाएं आसानी से मिल सकेंगी।”
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